यह एक लम्बी कहानी है—यों तो मृत्यु की प्रतीक्षा में एक बूढ़ी स्त्री की, पर वह फैली हुई है उसकी समूची ज़िन्दगी के आर-पार, जिसे मरने के पहले अपनी अचूक जिजीविषा से वह याद करती है। उसमें घटनाएँ, बिम्ब, तस्वीरें और यादें अपने सारे ताप के साथ पुनरवतरित होते
पाशो अभी किशोरी ही थी, जब उसकी माँ विधवा होकर भी शेखों की हवेली जा चढ़ी। ऐसे में माँ ही उसके मामुओं के लिए 'कुलबोरनी' नहीं हो गई, वह भी सन्देहास्पद हो उठी। नानी ने भी एक दिन कहा ही था—‘सँभलकर री, एक बार का थिरका पाँव जिन्दगानी धूल में मिला देगा!’’
एक स्त्री के जीवन की विडंबना और सच्चाई से रुबरू कराती हुई कुछ कहानियाँ 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
संग्रह की प्रत्येक कहानी एक स्त्री के जीवन के प्रत्येक पड़ाव की वेदना और उसकी मजबूरी को दर्शाती है। स्त्री के रूप में एक छोटी बच्ची से लेकर एक युवती और यहां तक के एक वृद्ध महिला का जीवन भी आसान नहीं होता। कहीं ना कहीं उसके साथ अन्याय होता ही है। इन स
प्यार..... क्या हैं ये प्यार.... समझों तो सब कुछ....और ना समझों तो कुछ भी नहीं....। प्यार करना कोई गलत नहीं हैं.... लेकिन किसी और से प्यार करने से पहले खुद से प्यार करो... खुद के बारे में जानो....।।।
स्त्रियाँ जो मिटाना चाहती हैं अपने माथे पर लिखी मूर्खता किताबों में उनके नाम दर्ज चुटकुलों, और इस चलन को भी जो कहता है, ‘‘यह तुम्हारे मतलब की बात नहीं’’ मगर सिमट जाती हैं मिटाने में कपड़ों पर लगे दाग, चेहरों पर लगे दाग, और चुनरी में लगे दागों को, स्त
समाज और व्यवस्था के कटु-तिक्त अनुभवों से सम्पन्न उपन्यासकार हैं मधु कांकरिया। उनका यह उपन्यास बेधक, जुझारू, धैर्यवान और अन्ततः विद्रोही स्त्री की आन्तरिक पीड़ा का बड़ा ही मार्मिक विश्लेषण-अंकन करता है। धार्मिक चिन्तन और व्यवहार से आप्लावित संसार में
मेरे प्यारे अलबेले मित्रों ! आप सबका हार्दिक स्वागत है💐💐🙏🙏 भारतीय संस्कृति को दरकिनार कर, पश्चिमी संस्कृति को आत्मसात कर, अपने प्यारे भारत महान में आजकल, अनोखे ढ़ंग से जन्मदिन मनाया जाने लगा है ! इस अनोखे जन्मदिन के उत्सव में, मौज-मस्ती,हर्षोल्लास
प्रेम, जुदाई, बदला , परोपकार, एवं शिक्षाप्रद कहानियां हैं इस पुस्तक में, एक बार अवश्य अवलोकन करें 🙏
आखिर क्यों ?? जो किशोरवर्ग की हर नव युवती के मन में उठते झंझावातों के सवालों का जवाब तर्क-वितर्क के साथ सरल भाषा-शैली में कहानी के रूप में तारतम्यता के साथ तर्क की कसौटी में कस , सुलझाती हुयी , हमारे समाज में दो विचारधारा के लोग हैं एक आधुनिक कहे
समाज में वेश्या की मौजूदगी एक ऐसा चिरन्तन सवाल है जिससे हर समाज हर युग में अपने-अपने ढंग से जूझता रहा है। वेश्या को कभी लोगों ने सभ्यता की ज़रूरत बताया, कभी कलंक बताया, कभी परिवार की क़िलेबन्दी का बाई-प्रोडक्ट कहा और कभी सभ्य, सफ़ेदपोश दुनिया का गटर
आज़ाद जीवन एक आज़ाद मन की अभिव्यक्ति है। यदि व्यक्ति का मन मुक्त नहीं है तो मुक्ति आंदोलन शायद ही कभी अपने उद्देश्य की पूर्ति कर पाएंगे। ऐसा ही एक आंदोलन महिला मुक्ति आंदोलन है जिसका उद्देश्य महिलाओं को राजनीतिक और सामाजिक समानता देना है, लेकिन वो भ
‘राजधानी’ जिसके नाम में ही ‘राज़’ चिपका है, उसका रहस्यमयी होना लाज़िमी है। ऊपर से देश की राजधानी दिल्ली जिसके सीने में धौंकते हैं असंख्य दिल धकधक-धकधक। इन्हीं में एक दिल है ‘मेघना’। रोज़ी-रोटी की जुगत में उसके पिता को ठौर दिया दिल्ली ने। घुटने तक झालरद
मन के भावों को शब्द रूप दे बही ह्रदय की शब्द सरिता
रोचक व हृदय स्पर्शी कहानी एक मानसिक विक्षप्त लड़की की
ग्रामीण परिवेश की एक सामान्य लड़की को अपनी पढ़ाई करने के सुबह से रात तक कितना कठिन समय देखना पड़ता है । समाज में जब भी कोई धारा विपरीत दिशा में बही है उसने हमेशा ही ऐसी परिस्थिति देखी है ।
Our Escort Service in Aerocity agency guarantees the physical satisfaction of the customers, the reason is that the call girls of our Aerocity do their work with complete honesty. Every intellectual who knows the mind knows that if a work is complete
विज्ञापन की चकाचौंध दुनिया में जितना हिस्सा पूँजी का है, शायद उससे कम हिस्सेदारी स्त्री की नहीं है। इस नए सत्ता-प्रतिष्ठान में स्त्री अपनी देह और प्रकृति के माध्यम से बाज़ार के सन्देश को ही उपभोक्ता तक नहीं पहुँचाती, बल्कि इस उद्योग में पर्दे के पीछे