☆भोला मास्टर की पुकार ☆
भोला एक सरकारी मध्य विद्यालय में सीनियर मोस्ट सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत है। इनके विद्यालय आगमन और प्रस्थान का समय बिल्कुल सही रहता है। विद्यालय अवधि में बिल्कुल सक्रिय रुप से पठन -पाठन में भाग लिया करते हैं। प्रधानाध्यापक को कभी कुछ कहने की आवश्यकता नहीं पड़ती। विद्यालय के कुछ शिक्षक बंधु इनके क्रिया-कलाप से प्रेरित होते हैं और व भी सक्रिय होते हैं। परंतु कुछ पर तो कुछ असर ही नहीं होता ।उल्टे वे भोला के रोड़े बन जाते ।पर भोला को कोई मलाल नहीं।
भोला मास्टर , मेरा बहुत ही अंतरंग मित्र है ।उन्होंने अपने मन की बात मेरे सामने रखी जो इस प्रकार है: -
सकलदेव सर !
आप तो जानते हैं मैं कैसा टीचर हूॅ। पर मेरे विद्यालय के प्रधानाव्यापक विद्यालय से बाहर या छुट्टी में जाते हैं तो वे बगैर चार्ज दिए चले जाते हैं ।ऐसे में लगता है कि विद्यालय में कई टीचर हेड मास्टर बन गए हैं । कई मनमाने करने लगते हैं । कुछ तो अपने को बिल्कुल ही हेडमास्टर समझ लेते हैं और समझ भी लिए हैं ।और वह अपने अकर्मण्य विचार से विद्यालय को अकर्मण्यता की ओर ले जाने लगते हैं और ले जा भी रहे हैं । इसलिए मैं तो अपने इस मध्य विद्यालय को बुधवा मध्य विद्यालय कहने लगा हूॅ। और मेरा दिल रोने लगता है ।पर मैं आंसू बहाऊं तो क्यों ? और मेरा आंसू देखेंगे भी कौन ? - - - - -
मैं तो आप जैसे मास्टर से और जिला परिवर्तन दल के अन्य हेडमास्टरों से जानना चाहता हूं कि क्या किसी विद्यालय में ऐसा होता है? कोई हेडमास्टर जब विद्यालय छोड़े तो क्या ऐसे ही छोड़ दें ? किसी को दायित्व न दें? क्या यही रूल्स एंड रेगुलेशन्स है ? जरा आप बताने की कृपा कर मुझे कृतार्थ करें । क्योंकि मैं परिवर्तन का जुनून लिए कुछ करना चाहता हूं। आप मेरा मनोबल बढ़ाइए न ,सर! प्लीज सर!