जिस कार्य को करने के लिए_ जितनी बिजली की, आवश्यकता होती है, प्रकृति हमारे अंदर, उतना ही बिजली, प्रभावित करती है, या प्रकाशित करती हैं, यही प्रकृति का नियम है, एक हामी भरा जीवन, प्रकृति उसका, कर्जदार होता है,, जिसका जीवन का, कोई लक्ष्य नहीं, वह प्रकृति का ही कर्जदार होता है,"""""""""" ; जिस प्रकार से, मक्खियों का , कोई ठिकाना नहीं रहता, उसकी बैठने के लिए, कोई सीमा नहीं है, इसलिए लोग उन्हें, फटकार ते हैं, लेकिन मधुमक्खियों का, एक हामी है, उसकी बैठने की जगह, सीमित है, लोग मधुमक्खियों को, क्यों नहीं , फटकार लगाते हैं,, " ऐसे दोनों तो मक्खियां ही हैं" जब तक तुम्हारे, "जीवन का कोई हामी नहीं होता," तब तक हमें कोई दर्जा नहीं मिलते, , हमारे अंदर जीने की भावना, मजबूत, नहीं होते, हामी से जीवन, सुंदर होता है, ,संघर्षवान होता है,
हनुमान को शक्ति याद दिलाना
बॉडी ट्रांसमिशन टावर-
महासागर को पार करने के लिए न केवल बल की आवश्यकता होती है, बल्कि विशाल बुद्धि की भी आवश्यकता होती है। स्वयं भगवान शंकर ने इस कार्य के लिए अवतार लिया है। राक्षसों का नाश अवश्य ही होगा।
” उन्होंने हनुमान को देखा और कहा, “हनुमान! चुप क्यों बैठे हो? आप राम के काम के लिए पैदा हुए है। वायुनंदन! आप अपने पिता की तरह एक पल में समुद्र पार कर सकते हैं।
आपकी बुद्धि का कोई तोड़ नहीं है। आप विवेक और ज्ञान के भंडार हैं। आप में इतनी ताकत है, तो चुपचाप क्यों बैठे हो? जामवंत ने हनुमान के जन्म, देवताओं के आशीर्वाद और ऋषियों के शाप की कहानी बताई और याद दिलाया कि आप जो चाहें कर सकते हैं। ।
हनुमान भगवान की याद में लगातार तल्लीन थे। उसे खुद की ताकत याद नहीं थी। जैसे ही उन्होंने जामवंत के शब्दों को सुना, उन्हें याद आया कि – “मेरे पास असीम शक्ति है, भगवान की असीम कृपा मुझ पर है और भगवान की पूरी शक्ति मेरी शक्ति है।
उसका शरीर बड़ा होकर पहाड़ जैसा हो गया। उसने दहाड़ लगाई, ‘समुद्र में है ही क्या ? भगवान की कृपा से मैं ऐसे सैकड़ों समुद्र पार कर सकता हूं।
यदि मुझे लंका में सीताजी नहीं मिलीं, तो मैं स्वर्ग से लेकर ब्रह्मलोक तक की खोज करूंगा, लंका के साथ त्रिकट पर्वत को उखाड़ूंगा, और रावण को मारूंगा। कोई शक्ति नहीं है जो राम का काम करते समय कोई विघ्न पैदा कर सके।
“हनुमान की दहाड़ सुनकर पूरी वानर सेना हर्षनाद करने लगी।
जामवंत ने कहा – “हनुमान! आप सब कुछ कर सकते हैं, लेकिन आपको इस समय सब कुछ करने की ज़रूरत नहीं है। आप बस सीताजी के दर्शन करके आओ।
हम सभी भगवान राम के साथ लंका जाएंगे, भगवान के बाणों से राक्षसों का उद्धार होगा, राम की महिमा बढ़ेगी, हम सभी उत्सव मनाएंगे।
” जैसे ही हनुमान ने जाम्बवान के वचन सुने, वे उछल पड़े और पर्वत की ऊँची चोटी पर बैठ गए। उसकी पूंछ के प्रहार से बड़े-बड़े पेड़ आसमान में उड़ गए।
कई फूल पेड़ों से गिर गए और हनुमान पर गिर गए। जैसे कि वे उसकी पूजा कर रहे थे। देवता खुश हुए। ऋषियों ने शांति पाठ किया। वायु ने मदद की। हनुमान ने समुद्र पार करने के लिए छलांग लगाई।
उसने भगवान को याद करके वानरों को आश्वस्त किया कि मेरे मन में बहुत उत्साह है, बहुत आनंद है। भगवान की असीम कृपा को महसूस करते हुए, कहा – मैं काम खत्म करने के बाद जल्द ही वापस आऊंगा। आप लोग घबराएँ नहीं। हां पर सोचने वाली भी यह है कि,
उन्होंने उनको याद दिलाय कि वह क्या कर सकते हैं,
अगर इसको हम इस प्रकार से लेते हैं=
हनुमान जी को एक व्यक्ति के रूप में अगर हम मानते हैं,
और भगवान राम को प्रकृति मानते हैं,
तो यह भी निष्कर्ष निकलता है कि,
जिस कार्य में जितनी उर्जा के जरूरत होती है प्रकृति हमारे अंदर उतने मिर्जा समावेश कर देती है जैसे कि उदाहरण दे रहा हूं,
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हर विचार एक कारण है और हर कार्य या उत्पन्न परिस्थिति उसका परिणाम मात्र है। इस विश्व में विचार ही सबसे महत्त्वपूर्ण, रहस्यपूर्ण और अदृश्य, जीवित मौजूद शक्ति है। विचार बिलकुल जीवित वस्तुओं की तरह हैं। बाहरी सफलता भीतर की सफलता से ही प्रारम्भ होती है और यदि वास्तव में गंभीरतापूर्वक अपने वाह्य जीवन की गुणवत्ता को सुधारना चाहते है, तो आपको पहले अपने आंतरिक जीवन को सुधारना होगा। मस्तिष्क में छुपी हुई असीमित क्षमताओं को खोजना सीखने और इसके प्रभावी प्रयोग से, जो आप बनना चाहते हैं वह बनने और जीवन में असाधारण सफलता प्राप्त करने से महत्त्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।
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कर्षण का नियम, ब्रह्माण्ड का प्रकृतिक नियम है। इसके अनुसार, “लाइक अट्रैक्ट्स लाइक” यानि जब आप किसी विशेष विचार पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तो आप उसी तरह के अन्य दूसरे विचारों को अपनी ओर आकर्षित करना प्रारम्भ कर लेते हैं। विचारों में चुम्बकीय शक्ति है और वे अपनी विशेष आवृत्ति (फ्रिक्वेन्सी) पर काम करते हैं। अतएव, वे उस फ्रिक्वेन्सी पर कार्य कर रहे अन्य सभी समान विचारों आकर्षित करना और आपको सर्वथा प्रभावित करना प्रारम्भ कर देते हैं। आप ब्रह्माण्ड के सबसे शक्तिशाली संचरण मीनार (ट्रांसमिसन टावर) हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप नियति को क्या संदेश देना और उससे क्या प्राप्त करना चाहते हैं।