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यादें...2015 बैच 2nd पार्ट

27 अक्टूबर 2021

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बाद मे पता चला कि हमारे ही ग्रुप का एक प्राणी पहले ही सबके विकेट गिरा चुका था कॉलेज टाइम मे ही,अरविन्द वो खास इंसान।(अरविन्द झरा)
इसमें खास बात ये रही कि सबके इतना मेहनत करने पर भी वो इंसान बाजी मार गया जिसे किसी को उम्मीद ही नहीं थी।
आज भी हमारे कुछ फ्रेंड कि जल जाती है जब उन्हें साथ मे देखते है।और सुनने को तो ये भी आ रहा है कि ये लोग शादी भी कर रहे है शायद।
मात्र इतनी खबर से ही अजय जो की ज्यादा योग्य था शायद इसके लिए,आज भी सदमे मे है।भाई ने इसके लिए कितने ब्रत और दुवाएं मांगी होंगी।ये दुःख हम्म समझ सकते है।

लेकिन एक बात खास है कॉलेज से निकलने के इतने साल बाद भी हमारे बीच कुछ नहीं बदला,वो दोस्ती आज भी वैसे ही है। आज भी जब भी हमारा ग्रुप एक साथ होता है उस खास शक्श का नाम मात्र ले लेने से सारे दोस्तों में ख़ुशी कि लहर दौड़ जाती है।
कॉलेज के टाइम मे फनी ये भी था कि जिस नाम के लोग एक से ज्यादा हो उनके नाम कुछ इस तरह से रखे जाते थे...अरविन्द पच्चीसी,अरविन्द सुर्तीवाला,अरविन्द झरा,गोविंदा,राहुल बजरंगी ये सारे फनी नाम आज भी हमारे मस्तिष्क मे ताज़ा है।
इतनी अच्छी यादें मिली है हमें जो हम कभी नहीं खोना चाहेंगे।
Congratulations Dosto...तुम्हारी यादें आज भी ताज़ा है।
लेकिन आज भी वो दिन याद आते है। जब क्लास टाइम जो भी सीखने को मिला उन टीचर्स से वो लाजवाब अनुभव रहा,जमाल सर का प्रैक्टिकल लैब,आफताब सर का फिजिक्स का प्रेक्टिकल बहुत याद आते है वो दिन। बहुत मिस करते है उन टीचर्स को उन दोस्तों को जो शायद कॉलेज के बाद दोबारा मिले ही नहीं...हमारे केमिस्ट्री टीचर जमालुद्दीन अंसारी(जमाल सर),फिजिक्स टीचर आफताब सर,इंग्लिश लेक्चरर आफताब कमाल सर,हिंदी टीचर लक्ष्मी नारायण पाण्डेय, ब्रिजभान सर,मैथ टीचर जैनुल सर,अहमद कमाल सर,आसिफ सर।
ये वो नाम है जिनको हम ताउम्र मिस करेंगे।
मिस यू सर....
मिस यू दोस्तों....

त्रिभुवन गौतम s\o शिव लाल
शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश इंडिया।
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रचनाएँ
यादें...2015 बैच
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दोस्तों आज कि कहानी में मैं आपको एक फनी मोमेंट के बारे मे बताता हूँ.... बात हमारे कॉलेज एम•आर• शेरवानी इंटर कॉलेज सल्लाहपुर इलाहबाद जो अब प्रयागराज हो गया है तब कि है। हम 2015 बैच के स्टूडेंट थे कॉलेज मे हमारा लास्ट ईयर था।सारे स्टूडेंट अपनी तैयारी में थे और हम भी। कॉलेज में कुछ स्टूडेंट का फ्रेंड ग्रुप हुआ करता था जिसमें मैं और हमारे फ्रेंड भी थे। फ्रेंड ग्रुप मे-त्रिभुवन,नीरज,अजय,सत्यम,शिवम,अभिषेक,विकास,शुभम, राजभवन,मुकुल,राहुल,ऋषि,आकाश,अरविन्द,गोविन्द और भी काफी फ्रेंड थे।कुछ के तो अभी नाम ही याद नहीं आ रहे(माफ़ करना भाई अगर कोई छूट गया हो तो)। सारे स्टूडेंट अपने बोर्ड एग्जाम मे व्यस्त थे लेकिन उसमें कुछ ऐसे भी थे जिसमें जिसे कॉलेज छोड़ने से ज्यादा किसी और चीज़ का भी दुःख था। हमारे कॉलेज मे ही हमारे ही कॉलेज का गर्ल्स कॉलेज तारा रशीद गर्ल्स इंटर कॉलेज के कुछ साइंस स्टूडेंट हमारे साथ भी पढ़ने आ जाया करते थे जो सिर्फ फिजिक्स,केमिस्ट्री और मैथ पढ़ने। बस उसमें से कुछ गर्ल्स पर हमारे ग्रुप के कुछ लौंडो की किडनी आए दिन धड़कती रहती थी।उस टाइम सपने भी कुछ अलग हुआ करते थे। ऊपर से जैनुल सर का रौद्र रूप भी देखने को मिलता था।जो लड़कों को पीटने मे अव्वल थे एक छोटी सी गलती मात्र से उनके हाथ के थप्पड़ खाना आम बात हुआ करती थी। इन सब बातों को छोड़ दे तो उसमें से एक स्पेशल थी(सॉरी नाम नहीं लूँगा)।जिसपर हमारे ग्रुप के कुछ खास स्टूडेंट अजय(4 स्टूडेंट),अभिषेक,अरविन्द(5 स्टूडेंट),गोविन्द,मुकुल, ये कुछ स्पेशल नाम है और शायद त्रिभुवन भी। फर्स्ट कक्षा मे जब एल • एन • पाण्डेय सर हाजरी लगाते तो सबकी नज़र बाहर खिड़की की तरफ ही होती कि कब वो आएगी और हमें कुछ अच्छा देखने को मिलेगा। यही सब करते करते ना जाने कितने महीने यहाँ तक कि साल गुज़र गए।इसमें से कुछ स्टूडेंट तो उसके घर के चक्कर भी लगा चुके थे। ये सब करते करते एक दिन हमारा सेसन कम्पलीट हो गया सारे स्टूडेंट कॉलेज से बिदा ले लिए।और किसी ना किसी यूनिवर्सिटी मे एडमिशन ले कर अपने आगे कि पढ़ाई मे व्यस्त हो गए। लेकिन वो खास शख्स हमारी जेहन मे आज भी ताज़ा है। बाद मे पता चला कि हमारे ही ग्रुप का एक प्राणी पहले ही सबके विकेट गिरा चुका था कॉलेज टाइम मे ही,अरविन्द वो खास इंसान।(अरविन्द झरा) Iske Aage ka 2nd part me....

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