" इन आंखों को तलाश तेरी"😏😏😏
राधा और यश अब फार्म हाऊस के अन्दर पहुंच गए हैं।
दोनों ही डेकोरेशन करने के लिए बेताब हो रहे है।
राधा- वाउ, कितना बड़ा है ये हाउस! इमेजिंग, जल्दी ही डेकोरेट करना चालू कर देते है, आज जल्दी घर जाना है मुझे?
यश- क्यों? क्या काम है तुम्हे?
राधा- वो, मेरी सिस्टर विशाखा अकेली है घर में इसलिए।
यश- ठीक है, चलो डेकोरेट करते है हाऊस को,फिर तुम्हे मै, तुम्हारे घर ड्राप कर दूंगा।
राधा और यश एक साथ फार्म हाऊस को डेकोरेट करने में जुट गए।
विशु कि नजरे रूपेश को तलाश रही हैं। थोड़ी ही देर बाद रूपेश पहुंच जाता हैं विशु के पास।
विशु को देखकर रूपेश उसे देखते रह जाता हैं, और विशु भी रूपेश को देखकर खो गई।
लगभग 01 बज गया है।
रूपेश- स्वर्ग की देवी, अब खड़ी ही रहोगी या कार में बैठने कि कृपा भी करोगी?
विशु हंसते हुए- बैठ रही हूं स्वर्ग के देवता।
दोनों हंसते हुए डेट पर जा रहे हैं।
रूपेश एक बहुत ही खूबसूरत होटल के सामने कार रोकता हैं। विशु देखती है कि इस होटल के चारो ओर गुलाब ही गुलाब है! विशु ( मुस्कुराते हुए)- बहुत अच्छा दिख रहा है ये होटल , ऐसा लग रहा है जैसे मै सपनों की दुनिया में पहुंच गई हूं, आई एम वेरी हैप्पी।
रूपेश कार को पार्किंग साइड करके विशु के पास आता है।
रूपेश- सपना हो या सच, तुम और मै, एक दूसरे के लिए ही बने है। हमें कोई अलग नहीं कर सकता।
रूपेश प्यार से विशु का हाथ पकड़ कर होटल के अंदर ले जा रहा है।
यश- ओह, मिस ब्यूटी! यहां इस कलर का ब्लू फ्लॉवर अच्छा दिखेगा?
राधा- ये तो मुझे भी पता है, एक मिनट रुकिए।
राधा अपने हाथ में ब्लू कलर का,गुलाब का गुलदस्ता लेकर आती है जिसे देखकर यश ख़यालो में खो जाता हैं ( काश रिया के जगह राधा होती तो कितना अच्छा होता? हे भगवान जी, मुझे अपनी राधा का प्यार दिला दीजिए। प्लीज़ गोड, हेल्प मी? इस भूखी शेरनी को कैसे, एहसास दिलाऊ अपने प्यार का?)
राधा, यश को गुलदस्ता दिखाते हुए- देखिए, ये परफेक्ट रहेगा यहां पर रखने के लिए। गेस्ट्स जैसे ही हाउस के अंदर आएंगे ये गुलदस्ता दिखेगा जो ब्लू और हल्का गोल्डन कलर का चमकीला और रोमांटिक दिख रहा हैं। अभ्रक के लगने से ये गुलदस्ता और भी ज्यादा खूबसूरत……
यश, राधा के ख्यालों में खोया हुआ हैं और धीरे से कहता है- ये गुलदस्ता क्या चीज है, तुम मुझे मिल जाओ तो! अपनी जान वार दू, जानेमन।
राधा (हैरानी से)- क्या बोला आपने?
