आकर्षण के नियम (Law of Attraction) के अनुसार आप अपने जीवन में पॉज़िटिव (positive) और निगेटिव (negative) चीज़ों को अपने विचारों और कर्मों से अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। यह इस सिद्धान्त पर आधारित है कि सब कुछ ऊर्जा से निर्मित है, इसलिए जिस प्रकार की ऊर्जा आप बाहर छोड़ेंगे, वही आपके पास वापस लौटेगी। अगर आप ब्रह्मांड को अपनी इच्छाएँ बताने के लिए आकर्षण के नियमों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं, तब पॉज़िटिव माइंडसेट (mindset) का निर्माण करके शुरुआत करिए। उसके बाद अपने लक्ष्यों के लिए कर्म करिए और असफलताओं का सामना अच्छे एटीट्यूड (attitude) से करिए।
एटीट्यूड हमें कहां से मिलती है और किस प्रकार से निर्माण होती है हम इस लेख में पढ़ेंगे--
(बच्चे और खिलौने)
आपको इंस्टिट्यूट कहां से मिलती है---
(एक कमरे में) एक बच्चा खिलौने के साथ खेल रहा है_ सारा कमरे में खिलौने बिखरे पड़े,, वह कमरा बहुत बड़ा है,, वह बच्चा कभी, कुत्ते के बच्चे को उठाकर,, पटक देता था, तो कभी हाथ के बच्चे को उठाकर पटक देता था,_ वह पता नहीं उन खिलौनों में क्या खोज रहा था,, फिर कुछ देर बाद,, बच्चा रोने लगता है,, तभी उसके पिताजी, कमरे में दाखिल होता है,, नहीं मेरे नन्हे बेटे! तुम चुप हो जाओ, देखो कितने सुंदर, गुड़िया है हाथी के बच्चे हैं, और कुत्ते के बच्चे भी हैं,, तुम इनके साथ खेल सकते हो,, वह पिता, अपने बच्चे को कमरे में छोड़ कर चला जाता है,, बच्चा कमरे में, खिलौने के साथ खेलता है,, और कुछ देर बाद, रोता ही रहता है,( दूसरा वार्तालाप) नहीं मेरे राजकुमार,, तुम चुप हो जाओ_, मैं तुम्हारे लिए खिलौना ला दूंगा मेरे बेटे,, पर मेरे पास अभी इतना पैसे नहीं है,, कल जरूर तुम्हारे लिए लाऊंगा,, फिलहाल अभी तुम,, इस कुत्ते के बच्चे के साथ खेलो,, एक प्यारा सा कुत्ते का बच्चा,_, उस बच्चे के साथ खेलने लगता है,, वह बच्चा कभी गेंद फेंकता है,, तो कुत्ते का बच्चा उसे दौड़ कर लाता है,, बच्चा कभी-कभी- कुत्ते को कान पकड़ लेता है,, उसे खींचता है, और अपने नन्हें हाथों से,, दो चार थप्पड़ लगाता है,, कुत्ता रोने लगता है,, और जब उसके साथ खेलता है,, तब खुश हो जाता है, वह अपनी जुबान से,, बच्चे को चुम्मी लेता है, हां यह वह कुत्ता नहीं,, जो पहले बच्चे, के पिता ने, खरीद कर उसे दिया था,, इस कुत्ते को मारने पर, यह रोता है, इसमें सुख दुख है, इसमें भावनाएं हैं_ यह वफादार है, बेजान तो नहीं,, खिलौने से खेलने वाले, भला भावनाओं को कैसे समझेंगे,, खिलौने तो खिलौने ही रहते हैं,, हम जानवरों के साथ रहकर, जानवर नहीं बनते हैं, उनके साथ खेल कर उनके बच्चों से प्रेम करके,, हमारे बच्चे जानवर नहीं बनते,, बल्कि उनके अंदर एक इंस्टिट्यूट जन्म लेती है, हर जीव जंतु में,, एक गुण धर्म होता है, जैसे वफादारी, कोई कुत्ते से सीखे,, जैसे साहस, कोई शेर से सीखे, जैसे बिजली की तरह फुर्ती, कोई चिता से सीखे, जैसे शांत रहना, कोई हाथी से सीखे,, नाटक करना, कोई बंदर से सीखे,, कभी आपने सोचा है,, कि संसार में जितने भी पशु पक्षी है,, सब में उनके अलग-अलग गुणधर्म है, बचपन में हमारे मास्टर जी कहते थे- (बको ध्यानम,) अर्थ _ बगुले की तरह ध्यान करना चाहिए, काक चेष्टा- अर्थ_ हमें हमेशा कौवे की तरह, प्रयास करना चाहिए, स्वान निंद्रा, अर्थ- हमें कुत्ते की तरह, सोते हुए भी जागना चाहिए, मतलब हल्की नींद,, तो क्या मैं इस तरह के,, गुणधर्म, खिलौने में पा सकता हूं_ या कोई चित्र में कैद कर सकता है, हम लोग, खिलौने की कीमत जानते हैं, उसकी कीमत रखते हैं,, लेकिन मासूम पशु पक्षियों पर,, हमारा कोई राय नहीं,_ अगर हम सब लोग, सिर्फ खिलौनों के पसंद करते हैं, तब एक समय ऐसा आएगा,, कि हमें सिर्फ चित्रों में ही,, इनकी तस्वीर देखने को मिलेगी,, और सिर्फ खिलौने रहेंगे हमारे घरों में_ हम लोग क्या पढ़ते हैं,, अगर हम किसी विषय बात को पढ़ते हैं,, तो यकीन मानो हमसे उसे बेहतरीन तरीके से,, नहीं समझ सकते,, हमें किताबों में जिंदा नहीं रहना है,_ अब तो उन पशु पक्षियों को,, मनुष्य व्यापार बनाता जा रहा है,, लेकिन इसके विषय में हमारे देश में,, सिर्फ कानून है,, फिर भी वह कार्य होता है,, असल में कानून को बदलने की जरूरत नहीं,, हमें बदलने की जरूरत है,, तो आइए कहीं ऐसा ना हो, कि पहला वार्तालाप तुम्हारे बच्चे के साथ हो, तुम मुझसे खिलौने दो,, और वह भावनाओं को ना समझ पाया,, तुम उसे जानवरों के बच्चे के साथ,, बेशक खेलने छोड़ सकते हैं,, इस लेख को पढ़ने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद,, मैं शुभम कुमार