सर ! अनैतिकता का जड़,
गया इतना भीतर,
नाम न लेता कि जाऊँ मै उखड़,
व्यवस्था हो गई गड़बड़,
कैसे लेंगे बच्चे पढ़,
सब रह जायेंगे अनपढ़,
उनका खो रहा अवसर,
सर ! लें जरा खबर !
शिक्षा जायेगी जो मर !
सर ! आप हैं अफसर !
मेरा क्या असर ,
मैं कहता जोड़ी कर ,
सर ! अगर न ले तो खबर,
हाय ! मेरा शिक्षकत्व जाता मर - - - -।
-- नोट- यह कविता तब लिखी गई थी जब मेरे एक शिक्षक मित्र द्वारा जिला शिक्षा अधीक्षक महोदय के कार्यालय आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा था।
सकलदेव