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तेरा फितूर जब से चढ़ गया रे ... 2

4 सितम्बर 2022

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प्रशांत की मां उसके चेहरे पर आते - जाते भाव को देखकर कुछ - कुछ समझ जाती है ,  कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है । तो वह उससे कहती हैं ; देख तू कोई भी प्लान बना ले या कुछ भी करने की कोशिश कर ले , लेकिन यह लड़की तेरी जिंदगी में हमेशा के लिए आने वाली है ,  रहेगी भी और तू खुद ही रखेगा इसे । यह मैं तुझे पूरी गारंटी के साथ कह रही हूं । अगर तू चाहे तो मैं इस बात को लिखकर दे सकती हूं तुझे । ( प्रशांत की मां लागातार उसकी कई शादी से इंकार कर ने की वजह से अब बहुत परेशान हो गई थी इस वजह से वह अब उसके साथ थोड़ी सख्ती से पेश आने लगी थी । )

           तो प्रशांत उनकी बात सुनकर मुस्कुरा कर कहता हूं ।  ठीक है माॅम .... देखते हैं ।  आगे क्या होता है । प्रशांत को अपने द्वारा किए गए प्लान पर पूरा भरोसा था ।

           प्रशांत की मां भी कहां कम थी उससे |आखिर वह प्रशांत की मां है । उन्होंने भी कहा  ठीक है । तो तू देखने के लिए तैयार हो जा , क्योंकि होगा वही जो मैं चाहती हूं । मैं तेरी मां हूं । तू जो सोच रहा है उससे कहीं आगे का मैंने सोच लिया है । तो अब तू तैयार हो जा प्रतीक्षा से शादी करने के लिए और उसे अपनी वाइफ बनाने के लिए । प्रशांत बस मुस्कुरा देता है और फिर वहां से चला जाता है । 

           इधर प्रशांत का शादी के लिए हां करने पर बात आगे बढ़ी और शादी फिक्स हो गई । दोनों परिवारों में अब शादी की तैयारियां शुरू हो गई । सबसे पहले सगाई की रस्म की गई । सगाई के दिन जहां दोनों परिवारों में खुशी का माहौल छाया था | वही प्रशांत के चेहरे पर वह खुशी नहीं दिख रही थी , जो खुशी आज के दिन लड़के के चेहरे पर होनी चाहिए ।  वो बस सबको दिखाने के लिए मुस्कुरा रहा था ।

        आज वह क्रीम कलर के शेरवानी में बहुत अच्छा लग रहा था और उस पर जो उसने ग्रीन कलर की मोतियों की माला पहना हुआ था । वो तो और भी ज्यादा उस पर  फब रहा था ।

  उसी से मैचिंग लहंगा प्रतीक्षा भी पहनी हुई थी और उसकी ज्वेलरी भी ग्रीन और वाइट कलर की थी । जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी । 

     सगाई प्रतीक्षा की घर ही होनी थी , तो प्रशांत के घर वाले भी उसके घर आ गए थे । उन लोगों के आते ही प्रतीक्षा की घरवालों ने उनकी खूब अच्छी तरह से स्वागत की । अभी सगाई की रस्म होने में थोड़ा टाइम था । तो प्रशांत के दोस्तों ने वहां आई लड़कियों के साथ मतलब प्रतीक्षा की सहेलियों के साथ अपने सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य  (मस्ती मजाक )में लग गए थे ।
      ना प्रशांत के दोस्त कब थे मजाक करने में •••• ना प्रतीक्षा की सहेलियां ही पीछे थी उनके मजाक में किए हुए सवालों का मुंहतोड़ जवाब देने में । दोनों पार्टी में होड़ लगी हुई थी कि हमसे कोई जीत नहीं पाएगा ।

