अमृतवचनः भौतिक मूल्य जब सर्वोपरी हो जाते है , तो नैतिक ,आध्यात्मिक , सांस्क्रतिक मूल्य आहत हो जाते हैं।
अमृतवचनः
मनुष्य की बड़ी भूल यह है कि वह इस नश्वर शरीर को शाश्वत समझकर सजाता- संवारता है।
अमृतवचनः
शाश्वत सत्य यह है कि जिस कर्म से दूसरेका हित होगा उससे हमारा अहित असंभव है।
अमृतवचनः
यदि आप ऐसा कुछ पाना चाहते हैं जो आपके पास कभी नहीं था तो आपको कुछ ऐसा करना होगा जो आपने कभी नहीं किया है।
अमृतवचनः
जितनी भलाई हमारे परिवार के भाई-बंधु आदि नहीं कर सकते, उससे अधिक भलाई सुमार्ग पर लगा हुआ हमारा मन करता है।
अमृतवचनः
हमें दूसरों के कथन के प्रति उदार और अपने प्रति जहाॅ तक हो सके अनुदार बनना चाहिए।
अमृतवचनः
आत्मिक सुख चाहने वालों को तत्व के अनुसार व्यवहार करना चाहिए न कि तत्व को अपने व्यवहार के अनुसार मरोड़ना चाहिए।