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वृद्ध आश्रम और मां

8 सितम्बर 2022

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दिलरुबा

दिनांक -8/9/22

दिन-बृहस्पतिवार

मेरी प्यारी दिलरुबा और साथियों आज का टॉपिक वृद्ध आश्रम एक गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है वृद्ध आश्रम में आज बूढ़े और अनाथ लोग ही नहीं बल्कि वह लोग रहने पर मजबूर हैं जिनके एक नहीं कई कई बैटे हैं वजह चाहे जो भी हो,,, पर बेटों के होते हुए वृद्धाश्रम में रहना कितना दुखदाई होता है यह कोई उनसे बात करके जाने,,, आज मैं आपके सामने अपनी लिखे हुए एक ऐसी कहानी शेयर कर रही हूं,,,, जिसमें दिखाया गया है बेटे ही नहीं बेटियां भी बुढ़ापे का सहारा हो सकती है इसलिए उनको बराबर से प्यार और सम्मान दें,, तो आइए इस टॉपिक पर प्रस्तुत है मेरी कहानी,,,

वृद्धाश्रम और मां

वृद्ध आश्रम में लेटी हुई शबीना वह दिन याद कर रही थी जब उसका बड़ा बेटा उसको यहां पर छोड़ गया था कह रहा था अम्मी जान आप फ़िक्र  ना करें ।यहां आपके हम उम्र बहुत से लोग हैं आपका दिल लग जाएगा ।

हम लोग तो बार-बार आपको आकर देख नहीं सकते इसलिए आपका यहां पर रहना ज़रूरी है ।और वैसे भी इतने बड़े मकान में आपका दम ही घुटता होगा। उसने शबीना से मकान के पेपर पर साइन करवा लिए,, बस एक-दो दिन में यह मकान बेचकर मैं वापस चला जाऊंगा

नहीं तो बार-बार हमें यही फिक्र होती थी मां इतने बड़े मकान में कैसे रहती होगी अकेली... कहीं कोई आप को अकेला देखकर यह मकान अपने नाम ना करा ले...!

इसीलिए हम तीनों भाइयों ने यह फैसला लिया है कि यह मकान हमें बेच देना चाहिए.... वैसे भी हम लोगों का वापस लौटने का  कोई इरादा नहीं है जब नौकरी और बीवी बच्चे सब शहर में हैं तो यहां आने का कोईमतलब ही नहीं,,,,,!

और शबीना ने एक गहरी सांस भरते हुए सोचा कितनी आसानी से उसके बेटे ने कह दिया अब यहां है ही कौन जैसे मां का कोई वजूद ही ना हो,,।

वह सब समझ रही थी मकान बेचने की जल्दी इन भाइयों को इसीलिए पड़ी है कभी किसी वक़्त रुबीना आकर इस मकान में अपना हिस्सा  न मांग ले या फिर वह पूरा मकान ही अपने नाम न करा ले।

यह सब सोचते हुए वह गु़स्से से कांपने लगी..…यही हैं मेरे जिगर के टुकड़े क्या यही हैं मेरे घर के चिराग़... जिनकी वजह से मैं आज इस वृद्धाआश्रम में हूं,,, और इन्हीं की वजह से मैंने अपनी नन्ही कली...अपनी प्यारी बेटी रुबीना को अपने से दूर कर दिया...!

क्या ग़लती थी उसकी अपनी पसंद से शादी ही तो कर रही थी दुनिया की रुसवाई से बचने के लिए हमने उसकी शादी तो कर दी थी लेकिन उसे फिर कभी ना मिलने का फैसला भी ले लिया था... ।

काश इन बेटों से अच्छा था कि मेरे तीनों बेटियां ही होतीं।

ऐसा नहीं कि मैंने बेटों के साथ रहने की कोशिश नहीं की मैं गई थी..... उनके साथ रहने के लिए ।

पर तीनों बहू बेटों ने ऐसी तेर-मेर लगाई कि मैं किसी भी जगह ढंग से ना रह पाई..... कोई भी बेटा बहु सप्ताह भर होते ही दूसरे को फोन करके बोलता तू तो हमारे यहां मां को भेज कर आराम से हो गया है अब  मां को आकर ले जा... और हमेशा मेरा बैग तैयार ही रहता 15 दिन इस बेटे के यहां तो दस दिन उसके यहां और जहां भी जाती सारा काम ख़ुद ही संभालती... तीनों के ही घर मेरी हैसियत किसी नौकर से ज़्यादा नहीं थी....!

