सादर शुभदिवस मित्रों , आज सुमुखी सवैया छंद आप सभी को सादर प्रस्तुत कर रहा हूँ कृपया आशीष प्रदान करें.......
“सुमुखी सवैया छंद”
रहूँ तुझ आपनि जानि प्रिए, तुम बूझत नाहि बुझावत हो।
असूवन काढ़ि निकारि जिया कस नैनन नेह लगावत हो॥
ऊष्मावत हो बहलावत हो, नहि जीवन छांह दिखावत हो।
हटो न कपोल किलोल करो, तजि लाज वफा शरमावत हो॥
विचारि लियो मन धारि लियो, बरबाद न यौवन या करिहों।
मनाय दियो समझाय लियो, बिन रीत कुरीति दगा धरिहों॥
विश्वास भरो कर मांग वरो, कस पाँव महावर वा डरिहों
बताय दियो मन मंगल मोर, थिरात न पाँव सखा धरिहों॥
महातम मिश्र