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बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
इस में शब्दकोश की तरफ से आने वाले दैनिक विषयों के ऊपर लेख, कविताएं या कहानियां लिखी जाती है जो समाज के वर्तमान को मध्य नजर रखते हुए रचित होती है।
बुआ जी के घर रहते हुए जीवन के विभिन्न रूप दिखे. गांव के लोगों का निश्छल जीवन था तब और आज की तरह वो राजनीती के शिकार नहीं हुए थे.
वर्तमान में देश समाज और राजनीति के ऊपर लेख, कविताएं या कहानियां लिखी जाती है जो समाज के वर्तमान को मध्य नजर रखते हुए रचित होती है।
यह भी एक छोटी सी कहानी है, जो कि आज के समय को परिभाषित करती है। आज-कल जिस प्रकार से युवा परिवारिक रिश्ते को महत्व नहीं देते और अलग रहने की कोशिश करते है। आज-कल जिस प्रकार से हमारे समाज में लव का मतलव सिर्फ और सिर्फ कामनाओं की पुर्ति रह गया है और जिस
*शिवविचार प्रतिष्ठान* *१६ आॅगस्ट इ.स.१६६२* "अण्णादी दत्तो प्रभूणीकर" हे वाकनिशी करत होते, त्यांना छत्रपती शिवरायांनी सुरनिशीचा हुद्दा सांगितला. *१६ ऑगस्ट इ.स.१६८१* आतापर्यंत केवळ मराठी मुलखाचीच नासधूस करणारा सिद्दी १६ ऑगस्ट पासून इंग्रजांनाही त्रास द
मैं एक सरकारी अधिकारी हूँ। साहित्य मेरी पसंदीदा विधा है और फुरसत के क्षणों में लिखना-पढ़ना मुझे भाता है। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, फनिश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई की लेखनी का मैं मुरीद हूँ। मैं मुंशी प्रेमचंद की तरह लिखना चाहता हूँ। म
उस दिन हर रोज़ की तरह हीं मैं अपने समय पर आफिस के लिये घर से निकला। निकलते समय हीं मेरी बेटी ने कहा कि आज उसे ट्युशन पढने के लिये सुबह हीं जाना है। जाने क्युं मगर उस सुबह मैंने अपने बेटे को स्कूल नहीं भेजा था। पता नहीं मन में क्या चल रहा था कि उसे स्क
हम कहते हैं कि अपने आप को सम्मोहित करके वह कार्यक्रम जो हम कर नहीं पा रहे आप वह करना चाहते हैं 2 दिन बाद नहीं कर पाते हैं तो अपने आप को अगर आप सम्मोहित कर कर अपनी वॉक की आदत को डेवलप कर सकते तो इसमें क्या बुराई है और ऐसे बहुत सारे कार्य आप कर सकते है
रूहानी विज्ञान (आचार-विचार-9) सदा सहायी, अनंत सुखदायी, सदा रूहानी रहनुमाई; धन आवाजाई से बचाने वाले परम संत बाबाजी (ब्यास) को
वक्त है स्वराज का देश भक्ति कविताएँ
आये आपको एक लड़की से मिलाते हैं जिसके साथ किस्मत ने बड़ा खेल खेला और वो अपने किस्मत से डर कर अपनी जिंदगी से प्यार को एक किनारा कर दिया क्या वो फिर से प्यार करेगी या किस्मत का ही साथ निभाते रह जाएगी। ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग.......!! फोन की घंटी बजती है प्
हसरत जयपुरी ने कहा था कि ,’खुशी फुलझड़ी की तरह होती है थोड़ी देर के लिए चमक बिखेरती है फिर बुझ जाती है और उदासी अगरबत्ती की तरह होती है देर तक जलती है और बुझने के बाद भी कमरे में महक बिखरी रहती है।‘ इस कहानी की नायिका श्रेया का जीवन भी कुछ ऐसा ही
हर चेहरा कुछ ना कुछ कहानियों को संजोता है ,हमारे आसपास बिखरी पड़ी है कुछ कहानीयों की महक ,हमारी यादो से निकल संवरतीं हैं ,कुछ कहानियां । आसपास कितनी अनकही कहानियां ,उनको शब्दों में पिरोने की छोटी सी कोशिश है मेरी। कहानियों के सफर में मेरे सहयात्री ब
इस एक बालक विक्रम जो अपने घर की तंग हालत में अपने जीवन को बहुत ही कठिन दौर में व्यतीत करता है लेकिन उसके बावजूद भी वह अपनी मेहनत और कर्मों से कभी भी मुंह नहीं मोडता है। वह काफी प्यास करने के बाद जीवन में कैसे सफल होता है।
सही और गलत सोच का फेर ही तो है जो दिल को सही लगे वही सही होता है क्योंकि उसे करने से पहले ज्यादा कुछ सोचना नहीं पड़ता पर जहां सोच गहरी हो जाये वहां कुछ सही तो क्या कुछ होने के चांस भी खत्म हो जाते हैं क्योंकि वक्त किसी के लिये नहीं रूकता और वक्
काव्य तरंग मेरी कविताओं का संकलन है जिसमें मैंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को दर्शाया है। ये मेरी स्वरचित कविताओं पर सिर्फ मेरा कॉपी राइट है।