"इन आंखों को तलाश तेरी"😏😏😏
अब आगे–:
रिया को वो वॉच हर हालत में लेना था क्योंकि वो उस वॉच को यश को देना चाहती हैं। मगर राधा ने उससे पहले उस वॉच को सेलेक्ट किया है लेकिन रिया उसके साथ बुरा व्यवहार करती है। जिसे देखकर हरकेश उसके पास अा जाता हैं और कहता है-
हरकेश- मैंने देखा है राधा ने तुमसे पहले ये वॉच सेलेक्ट किया है, और तुम तो कोई और वॉच पसन्द कर रही थी तो क्यों फालतू में राधा से झगड़ा कर रही हो?
रिया- ओहो नाम तो अच्छा है इस लड़की का, "राधा"" । लेकिन मुझे इससे कोई मतलब नहीं और मै किसी के साथ लड़ाई नही करना चाहती हूं इसलिए बोल रही हूं राधा कोई और वॉच पसन्द कर ले? क्योंकि ये वॉच तो मै लेकर ही रहूंगी।
राधा- लेकिन मै इसे अपने पापा के लिए लेने अाई हूं और ऐसा दूसरा वॉच नहीं है तो आप किसी और दिन ये वॉच खरीद लीजिएगा? मुझे बहुत काम है मै इसे खरीद रही हूं।
राधा अपने पर्स से पैसे निकालकर वॉच सेलर को दे देती हैं और वहां से जाने लगती है। तभी……
रिया- तुम को मै ये वॉच लेकर यहां से इतनी आसानी से जाने नही दूंगी। रिया आगे बढ़ कर का हाथ जोर से पकड़ लेती हैं तभी……
हरकेश- तुम ये ठीक नहीं कर रही हो राधा सीधी -साधी लड़की है इसका तुम गलत फायदा उठा रही हो….
तभी रिया बीच मे ही बोलने लगती है-:
ओहो तो तुम अपनी गर्ल फ्रेंड को समझा क्यों नहीं देते कि वो मुझे वॉच दे दे, भले ही तुम उससे कितना भी प्यार करते होगे लेकिन ये वॉच तो उसे तुम भी नहीं दिला पाओगे क्योंकि मै इस दो टके की लड़की से कोई मतलब नही रखती हूं और ये वॉच तो मेरी ही होगी, मुझे तुम लोग नही जानते मै रिया शेखावत हूं मेरे पापा बहुत बड़े बिजनेस मेन है और मै जिसे चाहूं ले सकती हूं और तुम चाहो या ना चाहो मै छीन लूंगी ये वॉच।
तभी रिया को यश का कॉल आया..
यश- हेल्लो, तुम कहीं भी हो जल्दी से घर अा जाओ तुम्हारे मॉम– डैड आए हैं और तुहरी मॉम कि तबियत अचानक ख़राब हो गई वो बेहोश हो गई हैं और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट किए हैं, घर जल्दी से आ जाओ मै तुम्हे लेकर हॉस्पिटल चलूंगा। और तुम्हारा वेट कर रहे है ,ओके बाय।
कॉल कट कर देता हैं यश।
रिया कुछ बोल नहीं पाती हैं। वो डर जाती है और वॉच के तरफ उसका ध्यान नहीं जाता वो सीधे पार्किंग साइड आकर अपने कार में बैठ गई और चली गई।
राधा- चलो ठीक है , अब ये बला टली मुझे बहुत सारा काम है कुछ फाइल्स देखना है किसी कंपनी में जॉब करने के लिए तैयारी करनी है अब कॉलेज की पढ़ाई पूरी भी हो जाएगी और पापा की तबियत ठीक नहीं है इसलिए मुझे बड़ी बेटी होने के नाते अपने पापा की हेल्प करनी चाहिए। जॉब से जो भी सैलरी मिलेगी उससे घर का अरेंजमेंट करूंगी और फिर अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करूंगी।
हरकेश- बहुत अच्छा ख्याल है तुम्हारा, तुम्हे जॉब जल्दी ही मिल जाएगी इसकी चिंता मत करो ,और मुझे भी बहुत से काम है और फिर आज तुम्हारे घर डिनर करने भी तो आना है ना।
राधा को हरकेश अपनी बाइक से उसके घर पहुंचा देता है और बाय बोलकर चला जाता हैं।
अब राधा अपने पापा को वो वॉच देती हैं।
बंशीधर- तेरी जैसी बेटी शायद ही मिलती हैं किस्मत से। (अचानक उन्हें बहुत खांसी आने लगती है और वो बेहोश होकर गिर जाते है)।
राधा- पापा क्या हो गया आपको, आप ठीक तो हैं ना?
