उधार
लिखते है जो मिले नही वैसे।
लेकर वापिस किये नही पैसे।
बड़े अजब सा किरदार हैं वो,
कई रूप दिखाते है लोग ऐसे।
समझते है वो बेवकूफ़ हमको।
बड़ा बेवकूफ तो वे ही निकले।
अनमोल इज्जत गई हजारों में
अब देखें दुनिया बदलती कैसे।
जुबां मीठी अहसान फरामोश
सम्मान को करा चुके है केश।
जाने कौन सी बिल्डिंग बनाएंगे,
विश्वास को कैसे डिगा गए पैसे।
भावों को बदल क्यों दिया ऐसे।
बोझ उधारी का चढ़ा लिया कैसे।
वापसी का लगता नही है इरादा,
अपने फ़राज़ को गिरा गए पैसे।