चित्र अभिव्यक्ति पर सादर प्रेषित एक कुंडलिया...............................
"कुंडलिया"
चला लक्ष्य नभ तीर है, अर्जुन का अंदाज
समझ गया है सारथी, देखा वीर मिजाज
देखा वीर मिजाज, दिशाएं रथ की मोड़ी
लिए सत्य आवाज, द्रोपदी बेवस दौड़ी
कह गौतम कविराय, काहि महाभारत भला
घर में नहि पोसाय, तीर दुश्मनी तक चला।।
महातम मिश्र (गौतम)