सकारात्मक सोच का सबसे बड़ा फायदा यह रहता है कि हमारा अपने आप पर स्वयं का control रहता है और हम जो चाहे वो कर सकते हैं, हमें हर काम को करने में खुशी होगी।
यदि आपकी thinking negative है तो आपका कोई भी काम में मन नहीं लगेगा और ना ही आप कोई भी कार्य ठीक से कर पाएंगे।
यहां पर साझा किए गए सकारात्मक विचारों का मकसद यही है कि आप अपने अंदर से negative thinking को निकालकर पॉजिटिव सोचें और सफल बने।
इन सकारात्मक विचारों की मदद से आप अपने दिल-दिमाग को positive feel करा सकते हैं।
हम प्रकृति की गोद में
मेरे बेटे तुम मुझे माफ कर देना, मैं तुम्हारा कितना बड़ा, अपराधी पिता हूं,, मैंने तुझे कभी सूर्य की किरणों को" भी तुम पर आना नाजिम ना समझा,, मैंने हमेशा अपनी संपत्ति का तुम पर , गुमान किया है,, एक बार जब तुम अपने दोस्तों के साथ, खेल रहे थे तो मैं,_ उस वक्त तुमसे कहा था_ कि तुम जाकर पढ़ाई क्यों नहीं करते, तुम्हें इन भिखारियों के साथ, रहकर क्या मिलने वाला है? तुम जाकर अपनी पढ़ाई क्यों नहीं करते,, कभी तुम खाली पैर, भी रहते थे तो, मैं तुझे कितनी फटकार लगाते ))) मैं हमेशा तुम पर पढ़ाई का भी बोध कराता रहता हूं,,, हां आज सुबह ही मैंने, इस बात पर गौर किया था, मैंने तुमको देखा कि,, तुम कीचड़ में सने थे, और तुम्हारे पाव गंदे हो चुके थे, तुम्हारी शर्ट में, कीचड़ का दाग , लगे हुए थे, इस बात से मेरा खून, गर्म हो चुका था, लेकिन दूसरे ही पल, तुम्हारे हाथों में एक मासूम सी सुंदर, तितली थी, इस बात को मैंने गहराइयों से समझा, तुम कितने प्रसन्न थे मेरे बेटे,, आज तक मैंने तुझे इतना प्रसन्न, कभी नहीं देखा था,, मैं सोचता हूं कि- प्रकृति कहीं ना कहीं, हमें गुणधर्म का, बोध कराती है, किताबों में जिंदा रहना, अलग बात है, लेकिन प्राकृतिक में रहना, अलग बात है, कोई पहाड़ियों की ऊंचाइयों को, किताबों में पढता है" तो कोई उस पर चढ़ता है, हां बेटा चढ़ना, सर्वश्रेष्ठ जानकारी है, लेकिन पढ़ना, तो बस एक बोध है, जो हम पर सिर्फ थोपा जाता है,, तुम किसी चीज को, पढ़कर बेहतर कभी नहीं समझते,, जब तक तुम, अपनी आंखों से देख नहीं लेते, महसूस नहीं कर लेते',, कल तुम्हारे तितलियों, की तरह ही सुंदर, तुम्हारे सपने होंगे,, ठीक इसी तरह, तुम उसे सच करने के लिए, दौड़ सकते हो, जिस तरह आज तुम्हारे, पांव में चप्पल नहीं है, कल भी ना हो, लेकिन तुम्हें अफसोस नहीं करना है, तुम्हें चलते ही रहना है, जिस प्रकार आज, तुम्हारे कपड़े के ऊपर, कीचड़ सिमटे हैं, कल तुम्हारे ऊपर भी अंगुलियों उठेंगे, तुम्हें निंदा फटकार सुनने को मिलेंगे, लेकिन तुम्हें परवाह नहीं करना है,, हां मेरे बेटे, प्रकृति की हर घटना, कुछ ना कुछ हमारे अंदर, बोते रहती है, बस हम इंसान इसे समझ नहीं पाते,, अब से तुम प्रतिदिन, बाग बगीचे में, खेलने जाया करोगे, तुमको झूला भी चढ़ना है, क्या पता कल जिंदगी की, इस दौड़ में, प्रकृति को ठीक से देखने के लिए" भी तुम्हारे पास समय ना हो, तुम अपने दोस्तों के साथ बेफिक्र होकर खेल सकते हो" क्या पता कल तुम, खेलने के लिए भी, समय ना पा सको,, आज मैं अगर तुम्हें खेलने पर _ रोक लगाता हूं तो,, तुम्हारे मस्तिष्क का विकास शायद हो ना सके,, हां तुम समुंद्र में उठने वाली लहरों को देखोगे,, हां तुम कभी-कभी पहाड़ों पर भी मेरे साथ जाकर , उस पर भी जा सकते हो, तुम्हें जानवरों के बच्चे के साथ, भी तुम खेल सकते हो,, यह पिता तुम्हें अब मना नहीं करेगा,, तुम सूर्य की किरने, को भी अपने 8
आपसे लगा सकते हो, यह पिता तुम्हें मना नहीं करेगा,, तुम सुबह उठकर, नदियों की धार को, देख सकते हो, तुम पेड़ों की, हरी हरी पत्तियों को, और उनकी डालियों पर, झूल सकते हो, तुम्हें जी भर के इस बचपन में,, प्रकृति का आनंद लेना है, तुम्हें प्रकृति का गोद में ही रहना है, यह पिता कभी भी, तुम पर अपने पैसों का, अभिमान नहीं दिखाएगा, तुम कभी-कभी छत पर बैठकर, आसमान की तारे को भी देख सकते हो, तुम कभी-कभी रात में निकलने वाली, जुगनू को भी, देख सकते हो, तुम सुबह बगीचे में जाकर, चिड़ियों की, पंछियों की, चहचहाना, सुन सकते हो,, तुम रंग-बिरंगे तितलियां को भी अपने हाथों से पकड़ सकते हो, तुम बड़े चाव से लगने वाले इंद्रधनुष, को भी देख सकते हो,, पर मैं तुमसे कहना चाहता हूं,, कि तुम जिन बातों को किताबों में, पढ़ते हो, उसे तुम प्रकृति में, देखने की कोशिश करो उसे जानने की, कोशिशें करो, हां बेटा हमने तो चित्र में, प्रकृति बनाई है, लेकिन उनके गुण धर्म को, हमने नहीं उतारा है, हम जानवरों को मूर्तियों में, एक छवि तो देते हैं, लेकिन उनके बेहतरीन गुणों को, हम उतार नहीं सकते, हम उसे दिखा नहीं सकते, वह तो प्रकृति में सिमटी हुई है,, और हमें प्रकृति से गिरना नहीं करना चाहिए, क्योंकि हम सब हैं प्रकृति की गोद
इस लेख में हमें पढ़ने को यह मिल रहा है कि,
एक पिता कैसे अपने बेटे को, पॉजिटिव सोच देने के लिए जोर दे रहा है, वह अपने बेटे से खुद को प्रकृति के अभाव में जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहा है तथा वह पिता बड़े ही प्यार से अपने बेटे को एक सकारात्मक सोच को उसके अंदर डाल रहा है