   हॉल के दूसरे तरफ  बड़े लोग बैठ कर बातें कर रहे थे और बीच-बीच में मजाक - वजाक भी कर ले रहे थे ।  कुल मिलाकर वहां का माहौल काफी खुशगवार था ।सबके चेहरे पर खुशियां साफ - साफ दिख रही थी । लेकिन जिसके चेहरे पर सबसे ज्यादा खुशी दिखनी चाहिए । उसी का चेहरा उतरा हुआ लग रहा था । अगर ऐसा प्रतीक्षा के चेहरे पर दिखता .... तो इसकी एक बहुत बड़ी वजह भी होती । लोग  यही कहते कि आज इसका अपनों से दूर जाने का पहला रस्म  है तो ये उदास है । पर यहाँ तो बात ही उलट है . . . . यहां तो प्रशांत मुंह लटकाए हुए बैठा है । बीच-बीच में उसके दोस्त उससे मजे ले ले रहे थे और कह रहे थे ,  कि अरे ०००० हमारा यार तो जब से यहां आया है , तब से बेचैन बैठा है शायद  ये अपनी बंदी से मिलने के लिए मरा जा रहा है । तभी उनमें से एक दोस्त बोलता है — हाय ★ ★ ★ ★ ये यह हमारी सगाई की शुभ बेला जी कब आएंगी । लग रहा है हमारे प्रशांत जी से बेला जी बहुत खफा है . . . तभी तो वह जल्दी नहीं आ रही है . . . . . ।  अरे बेला जी . . . . . . अब जल्दी से आ भी जाइए ना .... हमारे दूल्हे राजा का अभी तक अपनी दुल्हन का दिदार नहीं हुआ है । आ भी जाइए अब .... इतना इंतजार करवाना ठीक नहीं हैं । बेचारे को क्यों तड़पा रही हो आप ।🙄😣  अब आप आ नहीं रही हो ... तो क्या कर सकते हैं हम दोस्त भी ।  अब ये प्रशांत हमें जिंदगी भर ताना मारेगा कि हमने इसकी मदद नहीं की । 
                  अब ये प्रशांत हमें जिंदगी भर ताना मारेगा कि हमने इसकी मदद नहीं की । पर कोई नहीं ज्यादा देर तक वेट नहीं करना पड़ेगा अब तुम्हें । बस अब कुछ ही क्षण की बात है जहां इतना इंतजार किए हो , ,,, , वह थोड़ी देर और कर लो । तुम्हें तो पता हीं है कि सब्र का फल मीठा होता है । वैसे ही आज यहां इंतजार का भी फल मीठा होने वाला है , , ,  लेकिन सिर्फ तेरे लिए हमारे लिए , हमारे लिए नहीं ; क्योंकि हम इंतजार करें या सब्र करें आज हमें तो मीठा फल मिलने से रहा ।   
       प्रशांत बस उन सब को देख रहा था । गुस्से के कारण जो चेहरे पर कभी - कभी मुस्कुराहट आ जाती है , सामने वाले की मूर्खता पूर्ण बातों पर वही मुस्कुराहट इस समय प्रशांत के चहेरे पर आ जा रही थी । 
       प्रशांत अपने दोस्तों को बताया था कि उसे इस शादी में कोई दिलचस्पी नहीं है ,  फिर भी आज ये लोगों उसे ऐसे छेड़ रहे थे ,  तो वह गुस्से में मुस्कुरा रहा था उन सब पर ।


क्रमश: ....


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रचनाएँ
तेरा फितूर जब से चढ़ गया रे ...
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प्रशांत अपने ऑफिस में बैठे हुए बोर हो रहा था । आज ऑफिस में उतना काम नहीं था । वह कुर्सी पर बैठे हुए इधर-उधर ऑफिस में देख रहा था और अपने मन को बहला रहा था । आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था ऑफिस में । उसने एक बार फिर इधर - उधर देखा फिर वो सामने रखी प्रतीक्षा की फोटो  को   उठाकर देखने लगा । जिसमें प्रतीक्षा चांद को देख रही थी ।
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मैं नहीं मानूंगा कभी इस बात को , ये तो कभी नहीं हो सकता । मैं तो कभी मान ही नहीं सकता हूं कि तुम और शादी नहीं करना चाह रहे थे । तू तो अब चुप ही रह ... मुं

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