मॉम जल्दी आइए देखिए पापा बेहोश होकर गिर गए और कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।
लीला नीचे आती हैं फिर एम्बुलेंस को कॉल करती हैं थोड़ी देर बाद एम्बुलेंस पहुंच जाता हैं राधा के घर के बाहर। नर्स देखती हैं तो बंशीधर के मुंह से थोड़ा ब्लड निकल रहा था फिर कुछ हॉस्पिटल वर्कर स्ट्रेक्चर में बंशीधर को लिटा देते हैं और एम्बुलेंस में लेकर सीधे हॉस्पिटल जाते हैं अब घर में सिर्फ राधा थी लीला ही अकेले चली गई थी बंशीधर के साथ ।
हॉस्पिटल के अंदर बंशीधर को स्ट्रेक्चर के सहारे लाया गया और उसे एमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट कराया ।
फिर डॉक्टर जाते हैं पेशेंट को देखने।
लीला कॉल करती हैं राधा को-
हेल्लो, सुनो तुम डिनर कर लेना और सो जाना मै यहीं तेरे डैड के पास रहूंगी। कुछ बात होगी तब तुम्हे कॉल करूंगी ओके बाय गुड नाईट।
राधा कुछ भी बोल नहीं पाती हैं पापा को उसने जो वॉच दिया था वो टेबल पर रखा था, राधा वॉच को लेकर अपने रूम में चली गई और उसे अपनी एक पिंक कलर के बॉक्स में रखकर किचन में चली गई।
हॉस्पिटल में-
डॉक्टर देखते हैं कि शायद ही ये बच पाएंगे क्योंकि ये बहुत ही कमजोर दिल के है और इन्हें बहुत खांसी अा रहा था। जिसकी वजह से इनके मुंह से थोड़ा ब्लड निकल रहा था। तभी बंशीधर कि सांसे तेज़ हो गई ,उनको ऑक्सीजन मास्क पहनाया गया ।
फिर बेहोश हो गए। कुछ भी बोल नहीं पा रहे है यहां तक कि वो अपने हाथ को भी हिलाने में असमर्थ हो गए है।
फिर शाम हो गई थी। राधा ने डिनर के लिए खाना बना लिया था लेकिन उसका मन खाने का नहीं था।
तभी घर का डोर बेल बजता है।
राधा दरवाजे के पास जाकर पता नहीं कौन आया है इस टाइम, तभी उसको याद आता है कि हरकेश को मैंने डिनर पर बुलाया था।
दरवाजा खोलते ही उसे सामने मुस्कुराता हुआ हरकेश दिखता है।
हरकेश- हेल्लो राधा, तुम्हारे चेहरे में उदासी क्यों है?
राधा अपने पापा के बारे में बता देती हैं और बोलती है कि उसे अपने पापा की याद आ रही हैं। उसका मन खाना खाने का नहीं है वो हॉस्पिटल जाने के लिए बेताब हो रही ।
हरकेश चलो मै लेकर चलता हूं।
राधा- मॉम ने कहा है डिनर करके सो जाना। अगर वो गुस्सा हो गई तो?
हरकेश सोचते हुए बोला –ओके बाय मै कल जाऊंगा तुम्हारे साथ हॉस्पिटल। गुड नाईट।
राधा बोलती है-" कम से कम डिनर कर लो मेरे साथ?
ओके चलो डायनिंग टेबल पर।"
दोनों एक साथ डिनर करते हैं। राधा को परेशान होते हुए देख कर हरकेश को अच्छा नहीं लग रहा था।
फिर गुड नाईट बोलकर हरकेश चला जाता है और अब राधा सोने की कोशिश कर रही है लेकिन उसकी आंखों से नींद गायब हो गई हैं।
अब आगे की कहानी अगले पार्ट में......