"गीत"
सु-धर्म की धूनी जगा रहे बाबा
आसन जमीनी जगह शांतिदायी
नदी पट किनारे नहा रहे बाबा॥..... चैन की बांसुरी बजा रहे बाबा
माया सह काया तपा रहे बाबा
सुमन साधना में चढ़ा रहे बाबा
सुंदर तट लाली पीत वसन धारी
राग मधुर संध्या सुना रहे बाबा॥..... चैन की बांसुरी बजा रहे बाबा
पपीहा को पानी पिला रहे बाबा
कोयल को गाना सुना रहे बाबा
परम राग निर्गुण गान शुभ प्रभाती
बारह महिना गुनगुना रहे बाबा॥..... चैन की बांसुरी बजा रहे बाबा
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी