"मत्तगयंद
मालती सवैया" सात भगण अंत में दो गुरु
राघव फिर अब बाण धरो वन में सिय लाल लखन संग आओ
राक्षस घेरि लिए जग को
ऋषि जंगल हारि गयो उन लाओ।।
आपुहि आय विचार करो तनि
देख अवध कस रूप बनायो
लाल हुई धरती वह पावन
जह तुम कोशल नाम धरायो।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी