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यथार्थ की कहानियाँ

पुरुषोत्तम दास

23 अध्याय
1 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
10 पाठक
18 अक्टूबर 2023 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

मैं एक सरकारी अधिकारी हूँ। साहित्य मेरी पसंदीदा विधा है और फुरसत के क्षणों में लिखना-पढ़ना मुझे भाता है। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, फनिश्वर नाथ रेणु, हरिशंकर परसाई की लेखनी का मैं मुरीद हूँ। मैं मुंशी प्रेमचंद की तरह लिखना चाहता हूँ। मैं इस उच्चतम मंच पर अपनी कहानी संग्रह के माध्यम से अपनी लेखनी को आपके बीच रखता हूँ। कहानियों के साथ-साथ मैंने कुछ कविताएं भी पिरोई है। मैं वास्विक और जिवंत कहानियाँ व कविताएं लिखना चाहता हूँ जो हमारे और आपके जीवन को प्रतिबिम्बित करें। इसमें कपोल कल्पनाओं और फंतासी की नाममात्र भी झलक नहीं हो। लोग किरदारों के साथ खुद को जिए और महसूस करे। और यह मानवीय जीवन में मूल्यों की बढ़ोतरी करे। मेरे समझ से बाजारवादिता संकिर्णता है और साहित्य को इससे दूरी बनाकर रखनी ही चाहिए। धन्यवाद। 

yatharth ki kahaniyan

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behad marm sparshi rachna hei.

पुस्तक के भाग

1

प्रेम

15 सितम्बर 2023
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प्रेमईबराह यही नाम था उसका। कराची के रईस परिवार से ताल्लुक रखती थी। आधुनिक विचारों वाली जहीन कमसीन थी। डाॅक्टर बनना हो यह शायद ही ख्वाईश हो पर इस वक्त वह कीव के नेशनल युनिवर्सिटी में फ्रेशर थी। लंबा क

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विजय

15 सितम्बर 2023
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"विजय"मनिहारपुर कस्बा एक फैला हुआ पहाड़ी कस्बा था। ऊपर के कस्बे में पानी की किल्लत रहती तो निचले इलाके में बरसात में दिक्कत होती। आमतौर पर लोग ऊपर कस्बे को आन टोला और नीचे कस्बे को पान टोला कहकर संबोधि

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समय के टुकड़े

15 सितम्बर 2023
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समय के टूकड़ेयार कहाँ रहते हो, आते हो और समय नहीं देते होभूल गये हो हमें या खुद में सिमट गए हो...सब्जीवाले से मोल-तौल करता मैंहाथ में झोली और कुछ रूपये जेब मेंतंद्रा लौटी मेरी मित्र से हँसकर बात हुईवाज

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अरवी के पत्ते

15 सितम्बर 2023
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अरवी के पत्ते ट्रेन से उतरकर मैं सीधा स्टेशन के आगे के बाजार में चला गया। घर में सब्जियां थी नहीं और सुबह ही श्रीमतीजी ने ताकीद कर दी थी कि लौटते सब्जियां लेता आऊँ नहीं तो कल टिफिन में आलू मिलनेव

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तरगें

15 सितम्बर 2023
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तरंगमस्तिष्क में उठती अनगिनत तरंगेअपरिमित ऊर्जा से भरी हुईकई बार मुश्किल होता हैइन तरंगों को संभालनामस्तिष्क की कमजोर तंतुएंबिखरती है इस ऊर्जा के आगेऔर मुश्किल में डालती है हमेंहमें और तुम्हें और सबको

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एसएससी

15 सितम्बर 2023
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एसएससीयह सच्ची कहानी है। 2003 का साल था और एक लंबे समय के बाद कर्मचारी चयन आयोग की स्नातक स्तरीय की वेकेंसी आई थी। और मेरा स्नातक होने के बाद स्नातक स्तरीय यह पहली वेकेंशी थी। कहना न होगा कि मैं शुरू

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हम कब जागेंगे

15 सितम्बर 2023
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हम कब जागेंगे...हम न उस काल में हो सकेन वो इस काल को जी सकेहम तुम हैं अभी साथ मेंयही तो सच है।तुम फिर भी रूठो पर मान जाओयह शीतयुद्ध किसे याद रहेगाया फिर हम कब जागेंगे...इतिहास हो जाएंगे तब...अनवरत बहत

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भिखारी

15 सितम्बर 2023
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भिखारीऐसा नहीं था कि उसे भिखारियों से हमदर्दी नहीं रहती थी पर अपनी लाचारी को भीख मांगने के लिए इस्तेमाल करते देखकर उसे कोफ्त होता था। अक्सर राह चलते या मंदिर के बाहर अपंगों को देखता तो उनपर उसे बरबस द

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गंगा घाट की यात्रा (पवित्र यात्रा संस्मरण)

15 सितम्बर 2023
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गंगा घाट की यात्रा (पवित्र यात्रा संस्मरण)‘सुनते हैं बाबा नहीं रहे। अभी मम्मी का फोन आया था।‘पिछले कुछ दिनों से बाबा (मेरी पत्नि के दादा) ने खाना पीना छोड़ रखा था, वह जीवन के आखिरी पड़ाव में थे। मुझे अन

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रिक्तताएं

15 सितम्बर 2023
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रिक्तताएँतुमसे कई मुलाकातें अक्सर की राहचलते कीटुकड़ों में ही सही बातें रोज की थी अपनी तुम्हारीतुम्हारे लिए बेहद सामान्य रहा होगा ये सबना मेरे लिए इसके कुछ खास मायने रखे थेरोज की ये भेंट तुमसे बिना कोई