मजबूर होकर ही मैंने अपने घर अकेले रहने का फैसला लिया था,,,।

पर बहू बेटों को मेरी यह ख़ुशी भी बर्दाश्त नहीं हुई मैं जैसे तैसे अपने घर में अपनी यादों के सहारे  अपनी ज़िंदगी गुजा़र ही लेती पर नहीं,,।

सब कुछ होते हुए भी उनकी नज़र इस मकान पर भी जमी थी आज यह क़िस्सा भी ख़त्म हुआ.. बेटों के वापस आने की रही सही उम्मीद भी ख़त्म हो गई,,,।

आज उसे रह रह कर अपनी बेटी की बड़ी याद आ रही थी कहां होगी मेरी रुबीना हमने कभी पता लगाने की कोशिश तक नहीं की,, जबकि वह इसी शहर में रहती थी। अपने अब्बा के इंतका़ल में आई थी और रोते हुए ही देखकर वापस हो गई थी...!

इस तरहां बेटों का वृद्ध आश्रम में छोड़ कर जाना उसे बहुत ही तकलीफ दे रहा था। रह रह कर उसे हर बात याद आ रही थी...!

शबीना दिल पर पत्थर रख के लगातार सोचे जा रही थी  यह घर फिरोज़ ने और मैंने कितने अरमान से बनाया और सजाया संवारा था... इस घर में मेरी कितनी पुरानी यादें थीं जहां मैं अकेले होते हुए भी अकेली नहीं थी पर...।

बाप के मरते ही बेटों की नज़र इस मकान पर ही तो थी जिसे देखने के लिए कभी कोई बेटा तो कभी कोई बेटा भूला भटका आ जाता था...।

और वह बेचारी सोचती रही बच्चे उसकी मोहब्बत में इतना बिज़ी होने के बाद भी जैसे तैसे मिलने आ जाते हैं.. आज पता चला....... उनकी मां तो उनके लिए कुछ नहीं थी एक बोझ के सिवा......!

अभी ये सब सोच ही रही थी के किसी ने आकर पीछे से आवाज़ दी... मेरी प्यारी मां क्या कर रही हो चलो अब जल्दी से उठो मैं तुम्हें एक पल भी यहां नहीं रहनें दूंगी...!

शबीना ने मुंह उठाकर देखा उसकी बेटी उसके गले में हाथ डालें उसको प्यार कर रही थी...!

शबीना ने घबराकर पूछा कैसी है तू और यहां कैसे आ गई तुझे किसने बताया...उसने कहा यह सब बातें बाद में मां पहले आप जल्दी उठिए और मेरे साथ चलिए ...!

वह शबीना को साथ लेकर गाड़ी में बैठ गई और मां से बोली अब आप अकेली नहीं हम आपके साथ रहेंगे.....मैं कभी नहीं देख सकती के मेरी मां वृद्ध आश्रम में रहे... मेरे होते हुए..!

भले ही अब्बा जान ने मुझे अपनी सारी जायदाद से बेदख़ल कर दिया हो... फिर भी आख़िर मैं आपकी बेटी हूं आपको बेसहारा नहीं छोड़ सकती... ।

और शबीना सोचने लगती है क्या अपनी मर्ज़ी से शादी करना इतना बड़ा जुर्म है जो हम दोनों ने मिलकर अपनी बेटी से कभी ना मिलने की क़सम खाली थी,,।

और वही बेटी जब सुनती है कि उसकी मां वृद्धआश्रम में है... एक पल गवाएं बग़ैर ही सब कुछ भूल कर  लेने आ जाती है...!  कितना बुरा किया हमने जो इसे अपनी जायदाद से  बेदख़ल कर दिया... ।

और जिन बेटों को अपनी जान से ज़्यादा प्यार किया... घर का वारिस समझा... वही हमें बेघर करके बाहर निकल गए....!

