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तेरा फितूर जब से चढ़ गया रे ...— 5

5 सितम्बर 2022

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रात के 10 : 30 pm  हो रहा था । अब तक सब लोग अपने - अपने घर चले गए थे । लड़के वाले तो 06:00 - 06: 30 pm में ही चले गए थे ।  लेकिन प्रतीक्षा के घर आए अतिथि देर तक रहे । जिसके कारण प्रशांत के घर वालों को  अपने घर जाने में लेट हो गया  ।
      
खैर कुछ देर और रुकने के बाद प्रशांत के मॉम - डैड भी प्रशांत के साथ अपने घर के लिए वहां से निकल गए ।
      ऐसी ही एक माह निकल गया । 


  कुछ दिन बाद

         प्रशांत और प्रतिक्षा दोनों के घरों में अफरा - तफरी मची हुई थी और दोनों के घर मेहमानों से भरा हुआ था । कुछ मेहमान आ गए थे तो अभी कुछ बाकी थे दोनों के घरों में जोर - शोर से शादी की तैयारियां चल रही थी । 
     दोनों घरों में शादी से पहले होने वाली सारी रस्में पूरी हो गई थी ।  मेहंदी , हल्दी और संगीत । 
       फाइनली आज प्रशांत अपनी होने वाली दुल्हन को हमेंसा अपने साथ रखने के लिए , उसके घर उसे अपने साथ शादी करके लाने जा रहा था ।                
     आज इस वक्त प्रशांत के घर में चहल - पहल का माहौल था । सारे लोग रेडी हो रहे थे । प्रशांत भी बेमन से ही सही लेकिन , वह भी तैयार हो रहा था ।  उसके दोस्त उसे तैयार कर रहे थे और साथ ही साथ उसे छेड़े भी जा रहे थे । 
                    प्रशांत के घर
बारात निकलने से पहले जो - जो रस में होती है वह सब हो रही थी । सारे रस्म होने के बाद , प्रशांत की मॉम ने प्रशांत की नजर उतारी और काजल का टीका उसके कान के पीछे लगाई ,  ताकि उसको किसी की बुरी नजर ना लगे । हालांकि प्रशांत कोई ये सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है ,  फिर भी वो अपनी मॉम की खुशी के लिए ये सब कर रहा था , जो - जो उसकी मॉम उसे करने के लिए कह रही थी । आज प्रशांत की मॉम बहुत खुश थी । बीच - बीच में प्रशांत की डैड आकर औरतों से कह जा रहे थे कि , जो भी करना है  वो थोड़ा जल्दी - जल्दी किजिए आप लोग । बारात जब यहां से समय से निकलेगी , तभी हम वहां समय पर पहुंच पाएंगे । आज बहुत लग्न है इस वजह सड़कें पूरी तरह से गाड़ियों से भरी मिलेगी । प्रशांत के डैड की  बात सुनकर औरतें उनसे हर बार यही कह रही थी कि , हाँ - हाँ अब बस होने ही वाला है । 
       प्रशांत के डैड को यूं बार - बार ऐसे कहते सुनकर उसकी  मॉम उनसे बोली — आप परेशान मत होइए , बारात समय से निकल जाएगी यहां से । आप बस बाहर का देखिए ,  वहां सब ठीक है ना । जो - जो सामान रखना है , वो रखा गया है या नहीं । एक बार आप  जाकर चेक कर लीजिए । नहीं तो जब वहां कसी चीज की जरूरत पड़ेगी और लेने जाएंगे तो पता चलेगा कि , ये तो है ही नहीं । आप जाइए और ध्यान से एक बार चेक कर लीजिए ।
       कुछ देर बाद बारात प्रशांत के घर से निकल गई । रास्ते पर प्रशांत के दोस्त उसे छेड़ते रहे और वह उनको और उनके मजाक को सहते रहा । इस समय उसका मन कर रहा था कि , वह अपने सारे दोस्तों का बैंगन का भरता बना दे , लेकिन वह चाहते हुए भी ऐसा कुछ भी नहीं कर सकता था ।
       2 घंटा तक सफर करने के बाद , आखिर प्रशांत अपने ऊपर थोपी हुई मंजिल पर आ पहुंचा था । प्रतीक्षा के घर बहुत सारे लोग आए हुए थे । जब वहां के लोगों ने देखा की बारात आ गई है , तो वहां कुछ देर के लिए प्रतीक्षा के घरवालों में अफरा - तफरी मच गई ।
     सबसे पहले बारातियों के स्वागत के लिए , प्रतीक्षा के घर जितने भी पुरुष थे , उन सबको गेंदे के फूल की मालाएं दी गई और फिर सबको बताया गया कि कौन किसको माला पहनायेगा । फिर सब लोग बारातियों के स्वागत के लिए निकल गए ।  जिसको जिसे बताया गया था माला पहनाने को ,  वो सब  वैसे ही कीए और गले मिले । फिर  छोटे लोग वहां अपने से बड़ों का पैर छू कर प्रणाम किये । कुछ देर के लिए वहां हँसी की माहौल बना रहा । फिर सब लोग अंदर आ गए और सोफे पर बैठ गए ।  थोड़े देर बाद वहां दूल्हा के स्वागत के लिए औरते आरती की थाल लेकर बाहर आई ।
    सबसे पहले प्रतिक्षा की माँ प्रशांत की आरती उतार कर उसका स्वागत की और फिर बाकी की औरते की । फिर सबसे लास्ट मे प्रतिक्षा की माँ प्रशांत की नजर उतारी और वहां से अंदर चली गई  और प्रशांत वहीं अपने दोस्तो के साथ पंडाल में बैठ गया । 
          कुछ देर बाद प्रतीक्षा को वरमाला के लिए स्टेज पर लाया गया । आज प्रतीक्षा मरून कलर के लहंगा में बहुत प्यारी लग रही थी । प्रतीक्षा जब आ रही थी तो सबकी नजरें , उसी पर टिकी हुई थी । वह आज बिल्कुल किसी राजकुमारी की तरह लग रही थी । एक बार के लिए प्रशांत की नजरें भी उस पर टिक गई थी , लेकिन फिर वह अपनी नजरें उस से हटा लिया । प्रशांत को ऐसा करते देख कर उसके दोस्त उसे छेड़ते हुए बोले — क्या यार अरे देख लो -  देख लो यूं समझ लो इस समय कि हम सब तेरे पास नहीं है । तभी प्रशांत का एक दोस्त हँसते हुए धीरे से  बोला — यार तुम लोग भी जी भर के देख लो । सिर्फ आज ही तक ये ऑफर हमारे पास है । प्रशांत के दोस्त कि ये बात सुनकर उसके बाकी के दोस्त अपनी हंसी कंट्रोल करते हुए बोले — हम्म ये बात तो तुने बिल्कुल सही कहां । ये तो हमें बाद में देखने भी नहीं देगा । देखो कैसे अभी से हमारी इन बातों को सुनकर , हमे कैसे घुर रहा है ।
         


         









क्रमश:
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रचनाएँ
तेरा फितूर जब से चढ़ गया रे ...
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प्रशांत अपने ऑफिस में बैठे हुए बोर हो रहा था । आज ऑफिस में उतना काम नहीं था । वह कुर्सी पर बैठे हुए इधर-उधर ऑफिस में देख रहा था और अपने मन को बहला रहा था । आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था ऑफिस में । उसने एक बार फिर इधर - उधर देखा फिर वो सामने रखी प्रतीक्षा की फोटो  को   उठाकर देखने लगा । जिसमें प्रतीक्षा चांद को देख रही थी ।
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4 सितम्बर 2022
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