आप सभी के सादर सम्मान में प्रस्तुत एक मुक्तक.......
"चित्र अभिव्यक्ति मुक्तक"
उखाड़ों मत मुझे फेकों, अरे मैं
रेल की पटरी
न गुस्सा आग बरसाओ, उठाती हूँ
तेरी गठरी।
जरा सोचो निहारो देख लो मंजिल कहाँ
जाती
मंजिल मैं मिला देती, बिना पहचान की ठठरी॥
महातम मिश्र