"
इन आंखों को तलाश तेरी"😏😏😏
अब आगे.....
कार को एक पार्क के गेट के पास रोकते हुए रुपेश, विशु को देखता है।
" चलो कुछ बात करनी है मुझे तुमसे।" उसने कहा तो विशु ने सहमति में सिर हिला दिया।
दोनों कार से उतर कर हाथों में हाथ डाले पार्क के अंदर चले गए। लेफ्ट साइड बेंच पर जाकर दोनों बैठ गए।
" कल मेरी इंगेजमेंट है उस लवली के साथ। मैं मॉम एंड डैड को बोल चुका हूं कि मैं उससे शादी नहीं करना चाहता लेकिन दोनों ही तैयार नहीं हैं। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं?" रूपेश ने मायूस होकर कहा।
" अंकल एंड आंटी अगर इस रिश्ते से खुश हैं तो......।"
" और क्या मैं खुश हूं? तुम खुश हो?" बीच में ही उसकी बातों को काटकर रूपेश बोला।
विशु ने निराशा जताते हुए " न" में सिर हिला दिया।
" एक रास्ता है जिससे मैं इस शादी से बच सकता हूं।" रूपेश ने उसका चेहरा देखते हुए कहा।
" कैसा रास्ता?" विशु बोली।
फिर रूपेश ने जो रास्ता बताया उसे सुनकर विशु के चेहरे पर हजारों परेशानियों वाली लकीरें खींच गई।
यश चोर नज़रों से राधा को देखते हुए खाना खाए जा रहा हैं। राधा बस खाने में मशगूल हैं क्योंकि उसे जोरों कि भूख लगी हुईं है। थोड़ी देर बाद यश अपना खाना फीनिश करके टिश्यू पेपर से अपना हाथ पोंछते हुए राधा को देखता है तभी राधा कि नजरे , यश कि नजरो से टकराकर
नीचे झुक जाती हैं। तभी यश के मोबाइल का रिंगटोन बजता है।
" अरे रे मेरी जान हैं राधा,
तुझपे कुर्बान मैं राधा,
रह न सकूंगा तुमसे दूर मैं....।"
" एक्सक्यूज़ मी ! थोड़ी देर में आता हूं। तुम अपना खाना आराम से खाओ।" कहते हुए यश, राधा के रिस्पॉन्स देने से पहले उठा फिर वहां से बाहर गेट से होते हुए लेफ्ट साइड चला गया। राधा उसे जाते हुए देखते रह गई।
" हाय रिया! क्या हुआ?" कान के पास मोबाइल ले जाते हुए यश बोला।
" वो न यश एक्चुअली मैं तुमसे मिलना चाहती हूं। एक ज़रूरी बात तुम्हें बतानी थीं मुझे।" रिया कि बर्फ-सी सर्द आवाज़ यश को सुनाई दी।
" सॉरी! अभी तो बहुत बीजी हूं। तुम्हें तो पता ही है ना कि कल रूपेश कि इंगेजमेंट है। अब कल मिलते हैं।" कॉल कट करने को उद्यत हुए यश ने कहा।
" नो यार! कल तो सब लोग होंगे न? हम अकेले में नहीं मिल सकते है क्या?" रिया ने पूछा।
" अकेले में बट व्हाई?" यश ने लरजते हुए स्वर में कहा।
" यश बेबी! कुछ बातें सिर्फ़ अकेले में ही हो सकती हैं समझें? चलो कल मिलते हैं लेकिन प्रॉमिस करो कि मुझे लॉन्ग ड्राइव पर लेकर जाओगे?" जिद भरी आवाज़ में रिया बोली।
" ओके, आई प्रॉमिस यूं। अब खुश?" यश चिढ़ते हुए बोला।
" या! आई एम वेरी हैप्पी।" रिया ने खुश होकर कहा।
" ओके बाय! फ्री होकर कॉल करता हूं।" यश ने कहा तो रिया का मुंह फूल गया।
" क्या यार! कम से कम 10 मिनट ही ठीक से बात कर लिया करो।" वो बोली।
यश सोच 🤔रहा है कि कैसे इस छिपकली 🦎को गुड बाय बोलूं? 🤪
इधर राधा खाना फीनिश करके यश कि राह देख रही हैं।
वेटर बिल पेपर लेकर राधा के पास आता है।
" मैम! टोटल 2,500₹ हुए। बिल कांउटर पर जाकर आप बिल पे कर दीजिए।" कहकर वो चलता बना।
राधा गेट कि ओर देखती है लेकिन यश दिखाई नहीं देता।
वो उठकर बिलिंग काउंटर पर जाती हैं।
प्रेमा और सुलेख भी खाना फीनिश करते हैं और वेटर बिल पेपर उनके सामने टेबल पर रख देता है।
" मैं बिल पे करके आता हूं।" सुलेख उठते हुए बोले और बिलिंग काउंटर कि ओर चल दिए।
" मेरे पास सिर्फ 500₹ हैं तो क्या मैं बाद में बाकी कि पेमेंट कर सकती हूं।" राधा ने पूछा।
