हिन्दी साहित्य के सृजन में श्री अशोक वाजपेयी जी का नाम अत्यंत सम्मान से लिया जाता है । 16 जनवरी सन 1941 को दुर्ग (मध्य प्रदेश) में जन्मे अशोक वाजपेयी कई वर्षों तक मध्य प्रदेश शासन भोपाल के संस्कृति एवं प्रकाशन विभाग में विशेष सचिव के पद पर सेवारत रहे । आपने ‘पूर्वग्रह’ पत्रिका का अनेक वर्षों तक सफल संपादन किया । आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं- शहर अब भी सम्भावना है, एक पतंग अनन्त में, कहीं नहीं वहीं, उम्मीदों का दूसरा नाम, कुछ रफू कुछ थिगड़े, दुःख चिट्ठीरसा है, पुरखों की परछी में धूप, अपनी आसन्नप्रसवा माँ के लिए, विदा, वे बच्चे, युवा जंगल, शरण्य, शेष, सद्य स्नाता, सूर्य, समय से अनुरोध' आदि । आप ‘दयावती मोदी कवि शिखर सम्मान’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘कबीर सम्मान’, ‘आफ़िसर ऑव द आर्डर आव आर्ट्स एंड लेटर्स (फ्रांस सरकार)’, ‘आफ़िसर ऑफ द ऑर्डर ऑव क्रॉस (पोलिश सरकार)’ तथा ‘भारत भारती सम्मान’ से अलंकृत हैं।
आपके साथ साझा कर रहे हैं उनकी एक सुन्दर कविता ‘युवा जंगल’...
एक युवा जंगल मुझे,
अपनी हरी उँगलियों से बुलाता है।
मेरी शिराओं में हरा रक्त बनने लगा है
आँखों से हरी परछाइयाँ फिसलती हैं
कंधों पर एक हरा आकाश ठहरा है
होंठ मेरे एक हरे गान में काँपते हैं---
मैं नहीं हूँ और कुछ
बस एक हरा पेड़ हूँ---
हरी पत्तियों की एक दीप्त रचना !
ओ जंगल युवा,
बुलाते हो
आता हूँ एक हरे वसंत में डूबा हुआ
आ∙ता∙हूँ...!
--अशोक वाजपेयी