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शक्ति या सौंदर्य

17 फरवरी 2022

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तुम रजनी के चाँद बनोगे ? 

या दिन के मार्त्तण्ड प्रखर ? 

एक बात है मुझे पूछनी, 

फूल बनोगे या पत्थर ? 

  

तेल, फुलेल, क्रीम, कंघी से 

नकली रूप सजाओगे ? 

या असली सौन्दर्य लहू का 

आनन पर चमकाओगे ? 

  

पुष्ट देह, बलवान भूजाएँ, 

रूखा चेहरा, लाल मगर, 

यह लोगे ? या लोग पिचके 

गाल, सँवारि माँग सुघर ? 

  

जीवन का वन नहीं सजा 

जाता कागज के फूलों से, 

अच्छा है, दो पाट इसे 

जीवित बलवान बबूलों से। 

  

चाहे जितना घाट सजाओ, 

लेकिन, पानी मरा हुआ, 

कभी नहीं होगा निर्झर-सा 

स्वस्थ और गति-भरा हुआ। 

  

संचित करो लहू; लोहू है 

जलता सूर्य जवानी का, 

धमनी में इससे बजता है 

निर्भय तूर्य जावनी का। 

  

कौन बड़ाई उस नद की 

जिसमें न उठी उत्ताल लहर ? 

आँधी क्या, उनचास हवाएँ 

उठी नहीं जो साथ हहर ? 

  

सिन्धु नहीं, सर करो उसे 

चंचल जो नहीं तरंगों से, 

मुर्दा कहो उसे, जिसका दिल 

व्याकुल नहीं उमंगों से। 

  

फूलों की सुन्दरता का 

तुमने है बहुत बखान सुना, 

तितली के पीछे दौड़े, 

भौरों का भी है गान सुना। 

  

अब खोजो सौन्दर्य गगन– 

चुम्बी निर्वाक् पहाड़ों में, 

कूद पड़ीं जो अभय, शिखर से 

उन प्रपात की धारों में। 

  

सागर की उत्ताल लहर में, 

बलशाली तूफानों में, 

प्लावन में किश्ती खेने- 

वालों के मस्त तरानों में। 

  

बल, विक्रम, साहस के करतब 

पर दुनिया बलि जाती है, 

और बात क्या, स्वयं वीर- 

भोग्या वसुधा कहलाती है। 

  

बल के सम्मुख विनत भेंड़-सा 

अम्बर सीस झुकाता है, 

इससे बढ़ सौन्दर्य दूसरा 

तुमको कौन सुहाता है ? 

  

है सौन्दर्य शक्ति का अनुचर, 

जो है बली वही सुन्दर; 

सुन्दरता निस्सार वस्तु है, 

हो न साथ में शक्ति अगर। 

  

सिर्फ ताल, सुर, लय से आता 

जीवन नहीं तराने में, 

निरा साँस का खेल कहो 

यदि आग नहीं है गाने में।  

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रचनाएँ
धूपछाँह
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आशा है कि कवि वर दिनकर की जागृति युवा पीढ़ी को एक नया संदेश देगी धूप छांव राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की सोलह ओजस्वी कविताओं का संकलन है जिसमें प्रांजल प्रवाह भाषा उच्च कोटि का चंद्र विधान और भाव संप्रेक्षण का समावेश किया गया है यह रचना उन लोगों को समर्पित है जो अपेक्षाकृत अल्प वयस्क है और सीधी सीधी रचनाओं से सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं
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शक्ति या सौंदर्य

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तुम रजनी के चाँद बनोगे ?  या दिन के मार्त्तण्ड प्रखर ?  एक बात है मुझे पूछनी,  फूल बनोगे या पत्थर ?     तेल, फुलेल, क्रीम, कंघी से  नकली रूप सजाओगे ?  या असली सौन्दर्य लहू का  आनन पर चमकाओगे ?

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17 फरवरी 2022
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17 फरवरी 2022
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