शबीना गुज़री बातें सोच  रही थी...... तभी एक झटका लगा और गाड़ी दरवाजे पर रुक गई शबीना ने हैरत से देखा यह घर तो बेटों ने बेच दिया था...।

हां मां पर यह घर हमने खरीद लिया है आपके लिए आपकी और हमारी ख़ूबसूरत यादें जो शामिल है इस घर में भला मैं यह कैसे देख सकती थी बस यही वजह है यह मकान हम लोगों ने खरीद लिया अब आप जल्दी से अंदर चलिए मैं आपके लिए चाय बना कर लाती हूं....।

और रूबी उसके लिए अपने हाथ से बनाकर उसकी पसंद की अदरक वाली चाय ले आई...!

और उसने मकान के पेपर मां के हाथ में देते हुए कहा संभालिए अपनी अमानत....!

और शबीना की आंखों में आंसुओं की धार बह निकली बेटी को सीने से लगाए सोच रही थी कौन कहता है कि लड़कियां घर का चिराग़ नहीं हो सकतीं....। मां बाप के बुढ़ापे का सहारा नहीं बन सकतीं....!

हां जो सहारा थे वह तो बेसहारा करके चले गए और सहारा बनी तो उनकी बेटी..जिसे उन्होंने हमेंशा पराई अमानत समझा...!

आग लगी थी जिस घर में घर के चिराग़ से उस घर को रोशन किया था एक बेटी ने अपने प्यार से....!

आग लगी थी जिस घर में घर के चिराग़ सेउस घर को रोशन किया था एक बेटी ने अपने प्यार से....!े प्यार से....!

मौलिक रचना
सय्यदा खा़तून,, ✍️
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Kafil Ur Rehman

Kafil Ur Rehman

बहुत बेहतरीन लाजवाब कहानी लिखी है मार्मिक चित्रण 👌🏻👌🏻

9 सितम्बर 2022

कृष्ण कान्त शर्मा

कृष्ण कान्त शर्मा

दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति

8 सितम्बर 2022

sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

9 सितम्बर 2022

बहुत बहुत धन्यवाद सर 😊

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रचनाएँ
दिलरुबा माह सितम्बर
5.0
प्यारे साथियों,,, दिलरुबा मेरी डायरी का नाम है,, यह डायरी मेरे व्यक्तित्व का आईना है,, मेरे आसपास घटित होने वाले कुछ कहे अनकहे पल इस डायरी में पढ़ने को मिलेंगे,,,,, कुछ मनोरंजक, कुछ उपयोगी, और कुछ बहुमूल्य विचार मैं इस डायरी में शेयर करती रहूंगी,, मुझे पुराने फिल्मी गीतों का बहुत शौक़ है उसकी झलक भी यदा-कदा आपको मेरी डायरी में देखने को मिलेगी,, बहुत से ऐसे मौलिक विचार जो मैं आप सबके साथ साझा करना चाहती हूं,, इस डायरी में पढ़ सकते हैं,, कुल मिलाकर आपसे कहना चाहती हूं बहुत दिलचस्प है मेरी दिलरुबा,,,। सय्यदा खा़तून,, ✍️
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टाइम ट्रैवल

7 सितम्बर 2022
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दिलरुबा दिनांक -07/09/22 दिन-बुधवार प्यारी दिलरुबा,,, यह राइटर भी ना जाने किस मिट्टी के बने होते हैं जिन्हें लिखे चैन आता है और ना लिख कर भी बेचैन रहते हैं,,,,, आप मुझे ही देख लो,,,समय के अभाव के कारण

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वृद्ध आश्रम और मां

8 सितम्बर 2022
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दिलरुबा दिनांक -8/9/22 दिन-बृहस्पतिवार मेरी प्यारी दिलरुबा और साथियों आज का टॉपिक वृद्ध आश्रम एक गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है वृद्ध आश्रम में आज बूढ़े और अनाथ लोग ही नहीं बल्कि वह लोग रहने प

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रेल यात्रा

9 सितम्बर 2022
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दिनांक 9/9/22 दिन-शुक्रवार प्यारी दिलरूबा कैसी हो तुम आज तो तुमसे बातें करने के लिए मैं कुछ जल्दी ही आ गई हूं,,,वो इसलिए टॉपिक देखकर मुझे एक संस्मरण याद आ गया टॉपिक तो तुम जानती हो ना,,,, रेल यात्

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डियर दिलरुबा (सितंबर) कुछ दिल की

10 सितम्बर 2022
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दिनांक-10/9/22 दिन- शनिवार समय रात्रि 10: 30 🙇📚कहां हो दिलरुबा क्या कहा सो रही हो अरे अभी कोई सोने का टाइम नहीं है अभी बजा ही क्या है,,, मेरी दोस्त, मेरी दिलरुबा,,,,,, सुनो वैसे तुम तो सब जानती ही

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डियर दिलरुबा-(ध्यान- योग)

10 सितम्बर 2022
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दिनांक -10/9/22 दिन-शनिवार समय-रात 11:50 प्यारी दिलरुबा देखो आज मैं तुमसे मिलने दूसरी बार आ गई,,, क्या करूं नींद नहीं आ रही थी,,,, फिर टॉपिक पर नज़र गई,, ध्यान- योग सोचा क्यों ना इस पर अपने विचार तुम्

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डियर दिलरुबा (मानसिक स्वास्थ्य)

11 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा दिनांक-11/9/22 दिन-रविवार तुम अपना रंजो गम, अपनी परेशानी मुझे दे दो, तुम्हें ग़मकी कसम अपनी निगेहबानी मुझे दे दो। हां दिलरुबा तुम्हारे लिए ही तो लिख रही हूं,,,, तुम आजकल कुछ ज्यादा प

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डियर दिलरुबा

12 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा दिनांक-12/9/22 दिन-सोमवार 🙇💐कैसी हो दिलरुबा, आजाओ अब  कुछ तुम्हारी सुनते हैं और कुछ अपनी लिखते हैं,,, हां तो दोस्त, मैं बता रही थी...आज तो मैं बहुत ख़ुश हूँ।वजह मेरा बगीचा, सुंदर फूलों

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📚📚बचपन की दोस्ती

13 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा दिनांक-13/9/22 दिन-मंगलवार बचपन की मोहब्बत को दिल से न जुदा करना जब याद मेरी आए मिलने की दुआ, करना,,, डियर दिलरुबा,जब से टॉपिक पड़ा है "बचपन का मित्र" सच में दिलरुबा तुम्हारी बहुत याद

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हिंदी दिवस

14 सितम्बर 2022
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दिनांक -14/9/22 दिन-बुधवार प्यारी दिलरुबा कैसी हो तुम,,, आओ दोस्तों को हिंदी दिवस की बधाई देते हैं,,,, साथियों आप सभी को हिंदी दिवस की ढेरों शुभकामनाएं और बधाइयां,, दिलरुबा हिंदी हमारी बहुत ही प्रिय भ

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डाक्टर साहिबा वो हिंदी की

14 सितम्बर 2022
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🌺डाॅक्टर साहिबा वो हिंदी की अंग्रेजी में करती हैं बात , गुस्सा उनकी नाक पर रहता अंग्रेजी की वो तोड़ें टांग, अंग्रेजी बीच हिंदी ऐसे बोलें जैसे कंकड अटके खाते भात। 🌺डाॅक्टर साहिबा वो हिंदी की अंग्रेजी