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इनिंग्स

15 सितम्बर 2023
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*इनिंग्स*इवनिंग हाऊस काॅलेज की वूमेन्स टीम इंटर काॅलेज वूमेन्स क्रिकेट चैम्पियशिप में सेमी फाइनल में हार कर बाहर हो गई थी। इवनिंग हाऊस की टीम ने जर्बदस्त संघर्ष दिखाया था और मैच हारकर भी पीसीए(पटियाला

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अभिमान

15 सितम्बर 2023
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"अभिमान"घड़ी भर पहले जूझते बच्चे खेल में वापस मगन थेस्नेह बंधन में बंध चुके थे अभी-अभी जो गुत्थम गुत्था थेखिलौने जिनसे विवाद था, हाशिये पर हो चले थेद्वेषमुक्त बच्चे अपनी घरौंदो को आकार दे रहे थेजुझने प

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मर्माहत

16 सितम्बर 2023
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मर्माहतसुबह होने में अभी समय था साढ़े तीन चार बजे होंगे सूची का फोन घनघना उठा. पूरा परिवार गहरी नींद में था। सूची जो नींद से जल्दी उठती नहीं थी उस समय अलसायी सी उठी और बिना देखे फोन को कानों से लगा लिय

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मैंने देखा है...

16 सितम्बर 2023
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मैंने देखा है..अक्सर युद्धों को बिना लड़े खत्म होते हुएठाने हुए रार को स्मृतियों से विस्मृत होते हुएकुटिलताओं को मन की समाधि लेते हुएदुर्भावनाओं को अन्तःकरण में विलीन होते हुएभीषण प्रतिज्ञाओं को व्यतीत

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अव्यक्त

16 सितम्बर 2023
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अव्यक्त मैं प्रायः सवेरे जग जाता हूँ या डीएसओ साहब की रींग तड़के मेरे फोन पर गूंज उठती है। मेरे देवघर शिफ्ट करने के बाद एक अच्छी बात यह रही है कि मुझे डीएसओ साहब जो अभी हाल में ही रिटायर हुए हैं,

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कूड़ा भोज

27 सितम्बर 2023
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कूड़ा भोज भारत की आजादी की पहली सालगिरह थी। लोगों में इस बात को लेकर हर्ष था और हो भी क्यों न अपने आजाद मुल्क में सांस लेना गर्व का विषय था। लोग इस गौरवशाली क्षण और बहुमुल्य आजादी को संजोकर रखने क

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अहम

27 सितम्बर 2023
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*अहम*कोटा शहर के प्रतिष्ठित इंस्टिट्यूट अंशल क्लासेस का कम्पाउंड, छात्र-छात्राओं की गहमागहमी से बेजार था। जेईई एडवांस्ड का परिणाम आया था। ढाई लाख अभ्यर्थियों में करीब चालीस हजार के हाथ सफलता लगी थी।

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वामिस

7 अक्टूबर 2023
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वमिसबात 2016 अंतिम की है। कार्य प्रमण्डलों के लेखा पदाधिकारीयों को लेखा प्रक्रिया के डिजिटलीकरण के प्रशिक्षण के लिए चिट्ठियां आनी शुरू हो गई थी। पुराने पैटर्न पर जो लेखा पद्धति थी उसमें भर-भरकर विसंगत

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इंडियन या वेस्टर्न

15 अक्टूबर 2023
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इंडियन या वेस्टर्न नहीं, नहीं बिलकुल भी नहीं चौंकिए यहाँ दो देशों, दो संस्कृतियों या दो जीवन-शैली की बात नहीं हो रही है। पाठकों को नाहक एक गैरजरूरी विवाद में घसीटने का मेरा कोई ईरादा नहीं है। दरअसल यह

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भूत

17 अक्टूबर 2023
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भूतहाल के दिनों में जितने प्राणी धरती से विलुप्त हुए हैं उसमें से अक्सर इस प्रजाति की चर्चा नहीं होती है, वह है भूत। पहले क्या दिन हुआ करते थे, गांव या छोटे कस्बों के बाहर जो पुराना पेड़ रहता था अमूमन

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मेला

3 नवम्बर 2023
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मेलाइसबार का दुर्गापूजा खास होनेवाला था। मित्र मंडली के प्रायः लोग जुड़ रहे थे। यह मातारानी की असीम कृपा ही कही जा सकती थी कि उनके उत्सव पर देश के अलग-अलग कोने में रह रहे मित्र वर्षों बाद गांव में इकट्

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अमीना

8 नवम्बर 2023
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अमीनालखनऊ, नवाबों का शहर। बिहार के वारसलीगंज का एक परिवार अपनी आजीविका के लिए यहाँ बस गया था। अनवर कपड़े के दुकान में काम करता और हमीदा दो कमरों वाले मकान की आगे वाली हिस्से में फूलों की दुकान चलाती थी

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बड़का-छोटका (आँचलिक कथा)

18 नवम्बर 2023
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बड़का-छोटकाबात उन दिनों की है जब मोबाइल ने भाईचारे को निगला नहीं था। लोग एक-दूसरे के बगैर चल नहीं पाते थे। रंज भी आपस के लोगों से, तो मनोरंजन का साधन भी वही। समाज का ताना-बाना एक-दूसरे को जोड़कर गहरा बु

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