अपने पिछले लेख में जाना कि श्याम अपनी बातों से अपने अंगों को उस कार्य को करने के लिए प्रेरित कर रहा है यह बातें कुछ अटपटी लग रही होंगी लेकिन उस लेख में इस बात को ध्यान देने योग्य है कि जो साउंड होता है नेगेटिव या पॉजिटिव उसका इंसान के ऊपर एक अपना अलग प्रभाव होता है आप लोग यह तो जानते ही होंगे कि साउंड प्रदूषण क्या है पहले उसे हम बारीकी से जान लेंगे
मनुष्य को प्रकृति का यह वरदान प्राप्त है कि वह बोल सकता है । उसके पास अपनी एक उन्नत भाषा है । उस भाषा में वह बातचीत कर सकता है । विचारों को समझ-समझा या उनका आदान-प्रदान कर सकता है । प्रकृति के वरदान और भाषा अर्जित कर लेने के बल पर मनुष्य गुनगुना सकता है ।
स्वर-लय में गा सकता है । चाहने और आवश्यकता पड़ने पर रो भी सकता है और चिल्ला भी सकता है । इस प्रकार समय और स्थिति के अनुसार मनुष्य को अपनी तथा अपने जैसे अन्य मनुष्यों की ध्वनियाँ सुननी पड़ती हैं । इस प्रकार की ध्वनियाँ सामान्य रूप से सुनना किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं कहा जा सकता ।
स्वाभाविक ही कहा जाएगा । मनुष्यों की ध्वनियों के अतिरिक्त प्रकृति और प्राकृतिक वातावरण से सुनाई देने वाली भी कुछ ध्वनियाँ हुआ करती हैं । पक्षियों का चहचहाना, पत्तों का टकराकर मरमर करना, धारा का सरसर करते हुए सरकना या बहना, बादलों और समुद्र की हल्की गर्जना आदि ।
इस प्रकार की ध्वनियों को प्रकृति का संगीत मान कर उन सबका स्वाभाविक आनन्द लिया जाता है । लेकिन जब बादल तुमुल स्वरों में गर्जने, सागर ऊंची लहरें उठाकर हुँकारने और बादलों में बिजलियाँ कड़क कर कानों के पर्दे फाड़ने लगती है, तब किसे अच्छा लगता है ? इसी प्रकार जब कई मनुष्य चिल्ला-चिल्ला कर गाने या बातें करने लगते हैं ।
दहाड़े मारकर सबको दहला देना चाहते है, तब भी कानों पर बुरा असर पड़ता है । वे फटने लगते हैं । जब भूकम्प आता है और पृथ्वी गड़गड़ाहट के साथ हिलने और फटने लगती हैं-तब यह प्राकृतिक व्यापार होते हुए भी किसी को
साधारण सी बात आपसे कहते हैं,
जब कोई व्यक्ति आपको गाली देता है या गुस्से में आपसे बात करता है तब आपके ऊपर क्या प्रभाव पड़ता है? आप देखते होंगे कि आप अपनी आपा खो जाते हैं, इसी बात को ध्यान में रखते हुए, उस लेख में श्याम अपने अंगों से अपने आप से प्यार से तथा मीठी-मीठी बातें करके खुद को कार्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है-
यह समझने योग्य विषय है, इसका फायदा यह होता है कि श्याम के अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी का विकास होता है,