अच्छा करो तो जलता है ,
बुरा करो तो हॅसता है ।
कुछ न करो तो निकम्मा
कहते नहीं अघाता है ।।
बहरे बन जो कर्मलीन हो ,
आगे बढ़ता जाता है।
जमाना उनको अंगीकार कर ,
पुष्पमाल पहनाता है।।
जमाने से अपेक्षा न करो ,
अपेक्षा निर्बल करती है ।
’ एकला चोलो ’ की वांछा ही ताे ,
मन को संबल देती है।।
महाजनों का पंथ यही है ,
महामानव बनाता है।
इतर पंथ भौतिकता में ,
जीवन मूल्य चुराता है ।।