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इन आंखों को तलाश तेरी"😏😏😏
अब आगे...
राधा और लोकेश कैंटीन में और यश अपने केबिन में लंच कर लिए थे।
राधा को कॉल करके यश उसे अपने केबिन में बुलाता है।
राधा , यश के केबिन में आती हैं मन में कहती हैं- आखिर ये चाहता क्या है मुझसे? जब देखो तब मेरा मजाक उड़ाता रहता हैं ना जाने कौनसा जन्म का बदला ले रहा है। भले ही मै मीडिल क्लास फैमली से हूं लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं है कि वो मेरी इंसल्ट करे….
वो यश के केबिन पहुंच गई और बोली- "मे आई कम इन सर?"
यश- हां आओ। यहां देखो ये फाइल कंप्लीट हो गया है इसे कंप्यूटर में सेव करना है और लोकेश को भेज देना चेक कर ने के लिए। आज 5 बजे तुम घर जाओगी क्योंकि अर्जेंट काम करना है।
राधा (ये बॉस कम ब्लैकमेलर ज्यादा लगता है, 5 बजते -बजते शाम हो जाएगी और विंटर सीजन चल रहा हैं मेरे पास स्वेटर नहीं है)- ओके सर।
राधा फाइल को लेकर कंप्यूटर के पास जाकर आप अपना काम शुरू करती हैं और यश वहां से बाहर टेरेस पर चला जाता हैं और किसी को कॉल करके बाते करने लग जाता हैं।
लोकेश अपने केबिन में डिटेल्स चेक कर रहा है उसे मैसेज कर के यश ने बता दिया है कि मीटिंग कल 11 बजे होगी इसलिए डिटेल्स चेक करें।
विशु अपने रूम से बाहर आकर हॉल में बैठकर न्यूज़ पेपर पढ़ रही हैं।
लवली कि नींद खुलती है तो मिरर के सामने जाकर देखती है उसका सावला चेहरा एकदम वाइट दिख रहा है वो वॉशरूम जाकर अपना मुंह धोने लगती हैं।
लवली को रिलैक्स महसूस हुआ फिर वो नॉर्मल हो गई और प्रेमा के पास जाकर बैठ जाती है, प्रेमा हॉल में बैठकर लिस्ट तैयार कर रही थी। रूपेश और लवली का एंगेजमेंट 1 दिन के बाद होगा।
प्रेमा- लवली तुम्हारे मॉम डैड का कॉल आया था, तुम्हे अब अपने घर जाना चाहिए ताकि एंगेजमेंट की तैयारी करने में तुम अपनी मां कि हेल्प कर सको। वैसे भी एंगेजमेंट होने के बाद शादी की रस्में भी शुरू हो जाएगी ,फिर तुम मेरे घर कि बहू बन कर हमेशा के लिए इस घर की एक मेम्बर बन जाओगी। मेरे बेटे का ख्याल अच्छे से रखना। तुम दोनों एक साथ रहते हो तो मुझे बहुत अच्छा लगता है कभी भी एक दूसरे से अलग मत होना।
लवली- यस, आंटी आपको कभी भी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।
प्रेमा- जाओ, रूपेश को बोल दो की तुम्हे, तुम्हारे घर ड्राप कर के आए। तुम्हारे मॉम -डैड तुम्हारा वेट कर रहे होंगे, बहुत दिन से तुम्हे देखे नहीं हैं।
लवली- ओके आंटी, मै रूपेश के साथ अपने घर चली जाऊंगी। पहले सामान पैक करके रेडी हो जाती हूं। ऐसा बोलकर लवली अपने रूम में जाकर अपना बैग पैकिंग करने लगी फिर कुछ टाइम बाद लवली बैग पैक करके रेडी हो गई।रूपेश के रूम के पास आती हैं और दरवाजा नोक करती हैं।
लवली-रूपेश हेल्लो?
रूपेश- क्या हुआ ?
