अब तक आपने देखा
तुम कोई मीठा चीज बना लो , जो तुम्हें पसंद आये और फिर वो प्रतिक्षा को बता दि कि कौन चीज कहां हैं और बाहर चली गयी , ये कह कर की , मेरी जब जरूरत हो तो बुला लेना । हिचकिचाना नहीं ... मैं यहीं हॉल में हूँ । ठीक है ना ...
अब आगे
जब प्रशांत की मॉम प्रतीक्षा को मिठा बनाने को कह कर किचन से बाहर चली गई । तब प्रतीक्षा बेसन का हलवा बनाने की सोची और उसने बेसन का का हलवा बना लिया । प्रतिक्षा जब हलवा बना ली , तो वो सोची की मॉम से पूछ कर कुछ और भी बना लेती हूं खाने में । यही सोचकर वो प्रशांत के मॉम को आवाज दी और जब वो आयी तो उसने प्रशांत की मॉम से बोला — मॉम ... मैंने मीठा में बेसन का हल्वा बना लिया हैं , कुछ और भी बनाना है तो बता दिजिए मैं बना लेती हूँ ।
प्रशांत की मॉम प्रतिक्षा की बात सुनकर मुसकुराते हुए उससे बोली — बेटा अभी आज के लिए तुम्हें बस यहीं बनना था । बाकी मैं देख लूंगी । तुम अभी इंज्योय करो ... और हाँ ... एक बात और भी कहनी है तुमसे — तुम प्रशांत के साथ ज्यादा रहो । तुम दोनों जितना एक - दूसरे के साथ रहोगे ... उतना ही अच्छा रहेगा तुम्हारे लिए और प्रशांत के लिए भी । प्रशांत का तुम ज्यादा ध्यान रखना ।
प्रशांत के मॉम के चेहरे पर ये बात कहते वक्त अर्थपूर्ण मुस्कान थी । प्रतिक्षा भी उनकी बात सुनकर — जी ... मॉम कह कर उनकी आज्ञा का पालन करी और किचन से बाहर निकल गई ।
प्रशांत की मॉम आज प्रशांत के पसंद की खाना बनाई । जो जो उसे पसंद था । क्योंकि बहुत दिनों से उन्होंने प्रशांत के लिए उसके पसंद का खाना नहीं बनाया था ।
वहीं प्रशांत आज लेट से उठा । रात को बालकनी में वो अच्छा से सो नही सका था । उसने पूरी रात करवटे बदल - बदल कर बिता था । सुबह में जब उसकी नींद खुली तो वो वहीं से खिड़की से अपने रूम में देखा , वहां उसे प्रतिक्षा नही दिखी तो वो बालकनी से अपने कमरे में आकर सो गया ।
प्राशांत की मॉम डाइनिंग टेबल पर सबको आने को कहा और साथ ही प्रतिक्षा से बोली की वो खुद जाकर प्रशांत को बुला लाये ।
क्रमश: