समाज में तीन प्रकार के लोग रहते है :
उत्तम- ये वे लोग हैं जो अपने पूर्वजों से,शास्त्रों से शिक्षा लेकर अपने को सुव्यवस्थित और समय के अनुकूल ढालते हुए चलते हैं।
मध्यम- वे लोग हैं जो अपने पूर्वजों से अपने शास्त्रों से शिक्षा तो नहीं ले पाते किंतु उनके जीवन में जो परिस्थिति आती है उन परिस्थितियों से वह शिक्षा लेकर अपने जीवन को लक्ष्य तक बढ़ाते हैं।
प्राकृत- ये वे लोग होते हैं जो ना अपने पूर्वजों से शिक्षा लेते है ना शास्त्रों से शिक्षा लेते है और ना ही अपने जीवन की घटनाओं से सीखते हैं। वे बार-बार वही गलती कर के दुःख पाते हैं।
अंदर की आँखों का फूटना बाहर की आखों के फूटने से ज्यादा खतरनाक है । हम अपने जीवन में यदि कोई गलत काम करते हैं, उस गलत काम को कोई देख रहा हो या ना देख रहा हो ईश्वर तो देखता ही है।फिर ईश्वर हमारी अंदर की आँखें फोड़ देता है और यदि अंदर की आँख फूट गई तो व्यक्ति के विचार नष्ट हो जाते हैं।
सज्जन व्यक्ति अपने परिवार का,अपने घर का पुण्य होता है ।अपने घर का सुख होता है । किंतु सज्जन कोई वेश से सज्जन नहीं होता। सज्जन तो वह है जो सब की सहे और सब की उन्नति के लिए काम करे।
अपनी दृष्टि को चींटी के समान बनाओ गोबर के कीड़े के समान नहीं।गोबर का कीड़ा मिश्री के पहाड़ पर भी गंदगी खोजता है, चींटी गंदगी के स्थान पर भी मिठास खोज लेती है। यदि चित्तवृत्ति चींटी के समान बन जाए तो सब के गुण दिखने लगेंगे दोष नहीं।
जब अपने मन की हो जाए तो समझना चाहिए ईश्वर की बड़ी कृपा है और जब अपने मन की न हो तो ये समझना चाहिए ईश्वर अपने मन की कर रहे हैं।
जीवन का एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो तबतक कहीं उलझना नहीं चाहिए।
जीवन में गलतियों का एहसास होना भी उन्नति का लक्षण है।
सुखी रहने के लिए संसार नहीं बदलना है, केवल भाव बदलना है। यथा दृष्टि तथा सृष्टि।दृष्टि बदलो।
भगवान की पहचान साधु बतायेंगे इसलिए भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए की जीवन में साधु मिले। साधु से जब मिलोगे तो जीवन में कथा मिलेगी , कथा से श्रद्धा जागेगी, श्रद्धा से जीवन में रति आयेगी, फिर भक्ति आयेगी और भक्ति से जीवन में विरक्ति आयेगी-भगवद् प्रबोध आयेगा।
समस्या और संसार दो नहीं एक ही पर्यायवाची है। जब तक समस्या है तब तक संसार है और जब तक संसार है तब तक समस्या है । समस्या का समाधान कहीं है तो अध्यात्म में है ।हम बच्चों में अध्यात्म का बीज बोए क्योंकि अध्यात्म का रास्ता ही सुख और शांति का रास्ता है ।
जिसका मन महान होता है उसके घर में भगवान आ जाते है। अगर भगवान को लाना हो तो संपत्ति महान की जरूरत नहीं है बुद्धि महान की जरूरत नहीं है मन महान की जरूरत है। मन उसी का महान है जिसका मन मनमोहन में लगा है।