लवली- वो मुझे अपने घर जाना है। प्लीज़ मुझे मेरे घर ड्राप करके.…
रूपेश दरवाजा खोलते हुए- ओके चलो जल्दी। फिर झट से गैराज में जाकर रूपेश नजरे नीचे किए हुए सीधे कार के लॉक को खोलता है,और कार में बैठ कर लवली का वेट करता है। लवली आकर, कार की डिक्की में अपना सामान रख देती हैं और कार में बैठ जाती है। रूपेश को थोड़ा रिलैक्स महसूस हो रहा है क्योंकि लवली अपने घर में रहेगी जिससे उसे टाइम मिलेगा विशु को अपनी बाते समझाने के लिए।
थोड़ी देर बाद लवली अपने घर पहुंच जाती हैं और कार से उतर कर डिक्की के पास आती हैं अपना बैग निकालकर डिक्की बन्द कर देती हैं।रूपेश कार में ही बैठा रहा और लवली को बाय बोलकर उसने कार ड्राइव करना स्टार्ट कर दिया।
लवली नाराज़ हो गई रूपेश से, उसका बिहेवियर थोड़ा अजीब लगा लवली और उसके मॉम- डैड को।
लवली अपने मॉम- डैड के पैर छूती हैं,गले से लगती हैं और मॉम- डैड के साथ अपने घर में चली जाती हैं।
रूपेश अपने घर वापस आ गया और कार को लॉक करके , चाबी लेकर अपने रूम में चला गया।
शाम हो गई 5 बज गए। छुट्टी हो गई ऑफिस में राधा और यश ही थे बाकी सब अपने- अपने घर चले गए थे। राधा, यश के केबिन में बैठी हुई थीं अपना काम पूरा करके। यश आता है केबिन में।
यश- 5 बज गए हैं, इंपॉर्टेंट काम करने के लिए तुम्हे मेरे साथ टेरेस पर जाना होगा, समझी मिस ब्यूटी?
राधा (ओहो मिस ब्यूटी बोल रहा है अभी मुझे, पता नहीं क्या चल रहा है इस लोफर के दिमाग में)- ओके सर।
यश मन ही मन मुस्कुरा रहा था और दोनों टेरेस पर चले गए।
यश- राधा, तुम आगे चलो, मै पीछे -पीछे आता हूं।
राधा- ओके।
राधा टेरेस पर पहुंच गई, वहा लाईट नहीं था राधा मन ही मन सोच रही थी कि ये क्या, लाइट नहीं है यहां पर? कहीं यश मेरा मर्डर करके मुझे टेरेस से नीचे……
तभी पीछे से किसी की आवाज आई, पर कोई दिखाई नहीं दे रहा था।
राधा- कौन हैं यहां? सर कही आप मुझे परेशान करने की कोशिश तो नहीं कर रहे हो ना?
लेकिन कोई जवाब नही आया।
राधा- क्या जरूरी काम करने वाले थे यश सर, पता नहीं चल रहा हैं। कही वो अपनी किसी एक्स गर्लफ्रेंड से मिलवाने वाला होगा मुझे? समझ में नहीं आ रहा है कुछ भी। ना जाने ये यश सर कहां है?
राधा धीरे -धीरे आगे की ओर जा रही थी तभी वो किसी चीज से टकरा गई और गिर जाती हैं जिससे उसके दाएं हाथ पर चोट लग जाती है।
राधा- हे भगवान! कहां फंस गई मै, इस मक्खीचूस, हिटलर की वजह से कहीं मेरी जान ही चली गई तो? एक बार पता चल जाए कि वो हिटलर कहां है उसे छोडूंगी नहीं। पर अभी क्या करू? चोट लग गई है और अंधेरा है यहां पर, लगभग 10 मिनट हो चुके है यहां भटकते हुए मुझे। मुझे तो लग रहा है बहुत रात हो जाएगी मुझे घर जाते -जाते। तभी विशु का कॉल आता है। राधा कॉल रिसीव करती हैं।
विशु- हेल्लो, दी जल्दी अा जाओ । रात होने वाली है और मॉम को आपकी चिंता हो रही है।
राधा- अरे पगली, चिंता मत कर। जरूरी काम है ऑफिस में इसलिए रूकी हूं जल्दी ही आ जाउंगी। तुम और मॉम बेफिक्र रहो।
विशु- ओके बाय दी, अपना ख्याल रखना।
कॉल कट कर के राधा आसपास देखने लगती हैं लेकिन कोई नजर नहीं आ रहा है सिवाय अंधेरे के।
आगे की कहानी बहुत दिलचस्प होने वाली है।
आगे की कहानी अगले पार्ट में……