कनेक्ट होना क्या है? मैं जानता हूं यह सवाल आप लोगों के मन में, चल रहे होंगे, सिंपल सा उदाहरण देता हूं कि, एक कोई छोटा कंप्यूटर, बड़े कंप्यूटर के लिंक से, जब जुड़ जाता है, तब वह बड़ा कंप्यूटर छोटे कंप्यूटर को, कंट्रोल कर सकता है,
जैसे हम जब किसी को, आदर्श मानते हैं तो, उनकी कुछ बातें और बुराइयां, हमारे अंदर कनेक्ट हो जाती है, जैसे मैं कोई, अगर एक बिजनेसमैन को मानता हूं, उन्हें अपना आदर्श मानता हूं, तब मेरा मन जो है, उनके जैसा ही कार्य करने को, बाधित होंगे, जैसे हम कोई क्रिकेटर प्लेयर को, चुनते हैं, जैसे वीरेंद्र सहवाग मेरा फेवरेट है, तो मैं उन्हीं से रिलेटेड, कुछ कार्य को सफल अंजाम दे सकूंगा जैसे कि मेरा एक शिक्षक थे, वह हमेशा मुझे कहते थे, बड़ों का सम्मान करो, मैं उन्हें अपना फेवरेट मानता था, मैं उन्हें अपना आदर्श मानता था,
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मैं हमेशा उस प्रोग्राम से, जुड़ा रहता था, जो मेरी प्रेरणा स्रोत थी, बिल्कुल एक कंप्यूटर की तरह, एक ब्लूटूथ की तरह- जैसे ब्लूटूथ से कनेक्ट हो जाने पर, उस कंप्यूटर में जो भी संगीत, चलती है, इसके जरिए वह कंप्यूटर उसे अपने फाइल में फॉलो कर पाता है, वैसे ही मैं हमेशा मेरे मन में उनके प्रति, कुछ ना कुछ चलता ही रहता था, फर्क बस इतना था कि मैं हमेशा उनके बारे में पॉजिटिव, सोचता था, इसलिए मैं उनकी पॉजिटिव बातों को ग्रहण कर पाता था , हम इन बातों को 2 तरह से
तुलना करेंगे, (1)negative information(2) positive information, मैं लेखक में डेल कार्नेगी से प्रभावित हूं, उनकी एक बुक है लोक व्यवहार, मैं उनसे प्रभावित हूं, आपको पता है कि आप जो चीज आपके दिल में किसी के प्रति उतर जाती है तो आप उसको, कॉपी पेस्ट करते हैं, मैं उसे अगले लेख में उदाहरण के तौर पर दूंगा, कुछ मिलता जुलता परिणाम है,