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Page 3 कान्हा

17 दिसम्बर 2021

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कान्हा


कान्हा  रे.......कान्हा ,  कान्हा रे.........रे कान्हा।

तुझ बिन जग ये बिराना,  कान्हा रे .......कान्हा।


आते है मथुरा से गोकुल में, ले बचपन का बाना।

समय ठिठक कर ठहर गया, देखने रूप सुहाना।

आएगा जग-स्वामी देखो,  बन कर नन्हा कान्हा।


बरखा हुई झमाझम देखो चमके बादल बिजली।

बूँदों ने रफ्तार बढ़ायी,  गलियाँ बह बह निकलीं।

लहरें नाचें  देखो उछल के यमुना बढ़ बढ़ आयी।

स्वागत में आतुर यमुना  बाढ़िल होकर उफनाई।

आयेगा वो स्याम सलोना मथुरा से नन्हा कान्हा।1।

आएगा जग-स्वामी....।


आयेंगे कब वासुदेव जी  बाट जोहते पलपल को।

कब देखेंगी नीरद आँखें  बाल स्वरूप चंचल को।

सदियों से हर आहट जीतीं  आँखें रीती की रीती।

कैसे गुजरे दिन औ रातें आँखें इंतजार को जीतीं।

भेद खुशी का  उनकी न जाने कोई जाने कान्हा।2।

आएगा जग-स्वामी....।


छूकर हरि के चरण कमल यमुना तब उतराएगी।

मेघों की झलाकरी भी मुख देख शांत हो जाएगी।

गुजरेंगे जब वासुदेव जी जग खुशियों को धारेगा।

श्याम रूप में आकर ईश्वर जग का भार उतारेगा।

नंद-यशोदा के घर अमृत बरसाएगा नन्हा कान्हा।3।

आएगा जग-स्वामी....।


कान्हा रे.......कान्हा ,  कान्हा रे.........रे कान्हा।

तुझ बिन जग ये बिराना,  कान्हा रे .......कान्हा।


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यह मेरी मौलिक कविताओं का संकलन है जिसयें जीवन के विविध भावों और और रंगों का समावेश विभिन्न काव्य विधाओं में करने.का एक लघु प्रयास है।
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Page 1 बचपन के ठाँव

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<p>बचपन के ठाँव</p> <p><br></p> <p>पचपन के पाँव चले बचपन के ठाँव हैं।</p> <p>ढूँढ़ने वही बरगद उसकी घन

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Page 2 रंग बिरंगा सपना देखे

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<p>रंग बिरंगा सपना देखे।</p> <p>सपने में भी सपना देखे।</p> <p>वो इक गुड़िया नन्ही प्यारी</p> <p>सारे

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Page 3 कान्हा

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<p>कान्हा</p> <p><br></p> <p>कान्हा रे.......कान्हा , कान्हा रे.........रे कान्हा।</p> <

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Page4 कोई हारा न हुआ

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<p>कोई हारा न हुआ</p> <p><br></p> <p>रौशनी का हमको एक इशारा न हुआ।</p> <p>सच रहा स

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Page 5 प्राणवायु

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<p>प्राण वायु </p> <p><br></p> <p>हवा का एक रूप प्राणवायु</p> <p>बिना जिसके शून्य आयु</p> <p>ढू

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Page6 चंबल

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<p>चंबल</p> <p><br></p> <p>बीहड़ है जंगल है, नदिया का प्रसरित अंचल है।</p> <p>अदभुत सी धरती काँटों का

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Page 7 भोर का सूरज

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<p>भोर का सूरच </p> <p><br></p> <p>इक नई उम्मीद लाया है।</p> <p>भोर सूरज फिर से आया है।।</p> <p

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Page8 आग़ाज होगा

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<p>आगाज़ होगा</p> <p><br></p> <p>चुप हैं सभी, मरे से लगते हैं।</p> <p>चेहरे सभी, डरे से लगते है

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Page 9 आवरण

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<p>आवरण</p> <p>जब ओढ़ रखा हो, स्वार्थ का आवरण,</p> <p>सँवरेगा फिर कैसे धरा का पर्यावरण।</p> <p>पेड़ों

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Page 10 असहिष्णुता

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<p>असहिष्णुता</p> <p><br></p> <p>असहिष्णुता के बीज जो बो दिए हैं तुमने।</p> <p>श़ज़र बनने से उननको मै

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Page 11 बन जाना इक बच्चा है

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<p>बन जाना इक बच्चा</p> <p>चारों ओर है दर्दो-ओ-मुश्किल।</p> <p>फिर भी अच्छा अच्छा है।</p> <p>खुशियों

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Page 12 उधार

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<p>उधार</p> <p><br></p> <p>लिखते है जो मिले नही वैसे।</p> <p>लेकर वापिस किये नही पैसे।</p> <p>बड़े अज

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Page13 तबतक मन पक्का रखें

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<p>तबतक मन पक्का रखें</p> <p><br></p> <p>लौटा फिर तूफान है।</p> <p>जाने किस पैमान है।</p> <p>मुश्किल

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Page 14.आदमी

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<p>आदमी</p> <p><br></p> <p>एक आदमी में दो दो आदमी</p> <p>कहो,</p> <p>अंदर कौन आदमी</p> <p>और</p> <p>

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Page 15 नन्ही

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<p>नन्ही</p> <p>नन्ही सी आँखों में दुनियाभर के सपने।</p> <p>सजीले सपने सलोने सपने......।</p> <p>सुनह

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Page 16 चंबल

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<p>चंबल</p> <p><br></p> <p>बीहड़ है जंगल है, नदिया का प्रसरित अंचल है।</p> <p>अदभुत सी धरती काँटों का

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Page 17 आदमी

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<p>आदमी</p> <p><br></p> <p>एक आदमी में दो दो आदमी</p> <p>कहो,</p> <p>अंदर कौन आदमी</p> <p>और</p> <p>

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