सादर स्नेह प्रिय मित्रो, आप सभी को निवेदित है मेरी एक रचना मुक्तक........
“मुक्तक”
उठा लो हाथ में खंजर, बुला लो जलजला कोई
न होगा बाल बांका भी, लगा लो शिलशिला कोई
अमन के हम पुजारी हैं, शांति के हम फरिस्ते हैं
न करते वार पीछे से, सुना लो मरहला कोई ॥
महातम मिश्र