न देखा जमाना तो जाना ही क्या,
अब तुम्हारे बिना मुस्कुराना ही क्या।
राह ले जाती है मंजिलों तक मगर,
जो तुमको न पाया तो पाना ही क्या।
अब तुम्हारे बिना मुस्कुराना ही क्या।
14 सितम्बर 2021
न देखा जमाना तो जाना ही क्या,
अब तुम्हारे बिना मुस्कुराना ही क्या।
राह ले जाती है मंजिलों तक मगर,
जो तुमको न पाया तो पाना ही क्या।
अब तुम्हारे बिना मुस्कुराना ही क्या।
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उपाधि से अभियंता हूं, शिक्षा से जुड़ा है नाम; अभिरुचि कुछ लेखन में है, चित्रकारी भी है काम। विद्यार्थी हूं मैं इस जीवन में, खोज रहा हूं ज्ञान; गहन प्रकृति का प्रेमी हूं, और ज्ञान विज्ञान। २९ अप्रैल का दिन है मेरा, मिली मुझे पहचान। जन्म हुआ है मध्य प्रदेश में, संस्कारधानी मेरी शान।D