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मानवीय पूंजी

15 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा दिनांक -15/9/22 समय-रात-9:15 प्यारी दिलरुबा आज तुम से मिलने आने में थोड़ा समय लग गया,,, क्या करूं अभी भी जल्दी आ गई समय तो मुझे 11:00 बजे के बाद ही मिलता है ख़ैर यह तो रोज़ का रोना है,,,,

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नारीवाद

17 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा दिनांक-17/9/2222 दिन-शनिवार समय-रात 11:5 डियर दिलरुबा,, कल तो मैं तुमसे मिलने का टाइम ही नहीं निकाल पाई,, कहीं तुम नाराज़ तो नहीं,, चलो कोई बात नहीं हक़ है तुम्हारा,,,,,,। 😊हक़ से या

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अंधविश्वास

18 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा दिनांक-18/9/22 दिन-रविवार समय-8:15                        📚अरे कैसी हो दिलरुबा, यह इतने सारे ताबीज हाथ पर क्यों बांध रखे हैं,,?? अरे क्या बताऊं मेरी दोस्त कल मैं बर्थडे में गई थी वहा

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डियर दिलरुबा

19 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा दिनांक 19/9/22 दिन-सोमवार। समय-1:10रात्री 📚📚📚📚 डियर दिलरुबा देखो आज मैं तुमसे मिलने कितनी देर में आई हूं,,, तुम्हें इंतज़ार  करना पड़ा ना,,,, तुम तो जानती ही हो,, वैसे तो रात के सन्ना

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नारी शक्ति का दुरुपयोग

20 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा दिनांक-20/9/22 दिन-मंगलवार 📚📚कैसी हो माय डियर दिलरुबा,,,, बारिश का तो आज भी वही हाल है लेकिन कुल मिलाकर मौसम बड़ा लाजवाब हो रहा है,,,,, वैसे भी देहरादून के मौसम से हमें कभी कोई शिकायत

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डियर दिलरुबा

22 सितम्बर 2022
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22/9/2022 दिन-गुरुवार 😊📚प्यारी दिलरुबा कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम तो है बस कहना बेकार की बातों में कहीं बीत ना जाए रैना,,           😊हां दिलरुबा कभी-कभी किसी की कोई बात मन को बहुत चुभ जाती ह

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शर्मसार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा दिनांक - 23/9/22 दिन - शुक्रवार डियर दिलरुबा, आज फिर तुम्हारे साथ अपने मनोभावों को शेयर करना है,,, हर बात शेयर करने के लिए तुम ही तो हो मेरे पास जो बिना कुछ कहे मेरी सारी बातें सुनती रहती

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डियर दिलरुबा ( यादें)

24 सितम्बर 2022
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डियर दिलरुबा, दिनांक -24/9/22 तुझे क्या सुनाऊं मैं दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है,,, हां दिलरुबा,,, तुम तो सब जानती ही हो,, क्या है ऐसा मेरे बारे में जो तुम्हें नहीं पता,, दिल बड़ा उदास है,,, ज्याद

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डियर दिलरुबा

30 सितम्बर 2022
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अच्छा जी मैं हारी चलो मान जाओ ना देखी तेरी यारी मेरा दिल जलाओ ना,, 🙇📚मेरी प्यारी दिलरुबा,,,, आजकल तुम नाराज़ बहुत होने लगी हो ,,,,अरे कोई तो वजह होगी इतनी देर मैं तुमसे मिलने आने की,,, किसी को पता

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डियर दिलरुबा

30 सितम्बर 2022
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अच्छा जी मैं हारी चलो मान जाओ ना देखी तेरी यारी मेरा दिल जलाओ ना,, 🙇📚मेरी प्यारी दिलरुबा,,,, आजकल तुम नाराज़ बहुत होने लगी हो ,,,,अरे कोई तो वजह होगी इतनी देर मैं तुमसे मिलने आने की,,, किसी को पता

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