“जिस दिन भारत के सभी लोग
अपनी पसंद से चुनी हुई सबकी बोली
हिन्दी को अपनी जानेंगे;
जानेंगे केवल नहीं, वरन आसानी से
हिन्दी में करके कामकाज सुख मानेंगे
बस उसी दिवस दासत्व न रहने पाएगा
बस उसी रोज़ सच्चा स्वराज्य आ जाएगा I”
(तमिल भाषा के साधक कवि गुरुनागर की पंक्तियों का राष्ट्रकवि डॉ. रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा हिन्दी
रूपांतरण)
साभार : हिन्दी मासिक पत्रिका 'मातृस्थान'