सादर निवेदित एक भोजपुरी उलारा जो रंग फ़ाग चौताल इत्यादि के बाद लटका के रूप में गाया जाता है। कल मैनें इसी के अनुरूप एक चौताल पोस्ट किया था जिसका उलारा आज आप सभी मनीषियों को सादर निवेदित है, पनिहारन वही है उसके नखरे देखें
"उलारा गीत"
कूई पनघट गागर ले आई, इक कमर नचावत पनिहारन
छलकाती अधजल कलसा, झुकि प्यास बढावत पनिहारन
नैनन कजरा मोहें गजरा, तकि बान चलावत है अंचरा
गिरे बूंद पे बूंद अधर तरसे, लटकन अंझुरावत पनिहारन।।
पग नागिन सी लहराय धरे, लखि भार दबाय हंसे विंहसे
लाल गुलाबन होठ कपोलन, मद मदन दिखावत पनिहारन।।
निहुरि घड़ा उचकति कुंअने, चंचल चकोर चित चाह लिए
छैल छबीली छमक छत्तीसी, छकि छाँह लजावत पनिहारन।।
झारि झबर झट केश कमर, लट पट नागिन सी लहराए
अधखिली कली अंजान डगर, खुद बाग बतावत पनिहारन।।
फागुन मह रसभरी गागरिया, लिए सोलह बसंत अधीर हुई
रंग डालू केहि भांति काहि तन, प्यास पुकारत पनिहारन।।
ढोलक मंजीरा रगर मचावत, चौताल चतुर डेढ़ताल जिगर
चैती चहका रसफाग रागरस, वैसवार सुनावत पनिहारन।।
मनभावत अस सरस कबीरा, सुर सररर सुन्दर सी गोरी
लटका झटका भरि पिचकारी, तरका झहरावत पनिहारन।।
महातम मिश्र (गौतम )