सोयी जनता जाग चुकी है ।
अपनी जीत वो ठान चुकी है।।
मुखिया दुःखिया चल पड़े हैं ।
एम्बर मेम्बर निकल पड़े हैं ।।
तो आशा है आप अड़े हैं ।
जनता के लिए ही खड़े हैं। !!!
--नोट- यह कविता तब लिखी गई थी जब मेरे एक शिक्षक मित्र द्वारा जिला शिक्षा अधीक्षक महोदय के कार्यालय आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा था।
सकलदेव