" मैम! जब आपके पास पैसे नहीं है तो क्यों आई है आप यहां? ये होटेल हाइप्रोफाइल पर्सन्स के लिए है। मिडिल क्लास वालों के लिए नही।" काउंटरर बॉय ऐसे बोला मानों सामने कोई भिखारी खड़ा हो। राधा के स्वाभिमान को ठेस पहुंची।
" ये क्या तरीका है बात करने का? किसी के दिल को ठेस पहुंचाने के लिए ही ये होटेल चला रहें हैं क्या आप? उनके पास नहीं है इतने पैसे तो क्या हुआ? मैं बिल पे कर देता हूं।" सुलेख ने राधा को देखने के बाद उस काउंटरर को घूरते हुए कहा। उन्होने बिल पे किया।
" आपको जितना भी शुक्रिया बोलूं कम है। आपने मेरे स्वाभिमान कि रक्षा की है। तहे दिल से धन्यवाद आपका।" राधा गदगद कंठ से बोली। सुलेख में उसे अपने पिता बंशीधर मुस्कुराते हुए नजर आए। राधा थोड़ी इमोशनल होकर एकटक सुलेख को देखे जा रही हैं।
" तुम मेरी बेटी समान हों। और ये तो फर्ज बनता है हमारा कि किसी के मददगार बनकर मुसीबत में फंसे व्यक्ति कि मदद करें। तुम रो क्यों रही हो?" राधा के आंखो में आंसू देखकर सुलेख ने पूछा।
" ये तो खुशी के आंसू है अंकल। चलती हूं फिर कभी आपसे मुलाकात होगी तो जरूर आपको अपने बारे में बताऊंगी।" राधा आंखो से आंसू पोंछतें हुए बोली और वहां से बाहर गेट कि ओर चली गई।
" ओ हेल्लो! कितनी देर से मैं ही बातें किए जा रही हूं। तुम भी कुछ अपने मन से बोलो यश।" रिया बोर फील करती हुई यश से बोली।
" क्या बोलूं? यार अब मुझे भूख लगने लगी है।"साफ झूठ बोलते हुए यश ने कहा।
इधर राधा कि नजर यश पर पड़ी। यों आराम से फोन पर किसी से बात करते यश को देखकर राधा के पूरे शरीर में आग लग गई। वो पैदल सड़क पर चले जा रही थी। फिर से उसकी आंखें आंसुओ से तर होने लगी।
उसका ध्यान नहीं गया उस ट्रक पर जो उसी कि ओर आ रही हैं। झटके से किसी ने राधा के कंधे को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और राधा होश में आई।
" क्या हुआ आप किस लड़की से बात कर रहे थे?" राधा और सुलेख को बाते करते हुए देख चुकी प्रेमा ने पूछा।
" वो एक लड़की थीं बेचारी। बिल पे करने के लिए पैसे नहीं थे उसके पास तो उसकी जरा मदद कर रहा था।" प्रेमा को देखते हुए सुलेख बोले।
" ठीक है अब चलते हैं घर। बहुत टाइम स्पेंड कर लिए।" चेयर से उठते हुए प्रेमा बोली। सुलेख ने भी हामी भरी।
" सच में यश! तुमने लंच नहीं लिया है? हों कहां तुम अभी?" रिया ने एक और सवाल दाग दिया।
" अर्जेंट मीटिंग थी यार उससे फ्री हुआ तो तुमसे अभी बात कर पा रहा हूं। ओके बाय बाद में बात करते हैं ठीक।" अपना पल्ला झाड़ता हुआ यश बोला।फिर झट से उसने कॉल कट कर दिया।
" उफ्फ ! क्या लड़की है वेरी बोरिंग। कितनी पकाऊं हैं यार। इससे तो लाखों गुना अच्छी है मेरी मिस ब्यूटी।" राधा को याद करते हुए यश ने खुद से मुस्कुरा कर कहा।
वो लगभग भागते हुए होटेल के अंदर गया। उसे राधा नही दिखी।10 मिनट तक उसे खोजने के बाद यश को एक वेटर से पता चला कि " वो तो कब की चली गई है होटेल से बाहर।"
प्रेमा और सुलेख भी जा चुके थे पार्किंग साईड और कार में बैठकर घर कि ओर निकल गए हैं। इत्तेफ़ाक से प्रेमा और सुलेख ने यश को नही देखा था।
" हे भगवान! ये मैनरलेस मिस ब्यूटी आखिर मुझे कुछ भी बताए बगैर कहां चली गई? आसपास देखता हूं टहल रही होगी पगली।" खुद को दिलासा देते हुए यश बोला।
विशु को उसके घर ड्रॉप करके रूपेश अपनें घर चला गया है। थोड़ी देर बाद लीला भी कॉलेज से वापिस घर आ गई फिर घर पहुंची राधा, हरकेश के साथ।
क्रमशः।