🏌🙇👇आपकी कल्पना कब विकसित होती है,
मां की लोरी की आवाज कानों में पड़ते ही बच्चा कब नींद की आगोश में चला जाता है पता ही नहीं चलता। मां की लोरी सुनते हुए सपनों के संसार में खो जाने का सुखद अहसास बड़े होने के बाद भी आपकी यादों में बसा रहता है। लोरी, मां और बच्चे के लिए बीच एक कनेक्शन की तरह काम करती है और दोनों को करीब लाती है। मां की लोरी की आवाज में एक तरह की कशिश होती है जो बच्चे पर जादू की तरह काम करती है। एक्सपर्ट्स भी यही कहते हैं कि लोरी के रूप में जो आवाज बच्चा लगातार सुनता है, धीरे-धीरे वह उससे खुद को जुड़ा हुआ महसूस करने लगता है।
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मां की लोरियां
जब मैं छोटा था तब मेरी मां, मुझे नींद नहीं आती, तब मुझे यह लोरी, गाकर सुनाती थी_ चंदा मामा दूर के
पूरी पकावे भीड़ के. अपने खाए थाली में,
मुन्ना के देवे प्याली में.
प्याली गया टूट, मुन्ना गया रूट,
अब ने जावे मामा के दुवरिया,
टप टप गिरते लोर,_ यह हमारे लिए कितनी मासूम विचार होते थे_
मैं सच सच कहता हूं, यह मेरे मन में घर कर जाता था, मैं सोचता था
कि सच में मेरा मामा, चंदा मामा है, उन्होंने
पूरी पकाए थे, अपने थाली में खाए थे_ और हमको प्याली में दिए थे_ प्याली तो टूटना ही था_ वह टूट गया_ उन्होंने हमको_ थाली में क्यों नहीं दिया_ कुछ इस प्रकार के मासूम विचार_ हमारे अंदर चल रहे थे_ इस लोरी से_ मन को सुकून मिलता था_
मैं सच कहता हूं, मेरा दिल इस बात को सुन, मैं रोने लगता था, मेरी मां मुझे थपथपाते हुए सुला देती थी_ फिर मेरी मां कहती थी
जब मुझे नींद नहीं आती थी_
[तो यह लोरी सुनाती ]
आवे रे फूदुक चिरैया,
फूदुक धान फोकले जो रे
तोरे खोतवा में, आग लगलो,
बबुआ के, निंदिया आजो रे,
मत पूछो, मां के शब्दों में, इतने मिठास होती थी, ऐसा लगता था, जैसे सच में= कोई चिड़िया¶ मेरे लिए नींद ,
लेकर आ रही है😪😪😪
बदले में मेरे धान खाकर जाएगी, कुछ ऐसे सुंदर विचार हमारे मन में चलता था,, मां की लोरी से मिठास, हमने आज तक_ कोई संगीत नहीं सुनी है_ उन में दर्द होता था_ वह लोरियां हमें प्रभावित, करती थी_ आज तो लोग_ अपने बच्चों के पास_ म्यूजिक और खिलौने देखकर, परोस कर_ अपने बच्चे को छोड़ देते हैं_ वह मां की लोरियां सुनते हुए_ हमारे मन में कितने सुंदर विचार_ बनते थे_ मां की लोरी हमारी_ सुंदर सपने, को सजाने का कार्य करती थी_
वह लोरी हमारी चेतना को जगाती
आपको पता है जब आप अपने बच्चे को कुछ सुनाते हैं तब आपको बच्चा उसे बहुत ही ध्यान से सुनता है,
और आपसे कुछ मीठे मीठे सवाल करते हैं,
उस समय जरूरी होता है कि आप उस बच्चे को सवाल का जवाब दें,
क्योंकि वह कल्पना तो कर रहा है लेकिन उसके बीच में कुछ प्रश्न खड़ी हो रहे हैं आप इसकी हर पिता अपने बेटे को अपने बच्चे को मां भी अपने बच्चे की मीठे मीठे सवाल पर जवाब देने की कोशिश करते हैं,
मेरा एक मास्टर था, वह बहुत ही खडूस था,
जब भी कुछ बताते थे बहुत तेजी में बताते थे,
अगर बीच में मैं कुछ सवाल कर देता या कोई भी लड़का तब उसको डांट सुनने को मिलते, इससे मेरा मन उदास हो जाता था,
क्योंकि सवाल ऐसी चीज है जब तक आपको इसका उत्तर नहीं मिल जाता तब तक आपके मन में संतुष्ट नहीं मिलते, यूं कहिए कि आपके प्रश्न उल्टा ही क्यों ना हो,
किसी भी प्रकार से आपको जवाब मिलने चाहिए,
तभी आप को संतुष्टि मिल सकती है, इस समय हमारी कल्पना की विकास होती है, ऐसे तो कई स्रोत है कल्पना कि विकास होने के लिए लेकिन उनमें से प्रमुख कारण यह है,