भारत की नई उमंगे भारत की नई आकांक्षाएं एक समृद्ध भारत की नई ऊंचाइयों हर कोई देश प्रभावित है भारत एक विकासशील देश है और विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से भी एक है जोकि वर्ल्ड की तीसरी अर्थव्यवस्था अब बनने वाला है कोरोना काल में भा
आज हम विज्ञान, दर्शन, भौतिक, रसायन, अर्थ, अध्यात्म, समाज, धर्म, न्याय, चिकित्सा, अनुवंशिकी, खगोल, गणित, ज्यामितीय, जीव और वनस्पति इत्यादि शास्त्रों को देख रहे हैँ, सुन रहे हैँ और पढ़ रहे हैँ, उन सभी की उत्पत्ति वेदों से हि हुई है। ऋग्वेद, सामवेद, अथर
स्त्री विमर्श पर आधारित लघु कथाओं का संग्रह
“इतिहास जब-तब जीवन की शक्तियों और मृत्यु की शक्तियों के बीच ऐसे संघर्षों का साक्षी बनता है जहाँ एक ओर, मृत्यु की शक्ति की हर पराजय असत्य पर सत्य की विजय में आस्था को बल प्रदान करती है तो दूसरी ओर, असत्य की हर कामयाबी में मनुष्यता के सम्पूर्ण विनाश की
कविता पढ़नेवाले अल्पसंख्यक तो हैं, लेकिन अपार हैं। उन्हें गिनती में सीमित नहीं किया जा सकता। वे कविता से रिश्ता न रखनेवाले बहुसंख्यकों से कम ज़रूर हैं, लेकिन परिमेय नहीं हैं। कविता से ख़ुद को और ख़ुद से कविता को बदलनेवाले वे लोग लगातार हैं, लेकिन भूम
प्रेमपूर्वक कठोर झिड़की भी दी है। अब, कि जब सचमुच उनकी पुस्तक आ रही है, तो यह उनसे अधिक मेरे लिए हर्ष का विषय है। लोकेश रहस्य-रोमांच विधा में शानदार लिखते रहे हैं और उन्होंने अपने पहले उपन्यास "कालदण्ड" में एक अद्भुत रहस्यमय कहानी गढ़ी है। उम्मीद है कि
एक स्थान पर जीर्णधन नाम का बनिये का लड़का रहता था । धन की खोज में उसने परदेश जाने का विचार किया । उसके घर में विशेष सम्पत्ति तो थी नहीं, केवल एक मन भर भारी लोहे की तराजू थी । उसे एक महाजन के पास धरोहर रखकर वह विदेश चला गया । विदेश स वापिस आने के बाद
मेरे आलफ्ज खुद से स्मपर्ण है।। मेरे आज्फाज कुछ समझ पाये। तो कुछ समाज में समझ बैठे। क्या बताऊ थे शब्द बया करते हो। सुना है कि दिल से कि दुआ जो क की करता दुआ जरूर कबुल होगी पर आज तक ना मेरै हुए ना य मेरी जान त अपनो के लिए। दुआ मेरी सब खराब हुई।।।
आत्मजयी' में मृत्यु सम्बंधी शाश्वत समस्या को कठोपनिषद का माध्यम बनाकर अद्भुत व्याख्या के साथ हमारे सामने रखा। इसमें नचिकेता अपने पिता की आज्ञा, 'मृत्य वे त्वा ददामीति' अर्थात मैं तुम्हें मृत्यु को देता हूँ, को शिरोधार्य करके यम के द्वार पर चला जाता ह
इस कविता का सारांश यह है कि , एक पुष्प जिसका प्राकृतिक इस्तेमाल , सुन्दर स्त्रियों पर सुशोभित होना , प्रेमिकाओं के गले की माला बनना , भगवानों की मूर्तियों पर चढ़ाया जाना और सम्राटों के शव पर डाला जाना है। वह पुष्प इस सब को छोड़ कर अपने आप को देश पर ब
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों एवं संविधान को ताक पर रखकर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है। ये भारत समेत अन्य विकासशील देशों में तेजी से फैलता जा रहा है। भ्रष्टाचार
'बा अदब' एक अदबी शायरी संग्रह है, जिसे ज़िन्दगी जीते हुए, ज़िन्दगी को महसूस करते हुए लिखा गया है. इसे पढ़ते वक्त आपको ऐसा लगेगा जैसे आपकी ही बात को हु -ब -हु कह दी गयी है.
पारिजात में मेरे द्वारा लिखी कुछ कविताओं का संकलन है जो कल्पना के विमान से यथार्थ की भूमि पर उतरता है!!!
यह पुस्तक 'मन द्वार ' एक दर्पण कि भांति पाठक के मन में एक काल्पनिक सुंदर छवि बनाने के लिए पूरी तरह से समर्पित है इस पुस्तक कि केवल उदेश्य यही है कि पाठक के मन में स्वस्थ विचार का संचार हो।
कभी-कभी इंसान अपेक्षाओं के पीछे भागते तमस की गर्ता में चले जाते है जहाँ से उभरना नामुमकिन होता है किसीकी किस्मत अच्छी होती है जिसे ईश्वर कृपा से कोई उस दलदल से बाहर निकालने में मदद करता है। ऐसी ही एक लालायित औरत की कहानी है 'ज़िंदगी के रंग कई रे'
यह मेरा पहला काव्य संग्रह है आशा आप लोगो को यह अवश्य पसंद आएगा,और इसे आपका भरपूर स्नेह मिलेगा। यह संग्रह मैं अपने कुछ अनुभवों और हिन्दी काव्य के प्रति प्रेम से प्रेरित होकर लिखा है।
महाभारत के इस पात्र के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती कविता
गाय माता से जुड़ी जानकारी