पहला प्रेम कुछ शिशुवत होता है ,जिस प्रकार एक शिशु के लिए उसकी माँ से अत्यधिक कुछ और महत्वपूर्ण नही होता ठीक उसी तरह जब एक लडकी प्रेम मे होती है तो उसके लिए उसके प्रिय से अत्यधिक महत्वपूर्ण और कुछ नही होता , वो उसको ही आधार मानकर स्वयं निराधार हो जाती
विज्ञापन की चकाचौंध दुनिया में जितना हिस्सा पूँजी का है, शायद उससे कम हिस्सेदारी स्त्री की नहीं है। इस नए सत्ता-प्रतिष्ठान में स्त्री अपनी देह और प्रकृति के माध्यम से बाज़ार के सन्देश को ही उपभोक्ता तक नहीं पहुँचाती, बल्कि इस उद्योग में पर्दे के पीछे
यह पहली पुत्री है। जैसे एक लड़की अपना घर छोड़कर दूसरे घर को रोशन करती है, वैसे ही उम्मीद करता हुं की ये कविताएं आपके मन को रोशन करें।
हर चेहरा कुछ ना कुछ कहानियों को संजोता है ,हमारे आसपास बिखरी पड़ी है कुछ कहानीयों की महक ,हमारी यादो से निकल संवरतीं हैं ,कुछ कहानियां । आसपास कितनी अनकही कहानियां ,उनको शब्दों में पिरोने की छोटी सी कोशिश है मेरी। कहानियों के सफर में मेरे सहयात्री ब
साहित्य समाज से पैदा होकर समाज के विभिन्न रुपों को चित्रित कर उसे पुनः उसी को सौंपता है।इस तरह साहित्य निर्माण हो जाता है।मेरी लघुकथाओं में आपको यही दिखेगा।
मन के उद्गार नामक इस पुस्तक में मैं ने, नारी, समाज ,भावनाओं, कुप्रथाओं को संदर्भ मे रख कर ।अपनी काव्य रचनाओं को संग्रहित किया है ।
यह उपन्यास ग्रामीण आँचल से एक प्रेंम की विशुद्ध गाथा है, जिसका प्रारम्भ नाइक और नायिका के अचानक प्रथम बार आमना सामना होनें से होता है, दोनों एक दूसरे को देखकर सोचतें हैं कि वह दोनों तो पहिलें कभी मिलें हैं पर नायक किशोर अपनीं नायिका को देख कर अपनीं
अपनी कोमल भावनाओं तथा विवेकशीलता और संवेदनशीलता के कलात्मक संयोजन के कारण अनामिका की कविताएं अलग से पहचानी जाती हैं । स्त्री-विमर्श के इस दौर में स्त्रियों के संघर्ष और शक्ति का चित्रण तो अपनी-अपनी तरह से हो रहा है, लेकिन महादेवी वर्मा ने जिस वेदना औ
परियां होती बेटियां जानने के लिये आगे पढ़ते रहें.. परियां आपको आसमां के सैर कराते मिलेगी.. औऱ आप आसमां में खोते... हुये.. 🌸🌸
कविता संग्रह है, जिसमें , अपने परिवार संबंधित कविता पढ़ने को मिलेगा।..
'शिगाफ़' और 'शालभंजिका' जैसे उपन्यासों के बाद मनीषा कुलश्रेष्ठ का नया उपन्यास 'पंचकन्या' कई पुराणों और मिथकों की अन्तर्धव्नियों को अपने में समेटे वर्तमान की ज़मीन पर भारतीय स्त्री के जीवन, उसकी अस्मिता, उसके स्वप्नों और भविष्य की संभावनाओं को नए सिरे
औरत.....ऊपरवाले का बनाया हुआ एक नायाब किरदार... लेकिन आज तक औरत को कोई समझ नहीं पाया हैं... क्योंकि किसी ने दिल से कभी कोशिश की ही नहीं हैं.... औरत पर व्यंग्य करना.... चुटकुले बनाना ... हंसी मे हर बात उड़ाना तो बहुत आसान हैं..... पर क्या कभी उसे समझन
यह किताब मेरी कुछ चुनी हुई कहानियों का संग्रह है । इस संग्रह में स्त्री विमर्श को लेकर कुछ कहानियां रची गयी है । आशा है यह संग्रह आपको पसन्द आएगा और सभी प्रिय पाठक मुझे उत्साहित करेंगे । धन्यवाद
"यादों के पन्ने"मेरी यह दुसरी कहानी संग्रह है जो शब्द इन पर प्रकाशित हो रही है।इसके पहले "समय की खिड़की" में मेरी पंद्रह लघु कहानियों का संग्रह प्रकाशित हुआ है।शब्द इन पर प्रकाशित होने वाली मेरी यह तेरहवीं पुस्तक है। इसके अतिरिक्त एक पुस्तक योर कोट्स
मन के भावों को शब्द रूप दे बही ह्रदय की शब्द सरिता
कोई शान की बात नही है शर्म की बात है इसलिए बताने योग्य नही है 😥