सर ! यदि मिला हुआ प्रभार,
न रहा बरकरार,
तो नैतिकता शर्मसार,
होगा तमस का अधिकार,
हे प्रभु सर्वाधार !
कौन करेगा विचार ?
मेरा शिक्षक जाता हार,
जयगोविंद ही आधार,
नैतिकता का पतवार ,
कौन करेंगे बेड़ापार,
कोर्ट दूजा है आधार,
जब होता नर लाचार ,
मेरा तप होगा आधार ,
सबको दूॅगा तब ललकार ,
निश्चित होगा उचित विचार ।।
-- नोट- यह कविता तब लिखी गई थी जब मेरे एक शिक्षक मित्र द्वारा जिला शिक्षा अधीक्षक महोदय के कार्यालय आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा था।
सकलदेव