प्रशंसा के फू
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प्रशंसा के फूल
अगर मैं तुमसे कहता हूं, कि तुम जाग कर भी नहीं जा सकते, तुम आधे हो, जो कभी पूरे नहीं हुए तुम ठीक प्रकार से, सोकर नहीं उठते, तुम्हारा मन अभी भी सो रहा है, सिर्फ सोकर जागना, जागना नहीं होता, खुद को जगाना पड़ता है, कुछ इस प्रकार से, क्या यह घटना तुम्हारे साथ भी होती है, तो तुम कर सकते हो, हां यह सब के साथ होती है, मेरे कुछ सवाल है,, पहला, क्या तुम जब कार्य करते हो तो तुम्हारा मन, किसी और विषय पर चिंतन करता है, और तुम उस कार्य को, भूल जाते हो, इस कारण आपसे, एक गलती, बार-बार हो जाती है, तुम अपने हाथों से, उसे ठीक प्रकार से कर नहीं पाते, और तुमसे, बोला कुछ और जाता है, और तुम सुनते कुछ और हो,, तुम्हें देखा या कुछ और जाता है, अब तुम देखते कुछ और हो,,, आइए इस लेख में,, एक मित्र, किस प्रकार से, अपनी बातें शेयर कर रहा है, आप लोग ध्यान से पढ़िए - मेरे प्रिय मित्र बबलू, सब सब कुशल तो है ना,, आशा करता हूं, कि सब सकुशल ही होगा,, मैं तुम्हारा मित्र,, तुम्हारे लिए, कुछ बातों को लेकर, तुम्हारे साथ चर्चा करने वाला हूं,, मैं एक प्रपत्र में,, यह सब बातें तुम्हारे लिए,, लिख रहा हूं,, तुम सुबह उठकर,, सबसे पहले, किसी भी कार्य को करने से पहले,, तुम खुद को जगा सकते हो,, तुम अपने हाथों से कहना,, मेरे हाथ आज जिस कार्य को करने में जा रहा हूं,, आशा है तुम उसे बेहतर तरीके से करोगे, क्योंकि तुम बेहतरीन हो,, तुम्हारे पास एक कारीगरी है,, ऐसा कहते हुए, तुम अपने हाथों को, प्रेरित कर सकते हैं,, और तुम अपने नजरों से कहना,, हे मेरी नजरें, आज इस कार्य को मैं करने जा रहा हूं, आशा है तुम बेहतर तरीके से देखोगे,, क्योंकि तुम तेज हो,, ऐसा कह कर,, तुम l उसके मनोबल बढ़ा सकते हो, क्योंकि किसी कार्य को करने में, ठीक प्रकार से, पहले देखने की जरूरत होती है,, इसलिए तुम अपनी आंखों को प्रेरित करो,, उसे जगा दो, उसे सचेत कर दो, और तुम अपने कानों से कहना, हे मेरे कान,, जिस कार्य को मैं आज करने जा रहा हूं, आशा है तुम मुझसे बेहतर करोगे,, क्योंकि तुम बेहतर सुन सकते हो,, किसी कार्य को करने से पहले,, उसके बारे में सुनना जरूरी होता है,, जब तुम बेहतरीन सुनते हो,, कार्य बहुत ही आसान हो जाते हैं, और तुम अपने मन से कहना, हे मेरे मन, जिस कार्य को मैं करने जा रहा हूं,, तुम उसके विषय में चिंतन कर सकते हो,, क्योंकि किसी कार्य को करने से पहले, अंजाम देने से पहले, मन का चिंतन होना आवश्यक है,, चिंतन से विषय प्रकट होती है,, जब विषय प्रकट होती है,, तब अनुभव प्रकट होते हैं, जब अनुभव प्रकट होते हैं, तो काम आसान हो जाते हैं, इसलिए चिंतन होना आवश्यक है, ऐसा नहीं होना चाहिए, कि तुम जिस कार्य को अंजाम दे रहे हो,,देने की कोशिश कर रहे हो, और तुम्हारा मन, किसी और विषय पर चिंतन करता है,, तो तुम्हारा मनोबल नहीं बढ़ सकता, जब मनोबल बैठती है, तब कार्य, आसान हो जाते हैं,, तुम अपने दिल पर हाथ रख कर कहना, हे मेरे दिल, तुम उस कार्य को दिन में क्यों रखते, जिस कार्य को मैं करने जा रहा हूं, या करता हूं, जब तक कोई भी कार्य,, तुम उसे दिल में नहीं रखते तब वह कार्य,, मैं तुम्हें उर्जा प्रदान नहीं होती,, दिल हमेशा तुम्हें निराश ही रखता है,, एक निराश आदमी,, कभी भी बड़े कार्य को अंजाम नहीं दे सकता, बड़े कार्य तो दूर, छोटे कार्य को अच्छी प्रकार से भी नहीं कर सकता,, क्योंकि तुम्हारा दिल, तुम्हारे पास रक्त पहुंचाता है,, हम ईश्वर के बनाए हुए जीव को,, जब तक उसके अंदर, लक्ष्य ना डाला जाए,, तब तक वह कार्य करने में, आधा अधूरा ही रहता है,, लक्ष्य के बिना जीवन, व्यर्थ है, और तुम अपने मस्तिष्क, से कह सकते हो, कि तुम तो इंसानों की, मेमोरी हो, तो उस कार्य को तुम अपलोड क्यों नहीं करते,, जिस कार्य को मैं कर रहा हूं या करता हूं,, किसी कार्य को अंजाम देने से पहले,, उस कार्य को याद रखना जरूरी होता है,, कहीं ऐसा तो नहीं, कि तुम अपनी गलतियां ही दोहराते जाते हो, मेरे मित्र बबलू,, जब तक तुम अपनी इंद्रियों को,, प्रेरित नहीं करते जब तक तुम्हें सुपर पावर नहीं देती, आशा करता हूं तुम अपने जीवन में,, इस बात को गहराई से लोगे,, तुम्हारा प्रिय मित्र,( शुभम