1 सितम्बर 2015
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आकाशवाणी के कानपुर केंद्र पर वर्ष १९९३ से उद्घोषक के रूप में सेवाएं प्रदान कर रहा हूँ. रेडियो के दैनिक कार्यक्रमों के अतिरिक्त अब तक कई रेडियो नाटक एवं कार्यक्रम श्रृंखला लिखने का अवसर प्राप्त हो चुका है. D
धन्यवाद, शालिनी प्रसाद जी एवं अवधेश सिंह भदौरिया 'अनुराग' जी !
10 सितम्बर 2015
किंतु लौटना पीछे पथ पर अरे, मौत से भी है बदतर। बहुत सुन्दर रचना |
10 सितम्बर 2015
प्रेणादायक
9 सितम्बर 2015