शिक्षा का ऐसा दीप जले,
रहे सब बाल खिले- खिले।
शिक्षक शिक्षा दान करे,
नैतिकता का मान करे।
अधिकारी न अपमान करे,
रहे न कोई दलाल।
मेरा झारखण्ड हो खुशहाल ।।1।।
नक्सलियों से काॅप रहे हैं,
बड़े- बड़े अधिकारी।
क्या बाल- बृद्ध युवक- युवतियाॅ,
रोते हैं नर नारी।
दें सुराह न करे गुमराह,
तो होगी शांति बहाल।
मेरा झारखण्ड हो खुशहाल ।।2।।
अपने ही बहुबेटियों को,
हम तस्कर बन ले जाते हैं।
ऐसे में तो मानवता,
तार- तार हो जाते हैं।
इन तस्कर- दरिंदों का,
सरेआम हो हलाल।
मेरा झारखण्ड हो खुशहाल ।।3।।
सभी पापों की जननी,
दरिद्रता कहलाती हैै।
पर हमारी खनिज- सम्पदा ने,
दुनिया को नहलायी है।
फिर भी भूखे रहते हैं हम,
हाल हमारी बदहाल।
मेरा झारखण्ड हो खुशहाल ।।4।।
नहीं चाहिए पद- प्रतिष्ठा,
नहीं चाहिए मान।
मेरी बस एक आशा है,
हो मानव का कल्याण।
सकल जन है झारखण्ड के,
एक- से- एक कमाल।
मेरा झारखण्ड हो खुशहाल ।।5।।