वीक्षण-कार्य
आप जानते हैं कि भोला एक शिक्षक है । आज वह पड़ोस के एक विद्यालय में वीक्षण कार्य के लिए गया था। भोला को पहले से ही उस विद्यालय के शिक्षक जानते थे कि भोला बहुत ही सिद्धांत वादी शिक्षक है । समय पर भोला स्कूल जा पहुंचा तो भोला ने देखा कि उस विद्यालय के प्रधान शिक्षक बरामदे पर झाड़ू लगा रहे हैं । भोला समझ गया कि विद्यालय लेटलतीफ खुलता है और आज समय पर जब खुला तो मास्टर साहब को ही झाड़ू देना पड़ रहा है । परीक्षा शुरू हुई तो देखा गया कि प्रत्येक वर्ग में बच्चे अनुपस्थित है परंतु उसे उपस्थित करने की व्यवस्था की जा रही है । हाजरी बना दी गई है । कई एक गार्जियन भी आ गए हैं कि मेरे बच्चे को उपस्थित कर दिया जाए और उस की कॉपी भी तैयार कर ली जाए भोला यह सब देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि आखिर परीक्षा है या ड्रामा । गार्जियन भी आग्रह कर रहे थे कि मेरे पोते को या मेरे बेटे को उपस्थित कर दिया जाए। फिर क्या था उसकी डुप्लीकेट कॉपी तैयार की गई, भोला को भी उसमें मजबूरन शिक्षक के रूप में हस्ताक्षर करना पड़ा और एक आश्चर्य कि बात यह थी कि इस विद्यालय के मास्टर साहब श्यामपट में प्रश्न का उत्तर लिखने लग गए और बच्चे उसे नकल करने लग गए। और इस प्रकार से परीक्षा पूरी हो गई। काॅपियों की बंडल भी बन गई। जरा बिचारिये इस परीक्षा प्रणाली का क्या औचित्य रह गया। क्या इससे बच्चों का विकास संभव है ? भोला बेचारा सोंचता रह गया।