दिनाँक : 28.06.2022
समय : रात 8 बजे
प्रिय सखी,
3-4 दिन से अमेरिका की महिलाएं सड़कों पर हैं। एबॉर्शन का अधिकार कोर्ट द्वारा वापिस लेंने के फैंसले के खिलाफ पहले आंदोलन कर रहीं थीं। अब उन्होंने धमकी का रास्ता अख्तियार किया है।
संभव है ज्यादातर लोग उनके पक्ष में होंगे और कुछ विपक्ष में भी होंगे।
अमेरिका में खुलापन ज्यादा है, इसलिए वे इस तरह की धमकी का उपयोग करने के लिए खुलेआम मुँह खोल रहीं हैं।
हमारे यहाँ धमकी तो होती है पर संस्कार के पर्दों में, दबे, ढके, छुपे शब्दों में, एक सीमा तक।
मैं सोचती हूँ, क्या कोर्ट में बैठे जज को अंदाजा भी है कि वह क्या कर रहा है?
मेरा मनना है कि अधिकांश मामलों में एबॉर्शन एक मेडिकल इमरजेंसी का मुद्दा होता है, जिसमे किसी महिला या लड़की की सामाजिक प्रतिष्ठा या स्वास्थ्य या बच्चे को पालने का आर्थिक दवाब दांव पर लगा होता है।
अमेरिका में हो सकता है कि कुछ मामले स्वच्छंदता की जद में आते हों, पर स्वास्थ्य या सामाजिक समस्या उनमे भी प्रमुख होती है।
प्रकृति ने महिला को सृजन का वरदान दिया है पर साथ ही उसे अकेले को उसकी सारी जिम्मेदारी दे दी। अनचाही प्रेग्नेंसी का फर्क पुरुष को बिल्कुल भी नहीं पड़ता है। इसलिए मुमकिन है मामले की गंभीरता उनको ना समझ आये। पर मेरी महिला मित्र अवश्य ही मुझसे सहमत होंगी।
इस तरह के फैंसले कोर्ट ना ले तो अच्छा है।
गीता भदौरिया।