(आपकी कल्पना आप को जगाती है)
जब कभी आप दादी मां से कहानी सुनते हैं,
उस कहानी में एक राजकुमार होता है,
और वह हीरो होता है, उस समय हमारे मन मस्तिष्क की तरंगों में, ऐसा लगता है जैसे मैं ही वह राजकुमार हूं,
वीरों की कहानियां सुनकर, युद्ध भूमि में रण क्षेत्र में बड़े ही पराक्रम से युद्ध करने वाला ऐसा लगता है जैसे मैं ही हूं,
भूतों की कहानियां सुनकर डर जाने वाला तथा साहस दिखाने वाला मैं ही हूं,
ऐसा लगता है दादी मां की कहानियों में सबके भलाई के लिए लड़ने वाला मैं ही हूं,
ऐसा लगता है कि जैसे दूसरे की कामयाबी एक दिन मेरी कामयाबी है, श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं मैं ही नाश करता और मैं ही जन्मदाता तथा मैं ही सभी का रक्षक हूं,
अगर उन बातों की हम इस प्रकार से तुलना करें,
की मान लिया जाए हमारी कल्पना,
हम नहीं है, अगर वह हम होता, तो हमारे साथ होता,
अगर वह हम होता तो अकेला होता,
लेकिन वह सब में है,
कहने का मतलब है कि अगर मैं आपके लिखी बातें पढ़ता हूं तो मेरी कल्पना आपकी बातों पर है तथा आपकी बातें मेरी कल्पना है जो मुझे जगाती है आप की कहानी का मैं हीरो हूं, कहां जाए तो इस बात का फायदा उठाकर आपके साथ लोग बहुत कुछ करते हैं,
आप बहुत से लोगों को देखेंगे खास करके नेटवर्किंग मार्केटिंग या फिर किसी भी क्षेत्र में,
किसी की कामयाबी से जुड़ी कुछ घटनाएं आपके सामने रखी जाती है यह आपको समझाने के लिए रखी गई है जो आपकी कल्पना में उतर जाती है क्या आपको ऐसा नहीं लगता उस वक्त, कि जिस प्रकार से उस व्यक्ति ने उस परिस्थितियों का सामना किया,
कुछ वैसा ही परिस्थिति मेरे सामने भी बन रहे हैं,
और मैं भी वैसा ही कर रहा हूं, मैं भी आगे बढ़ रहा हूं,
लेकिन बहुत कम लोग हैं जिनकी कल्पना पॉजिटिव बातों को चुनती है, आप मान लीजिए कि श्याम बहुत गरीब लड़का था, उसके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे, उसने मेहनत मजदूरी करके, कुछ पढ़ाई की,
तथा आज नेटवर्किंग मार्केटिंग में, मुकाम हासिल की है,
उनकी जिंदगी में कुछ ऐसे तकलीफ है आए,
यहां तक कि लोग उसे पागल भी कहने लगे,
उसके अपने ही लोगों ने उसका तिरस्कार किया,
उसे खुद का घर से बेगाना होना पड़ा,
उन्होंने हिम्मत ना हारा, आगे बढ़ता रहा,
और आज इस बुलंदी पर है,
इस कहानी को सुनकर आप लोगों की कल्पना क्या है?
आप को ऐसा लग रहा है कि, श्याम के साथ घटी घटना मेरे साथ भी हो रही है, या फिर होने वाली है तब मैं उन्हीं की तरह करूंगा, लेकिन यह कुछ लोग सोचते हैं,
लेकिन जो लोग ऐसा सोचते हैं, वह ज्यादा कामयाब होते हैं, लेकिन उनमें से कुछ लोग सुनते हैं, जिनकी कल्पना तो जागती है कुछ देर के लिए, उसे कहते हैं इस कान से सुन लेना उस काम से निकाल देना,
उस व्यक्ति के लिए उसकी कल्पना यह है कि,
ऐसा सबके साथ नहीं हो सकता, यह बातें मिथ्या है,
या फिर जरूरी नहीं कि सब कामयाब हो जाए,
आप जिस पल इस बातों को सोचते हैं,
तब आपकी कल्पना आपके सामने मुश्किलों से घुटने टेक देते हैं, तब आपको आगे बढ़ने के लिए कोई चांस नहीं रहता, अतः आप असफल व्यक्ति बन सकते हैं,
क्योंकि जो व्यक्ति कहानियों में या बातों में पॉजिटिव बातों को ग्रहण करता है, खुद को लड़ता हुआ देखता है, वह कामयाब होता है,
अगर आप कोई बातों को पढ़ रहे हैं,
और आपकी कल्पना धीरे धीरे उसी बातों में खोता जा रहा है ऐसा लग रहा है कि आपके साथ हो रहा है और आप इन मुश्किलों का सामना कर रहे हैं अगर आपको ऐसा लगता है तो आप हंड्रेड परसेंट सही है,
अगर आपको पढ़ी लिखी बातें या फिर सुनी सुनाई बातें आपके दिमाग में नहीं उतरती तो आप समझ लीजिए कि आपकी कल्पना शक्ति कम है और आप बिना कल्पना शक्ति के किसी भी कार्य क्षेत्र में कामयाब नहीं हो सकते क्योंकि आपकी कामयाबी पहले आप की कल्पना की कामयाबी है,
दुनिया में अधिक व्यक्ति कुछ नहीं कर पाते क्योंकि उनकी मन मस्तिष्क में एक बातें रहती है आप भी विचार करके देख सकते हैं- बड़े-बड़े नहीं कर सकते,
सबके बस की बात नहीं, ऐरा गैरा का काम नहीं,
अगर सबके साथ ऐसा होता तो क्या?
सबको कामयाबी नहीं मिलती,
मेरे पास वक्त नहीं या मैं उस कार्य को अंजाम नहीं दे सकता हूं मुझ में बहुत सारी कमियां है मैं उस योग्य नहीं,
इन बातों पर आपकी कल्पना क्या होगी?
इन बातों की कल्पनाओं में आपकी कल्पना,
आपके सामने घुटने टेक देती है तथा, कमजोर हो जाती है और जिसके पास कमजोरी है वह मजबूत कैसे हो सकता है जिसकी कल्पना ने जिस का साथ छोड़ दिया,
वह व्यक्ति एक अलग सपना कैसे सजा सकता है
आपकी कल्पना तो आपके पास है लेकिन आप उसे किन बातों पर अमल करना है आप उसे चलाना नहीं जानते, हाथ पैर तो सब चलाना जानते हैं,
लोग गाड़ी मोटर भी चलाना जानते हैं,
लोग बहुत कुछ जानते हैं लेकिन जो लोग साथ साथ में,
अपनी कल्पना को भी चलाना जानते हैं,
वह बेहतर बन जाते हैं, किसी को बेहतरीन बनाने के लिए कल्पना की जरूरत है बिना कल्पना के हम कामयाब नहीं हो सकते क्योंकि हमारी कल्पना हमें जगाती है और हमें सोचना है क्योंकि हमारी कल्पना हमें चलाती है हमें सोचना है हमें चलना कहां है,
हमारी कल्पना हमारी कदम है हमें सोचना है कि,
हमें हमारी कदम को पीछे लेना है या आगे बढ़ना है,
क्योंकि आपकी कल्पना आप को जगाती है,