यश (होंश में आकर)- कुछ नहीं, वो एक मूवी का डायलोक याद अा गया था, सॉरी। तुम अपने काम पर ध्यान दो, मुझे भूख लग रही है। जल्दी से डेकोरेट करके किसी होटल में चलकर खाना खा लेंगे।
राधा- ओके सर।
दोनों डेकोरेशन करने लगते है।
विशु को आज एहसास हो रहा हैं कि प्यार वो चीज है जो हर इंसान को बदल कर रख देती हैं। प्यार अगर मिल जाएं तो जिंदगी सवर जाती हैं और अगर ना मिले तो उसकी यादे हमें टूटने नहीं देती बल्कि हमें मजबूत बनाती हैं। प्यार पाना हर इंसान कि किस्मत में नहीं होता है। जिन्हें अपना सच्चा प्यार मिलता है वो लाखो में नहीं करोड़ों में एक होते हैं।
रूपेश को यकीन नहीं हो रहा हैं कि आज उसके सपनों की रानी, खुद उसी के हाथ में हाथ डाल कर, उसी के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है । रूपेश को अपना पहला और सच्चा प्यार मिल गया ये वाकई बहुत बड़ी बात है।
( हम जिसे दिल से चाहते है, चाहे वो मां- बाप हो या भाई, बहन या कोई और, वो लोग हमें हिम्मत देते हैं और रास्ता दिखाते हैं। अगर इस दुनिया में प्यार नहीं होता तो, ना जाने कौन हमारी केयर करता? कौन हमारे चेहरे में मुस्कुराहट लाता?कौन हर मुश्किल समय में हमारा साथ देता । सच में प्यार करने वाले लोग, बड़ी किस्मत से मिलते है।)
रूपेश और विशु डायनिंग टेबल पर बैठ जाते है और दोनों आमने- सामने बैठ कर एक दूसरे को देख रहे है।
वेटर- क्या लेंगे आप दोनों?
रूपेश- क्या ऑर्डर करने का मन है तुम्हारा, स्वीटहार्ट?
विशु मुस्कुरा कर- दो कप, कॉफी बस और कुछ नहीं ।
वेटर कॉफी लाने चला जाता हैं।
रूपेश एक अंगूठी निकालकर- देखो स्वीटहार्ट। ये तुम्हारे लिए हैं प्लीज़ मना मत करना! तुम्हे पहना कर ही रहूंगा , अभी।
विशु- लेकिन……
रूपेश- लेकिन - वेकीन कुछ नहीं। तुम लड़कियां ना जाने किस मिट्टी की बनी होती हो, जब देखो तब बहाना बनाकर तुम मुझसे दूर रहने कि कोशिश करती रहती हो।
विशु कि आंखो में आंसू आ गए।
रूपेश सॉरी बोलकर, विशु के नजदीक जाता हैं। विशु अपने आंसू पोछ लेती है।
विशु अपना हाथ आगे बढ़ाती हैं। रूपेश उसे रिंग पहना देता हैं जो हल्का पिंक और ब्लू कलर का, रियल डायमंड रिंग है।
विशु बहुत खुश हो जाती हैं और रूपेश को देख कर मुस्कुरा रही हैं। आज उसे बहुत अच्छा लग रहा है रूपेश के साथ।
रूपेश- क्या जरूरत हैं तुम्हे रोने की?
विशु- कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आ गए थे, आज मै बहुत खुश हूं। अपनी लाइफ का सबसे बड़ा तोहफ़ा, तुम और तुम्हारा प्यार मिला है मुझे। मै बहुत लकी हूं जो मुझे तुम्हारे जैसा ……
वेटर- ये लीजिए, सर एंड मैम ", गरम -गरम कॉफी पीजिए।"
वेटर कॉफी कि ट्रे रखकर चला जाता हैं।
विशु को रूपेश कॉफी का कप देता हैं और दोनों कॉफी पी रहे हैं एक दूसरे को देखते हुए।
प्रेमा रेड कलर की साड़ी पहनी हुई हैं और सुलेख के पास जाती हैं।
प्रेमा- चलिए, एंगेजमेंट की रिंग लेने। कही देर ना हो जाए? शाम होने के पहले रिंग को लाकर ,अपने रूम के लॉकर में रख दूंगी ताकि कल, सबकुछ आराम से हो जाए।
सुलेख प्यार भरी नजरो से प्रेमा को देखकर- वाह! क्या बात है? बहुत सुंदर लग रही हो रेड कलर की साड़ी में। मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे हमारी फिर से शादी हो रही हो।
प्रेमा- ये सब छोड़िए, जल्दी चलिए। बाकी बाते घर में करते रहेंगे। अभी रिंग इंपॉर्टेंट है।
प्रेमा और सुलेख हंसते हुए घर के बाहर आते है घर को लॉक करके। दोनों कार में बैठाकर,ज्वैलरी शॉप जा रहे हैं।
यश और राधा डेकोरेशन कर रहे है। विशु और रूपेश अपना फर्स्ट डेट इंजॉय कर रहे है।
आगे की कहानी अगले पार्ट में।
क्या लवली जान पाएगी विशु और रूपेश के प्यार को?