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-व्यंग

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 कैसे कटा 21 से 60तक का यह सफ़र,पता ही नहीं चला ।क्या पाया, क्या खोया,क्यों खोया,पता ही नहीं चला !बीता बचपन,गई जवानीकब आया बुढ़ापा,पता ही नहीं चला ।कल बेटे थे,कब ससुर हो गये, पता ही नहीं चला

🎏🎏🎏🎏🎏🎏नही अवतार  जीवन का ,समझ में भेद है  आता ।कभी दौर ए मोहब्बत में ,कहीं रंजिश है रह जाता ।बताकर के कभी ख़ंजर ,हृदय को भेद जाए तो ।नही हैरत जमाने में ,कहीं कुछ भी हो जाये तो ।।🎏🎏🎏�

नारी तुम केवल श्रद्धा हो? यह कह देना आसान है! जीते जी नारी को कब मिली है श्रद्धा? यह प्रश्न हमेशा मन में है? क्या सीता को रावण ने श्रद्धा से देखा था? या अवधपुरी के वासी ने? अहिल्या ने श्रद्धा कब पाई?

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मोबाइल ने छीन लिया, सब का सुख चैन। रहता है मोबाइल हाथ में, दिन और रैन। दादाजी का रेडियो छीना, दादी का स्वेटर।  पड़ोसियों को नहीं मिलता, गोसिप का मैटर।पापा के दोस्तों की महफिल छीनी, मम्

कक्षा 12 में शिक्षिका ने होम वर्क में "हम दोनों" पर एक पैराग्राफ लिखकर लाने के लिए कहा । आजकल बच्चे भी बहुत समझदार हो गये हैं । उन्हें कोई कन्फ्यूजन नहीं चाहिए इसलिए मैम से अपने सारे डाउट्स पहले ही क्

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सोचो एक दिन बरसने लगे, आसमान से मदिरा। भगदड़ मच जाएगी, कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा। कोई छतों पर कोई रोड़ पर, कोई बालकनी में आएगा। कोई लाकर ड्रम और पीपे, भर भर कर ले जाएगा। अरे यहाँ तो भीड़ लगी कहकर,

सखि, आजकल बुलडोजर के भाव आसमान में चढे हुए हैं । सीधे मुंह बात ही नहीं करती है वह । पता नहीं किस पर इतना घमंड करती है नासपीटी? शक्ल सूरत भी तो माशाल्लाह है और डीलडौल तो "टुनटुन" को भी मात करता है

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मन मनमौजी, कुछ भी सोचता है।बेगानौं की महफ़िल में, खुद को खोजता है।ढूंढता है शुकून, गमों के सागर में।झलकाता है आंसू, भरी हुई गागर में।सुनाता है दास्तां, नफ़रत से भरे लोगों को।अपनों का नह

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कलयुग है भाई,घोर कलयुग आया है।लेकिन स्त्रियों के लिए तो,कलयुग हर युग में छाया है।त्रेता युग में रावण,सीता को उठाकर ले गया था।और फिर शुरू,राम और रावण का युद्ध हुआ था।लौट कर आईं सीता माता, तो श्रीर

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सोचो अगर ऐसा हो जाए, आसमान रोटियाँ बरसाए। कैसा होगा वह नजारा, सोचो सोचो फिर दोबारा। भूखा कोई रहेगा नहीं, मारा मारा फिरेगा नहीं। मजदूर थककर घर जाएंगे, पेट भर कर खाना खाएंगे। महिलाओं को मिलेगी फुर्सत, र

      मेरी इच्छा कभी पूर्ण न हो    सदैव आपकी ही इच्छा पूर्ण हो   क्योंकि... मेरे लिए क्या सही है      ये मुझसे बेहतर आप जानते हो..हे मेरे गोविंद...&nb

तस्वीर में चित्रित नारी की आंखों में कैसी पीड़ा थी! दर्द छुपा था आंखो में होंठों पर मुस्कान खिलीं थी! मन में दर्द लिए नारी जब ऊपर से मुस्काती है!! मन की पीड़ा चेहरे पर अपनी झलक दिखलाती है! चित्रकार ने

सखि, बड़ा आनंद आ रहा है । बड़े बड़े अजूबे हो रहे हैं इस देश में आजकल । कहीं पर सी बी आई की टीम को स्थानीय पुलिस गिरफ्तार कर रही है तो कहीं पर एन सी बी के दफ्तर को एक मुख्यमंत्री अपने समर्थकों के

सखि, आज बड़े असमंजस में हूं । असमंजस यह है कि बड़े लोग बातें भी बड़ी बड़ी करते हैं मगर उनके काम उतने ही गंदे होते हैं । जितने भी लोग IAS बनते हैं और उनका साक्षात्कार आता है तब वे बड़ी बड़ी बातें

स्त्री यदि बहन हैतो प्यार का दर्पण है |स्त्री यदि पत्नी हैतो खुद का समर्पण है |स्त्री अगर भाभी हैतो भावना का भंडार है |मामी मौसी बुआ हैतो स्नेह का सत्कार है |स्त्री यदि काकी हैतो कर्तव्य की साधना है|स

      माँ संवेदना हैं, भावना हैं, अहसास हैं माँमाँ जीवन के फूलों में खुशबू का वास हैं माँमाँ रोते हुए बच्चें का खुशनुमा पलना हैं माँमाँ मरुथल में नदी या मीठा सा झरना हैं माँमाँ लोर

जिंदा तो हर औरत में है लेकिन जन्म बच्चे के साथ ही लेती हैअद्वितीय सी शक्ति स्वयं अपने आप में भर लेती हैनौ महीनों के अकल्पनीय अकथनीय अहसास जब उसके शिशु के रूप में बाहर निकलते हैंउसके सुबह-शाम दिनरात पू

      माँ माँ ऐसा शब्द है जिसको मैं अपनी कलम से पूरा कर ही नही सकती!माँ की ममता को शब्दों में बांधना नामुमकिन है!हर माँ में भगवान् की छवी होती है। अगर आप माँ की सेवा नही करते तो आप

माँ ....... क्या लिखूँ माँ के लिए                   माँ ने खुद मुझे लिखा है !    माँ संवेदना है            &n

दुनिया में सबसे प्यारा शब्द होता है मां,सबसे छोटा और सबसे अनोखा शब्द होता है मां,हर किसी को जन्म देती है मां,खुद गीले में सोती है बच्चे को सूखे में सुलाती है मां, अपनी ममतामई छाया बरसाती है मां,ब

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