हर आदमी का कहना है कि
उनको असत्य से नफरत है।
पर , असत्य को गले लगाने
की उनकी फितरत है ।।
माॅ-बाप का जीवन भी
असत्य आधारित होता है।
झोंका एक भी सत्य का
दम्पतियों को रुलाता है ।।
मित्र मित्र से सत्य छिपाता
अधिकारी अधिकारी से ।
जन नायक की बात न पूछो
जीते मिथ्याचारी से।।
सत्याग्रही रोता फिरता
असत्य मौज मनाता है ।
पर, असत्य को सत्य एक दिन
सहज बंदी बनाता है ।।
ढकता नहीं असत्य कभी
असत्य के आवरण से ।
आत्मा सत्य देह मिथ्या
सिद्ध है मरण से ।।
सत्य सोहाता वचन कहिए
तजिए मद व मान ।
जीने का असली राह यही
जाने सकल जहान ।। ... सकलदेव