ना अर्ज किया है ना फर्ज किया है किसी ने हमें रिजेक्ट किया बाद में उसी ने हमें गूगल पर सर्च किया है अजी हार नहीं मानी हमने एक वक्त पर लोहा भी पिघल जाता है अजीब हार नहीं मानी हमने इस वक्त पर नोहा भी बिगड़ जाता है और हम से मत उलझो शेर सो रहा हूं तब भी
छोड़ो ना❤️ ये सफेद बालों की फ़िक्र कोई तो होगा, जो तुम्हारी सिर्फ माथे की बिंदी पर मरता होगा. छोड़ो ना बढ़ते हुए वज़न की फ़िक्र। कोई तो होगा, जो सिर्फ तुम्हारे खूबसूरत दिल पे मरता होगा।। छोड़ो ना ये गालों पे आने वाली सिलवटों की फ़िक्र। कोई तो होगा, जो
(कॉलेज गोइंग लड़कियां) यह कॉलेज गोइंग लड़कियां! कितनी बेलौस, बेतरतीब ,बे खौफ! चलती नहीं, उड़ती है! अपने तमन्नाओं के पंख पर बेहिसाब। आंखो में सैंकड़ों ख़्वाब। परम आधुनिका। हाथों में लिए स्मार्ट फोन पर उंगलियां फिराती, अधखिली-सी! हंसती, मुस्काती। राह च
सिंधुताई के विषय में आप सभी लोग जानते होंगे इस सदी की महानतम महिलाओं में से एक थी । उनके जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं को मैंने अपने शब्द देने का प्रयत्न किया है आशा है आप सभी को यह पुस्तक पसंद आएगी।
खो गयी हूंँ मैं, हूंँ इसी जमीं पर , पर अपनों के बीच खो गयी हूं मैं!
भोर हुई और सांझ हुई कई कल्प जमाने बीत गए कवियों की लेखनी से निकले गायक ने गाये गीत नए दुल्हन धरती को बना दिया फिर धरती का श्रृंगार किया यह अपनी प्यारी धरती मां कह- कहकर जय- जयकार किया कविता की प्यारी पंक्ति, उस में व्याप्त जग सारा है तू ही मेरी
विलक्षण प्रतिभा के धनी बँगला कथाकार "बनफूल" की 50 कहानियों का हिन्दी अनुवाद।
भीखू और चोखू के मालिक गनेश ने जब खेती के लिये ट्रेक्टर खरीद के ले आया तो भीखू और चोखू को चिन्ता होने लगी कि अब खेती में हमारी उपयोगिता नगण्य हो जाएगी तो हमारा मालिक हमें किसी कसाई के हाथों बेच देगा । वे आपस में मंत्रणा करते हैं कि कसाई के हाथों
एक सच्चे प्यार में पागल हुए प्रेमी की कहानी
राजा रानी हर कदम पर है बनना है तो इक्का बनो राजा रानी हर कदम पर है बनना है तो इक्का बनो बनना है तो इतना बनो की चाल ही पलट दे सब एक नंबर का है पगली दो नंबर का नहीं कमाते हम अजीत सब एक नंबर का है पगली तो नंबर का नहीं कमाते हम और जाकर कई और लाइन मार्ग
कोरोनावायरस के चलते देश में लाक डाउन लगा हुआ है। जिसके चलते अन्य राज्यों में बसे हुए मजदूरों का पलायन हो रहा है। और मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े हैं। इन्हीं मजदूरों पर केंद्रित मेरी ये कविता है। बस चले जा रहे हैं। बे
एकटा मी माझ्यात रमलेला, तन्हाई ची रात आहे.................. जोडीला घोटभर दारू, मी विरहाच्या
हमारे जिंदगी में अक्सर कुछ ना कुछ बदलाव होते रहते हैं। इस बदलाव को लेकर हमारी ये पेशकश जो आपको पसंद आएगी में सायद बदल गया हूं या जमाने में परिवर्तन आया है कलतक में खुद को तलाश रहा था आज जमाने को तलाश रहा हूं यहां सबकुछ तो पहले जेसा है फिर परिवर्तन
यह हमारे दैनिक जीवन से जुड़े छोटे-बडे़ अनुभवों को एक पुस्तक के रूप में की गई प्रस्तुति है..... हमारा जीवन, जो अनेक उतार-चढ़ाव और संघर्षों से ही बनता है, उसी से जुड़े कुछ प्रश्न और उनके उत्तर खोजने का एक छोटा सा प्रयास है। आशा करती हूं पाठकों को पसंद
ये कहानी है एक बहु की नजर से उसकी सास "अम्मा" की ...या कह सकते है मेरी दादी की.. मेरी माँ की नजर से.. मैंने कहने की कोशिश की है जो मैने देखा, सुना, समझा... ये मेरी ओर से मेरी दादी के लिए एक श्रद्धांजलि हैं l 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 सुबह के छह बज रहे थे..