अब आगे ...
तभी उनमें से प्रशांत एक दोस्त हंसते हुए बोल पड़ा — अगर अपनी भलाई चाहते तो ज्यादा बक - बक मत करो और अगर नहीं चाहते हो तो अपने चेहरे का नक्शा बिगडवाने के लिए रेडी रहना ।
अभी ये लोग अपने बातों में ही लगे हुए थे कि तभी वहां स्टेज पर प्रतिक्षा को लेकर उसकी सहेलियां पहुँच गयी । प्रतिक्षा तो सुंदर लग रही थी , लेकिन आज उसकी सहेलियां भी लड़को के दिलों पर बिजलियां गिरा रही थी ।
कुछ देर तक के लिए प्रशांत के कंवारे दोस्तों ने अपना सुध - बुध ही खो दिए थे । उन्हें तो एक बार के लिए लगा कि वो इंद्रलोक में पहुँच गए हैं । जहाँ एक से बढ कर एक सुंदर - सुंदर अप्सराएं अपनी मनमोहक अदावों के साथ अपनी नृत्य प्रस्तुत कर के , वहां पर विराजमान सभी लोगों मनमोह रही हैं ।
इन लोगों की ऐसी हालत देखकर प्रशांत के जो विवाहित दोस्त थे , वो इन सबको इनके सपनो की दुनिया से जबरन बाहर लाये | 😀
जब प्रतिक्षा प्रशांत के पास आ गई तो वरमाला की गई । उसके बाद सारे लोग खाना खाने गये ।
जब तक शादी की मुहर्तु नहीं हुई थी , तब तक प्रशात के दोस्त और प्रतिक्षा की सहेलियां मस्ती - मजाक में लगें पड़े थे ।
इस सब के बीच इस समय प्रशांत को घुटन सी महसूस हो रही थी । वो अभी समय का मारा हुआ बेचारा इंसान लग रहा था । वो बस अपने हंसते हुए दोस्तो को देख रहा था ।
कुछ देर बाद
पंडित जी के कहने पर प्रशांत और प्रतिक्षा को शादी के मंडप में लाया गया । सबसे पहले प्रशांत शादी को शादी के मण्डप में बुलाया गया और फिर जो - जो सस्में करनी होती है शादी से पहले होने वाले दुल्हे के साथ , वो की गयी । फिर प्रतीक्षा को मंडप में लाया गया । दोनों की शादी पंडित जी मंत्रोच्चारण के साथ , विधि पूर्वक किए । शादी खुशी - खुशी सम्पन्न हो गयी । अब बेला थी विदाई की ।
बाहर बैठे प्रशांत के डैड प्रतिक्षा के पापा से अपनी घड़ी में समय देखते हुए बोले — विदाई जितना जल्दी हो सके , आप उतना जल्दी अपने घर से कर दिजिए प्रतिक्षा की , क्योंकि विदाई की शुभ मुहूर्त बीता जा रहा है । हमें जाने में भी समय लगेगा और वहां भी बहु की गृह - प्रवेश शुभ बेला में ही करनी है ।
प्रतिक्षा के पापा कुछ बोले नहीं , वो बस हाँ में अपना सर हिला कर , भारी कदमों के साथ अंदर रोते हुई औरतों के पास आए और बोले — विदाई का समय हो गया हैं ... और इतना कह कर वो भी प्रतिक्षा को गले से लगा कर रोने लगे । कुछ देर तक वहां का माहौल बेटी को किसी और के हवाले सौपने के वजह से गमगीन था ।
क्रमशः