कुछ हाइकु.......
1-
आई बरखा
नाचती गाती गोरी
वन में मोर॥
2-
पानी पानी है
चहु दिश बदरी
पी चितचोर॥
3-
लजाये नैना
भीगत पट सारी
वा मनमोर॥
4-
दर दूर से
गागर भरी लाई
छलके कोर॥
5-
चाह मिलन
सावन पिय पाई
न कर शोर॥
6-
उड़े विहग
भीजत घर वारी
टपके पोर॥
7-
धरी कठौता
बूंद जतन करूँ
चातक लोर॥
8-
साध सगुन
किलके किलकारी
नाचत घोर॥
9-
ड्योढ़ी दीपक
बिन महल अटारी
चिंतित भोर॥
10-
अंकुर देखी
पुलकित बगिया
आवत गौर॥
महातम मिश्र,
गौतम गोरखपुरी